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अयोध्या में पाञ्चजन्य: जब कारसेवकों को रोकने के लिए बंद कर दिया गया था सरयू पुल…चलाई गोली, मल्लाहों ने की मदद

जब से अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना शुरू हुआ है, तभी से यहां श्रद्धालुओं की आवक तेज हो गई है। पहले की अपेक्षा अब ज्यादा लोग यहां घूमने के लिए आ रहे हैं और इससे हमारी आय बढ़ी है। यहां विकास तेजी से हो रहा है।

by Kuldeep Singh
Dec 17, 2023, 05:06 pm IST
in उत्तर प्रदेश
ram temple a sailors telling about struggle of karsevaks

अमित, स्थानीय मल्लाह

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“मुलायम सिंह की सरकार के दौरान कारसेवकों को रोकने के लिए प्रशासन ने सरयू पुल को ब्लॉक कर दिया था। इसके बाद उन पर गोलियां भी चलवाई गई थीं। इसके बाद कारसेवकों को बचाकर नदी पार कराने हमने (निषाद समाज) ने मदद की थी। मेरे नाना भी एक कार सेवक थे। 90 के दशक में उन्हें इसी के कारण जेल में डाल दिया गया था। लेकिन अब जब भगवान श्रीराम का मंदिर बन रहा है तो सबसे ज्यादा खुशी हम लोगों को है, क्योंकि मेरे नाना जी ने इसके लिए लड़ाई लड़ी।”

यह कहना है अमित मांझी का। 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले पॉञ्चजन्य की टीम अयोध्या में उन ऐतिहासिक स्थलों और घटनाओं से रूबरू हो रही है, जो यहां से जुड़ी हैं। अमित से हमारी मुलाकात अयोध्या में ‘राम की पैड़ी’ में हुई, वो यहां नाव चलाने का ही काम करते हैं। बातचीत के दौरान अमित ने बताया, “जब से अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना शुरू हुआ है, तभी से यहां श्रद्धालुओं की आवक तेज हो गई है। इसका सीधा असर उनकी आय पर पड़ा है। पहले की अपेक्षा अब ज्यादा लोग यहां घूमने के लिए आ रहे हैं और इससे हमारी आय बढ़ी है। यहां विकास तेजी से हो रहा है। इससे पहले जब अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन रहा था तो किसी को भी ये पता ही नहीं था कि अयोध्या भी कोई शहर है। लेकिन जब से 2017 से योगी सरकार आई है तब से लोग जानने लगे हैं कि अयोध्या भी कोई जगह है। यहां काफी सारी चीजों में सुधार हुआ है और काफी अभी किए जा रहे हैं।”

इसे भी पढ़ें: ब्रजरज और गुलाब के फूलों से बने इत्र लेकर अयोध्या के कारसेवपुरम पहुंचे हाथरस से भाजपा नेता

अमित कहते हैं, “राम मंदिर के लिए किसी एक व्यक्ति का योगदान नहीं है। जब कारसेवकों को रोकने के लिए मुलायम सिंह ने सरयू पुल बंद कर दिया था। तब मल्लाहों ने ही उन्हें अपनी नावों से नदीं पार करवाया था। निषाद समाज का भी मंदिर के लिए बड़ा योगदान रहा है। बाबरी ढांचे को गिराने के लिए मेरे नाना जी भी गए थे। बाद में मेरे नाना ने जेल में रहकर मेरी मां की शादी करवाई थी। अभी तो मेरे नाना नहीं रहे। राम मंदिर के पीछे एक कुंआ है, जिसमें उनका फावड़ा भी गिर गया था।”

गौरतलब है कि 30 अक्टूबर को जिस दिन कारसेवा की घोषणा की गयी थी, उस दिन देवोत्थान एकादसी भी थी जब अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा करनेवालों का जमावड़ा होता था। कारसेवकों को रोकने के लिए मुख्यमंत्री मुलायम ने उस दिन रामभक्तों की पंचकोसी परिक्रमा और अयोध्या प्रवेश पर भी रोक लगा दी थी। हालांकि अदालती आदेश से इस परिक्रमा और अयोध्या प्रवेश से लगी रोक हट गयी और इसी ने 30 अक्टूबर की तिथि को महत्वपूर्ण बना दिया। अब तक जो कारसेवक नहीं थे, वो भी कारसेवक के रूप में अयोध्या में प्रविष्ट हुए। ये कारसेवक सरयू पुल के दूसरी ओर इकट्ठा हो गये थे। वो सब अयोध्या नगरी में प्रविष्ट होना चाहते थे। लेकिन सरयू पुल पर पुलिस की गोलीबारी ने उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया। इस गोलीबारी में करीब 30 कारसेवकों की मौत भी हो गई थी।

लेकिन मामला तब बिगड़ा जब प्रशासन ने मल्लाहों की कुछ नावों को पानी में डुबा दिया, ताकि वो कारसेवकों को नदी के रास्ते अयोध्या न पहुंचा पाएं। इस घटना के बाद मल्लाहों ने इसे अपने अपमान के तौर पर लिया और कारसेवकों को नदी पार करने में मदद की थी।

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