भजनलाल का जन्म भरतपुर जिले के अटारी गांव में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए वे नदबई पहुंचे। यहीं उन्होंने 1984 में 10वीं और 1986 में 12वीं की पढ़ाई पूरी की। नदबई में ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) से जुड़े।
राजस्थान की राजनीति में भाजपा ने 25 साल बाद सत्ता की बागडोर नई पीढ़ी को थमाई है। भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया है। भजनलाल पहली बार जयपुर की सांगानेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते। मुख्यमंत्री के रूप में इनके चयन ने अच्छे-अच्छे राजनीतिक पंडितों की अटकलों पर पानी फेर दिया है।
भजनलाल का जन्म भरतपुर जिले के अटारी गांव में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए वे नदबई पहुंचे। यहीं उन्होंने 1984 में 10वीं और 1986 में 12वीं की पढ़ाई पूरी की। नदबई में ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) से जुड़े। 1989 में एमएसजे कॉलेज, भरतपुर से से बीए और 1993 में राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एमए की उपाधि ली।
भजनलाल ने 1990 के कश्मीर मार्च में भाग लिया। इस दौरान उधमपुर में वे गिरफ्तार भी हुए। 1991-92 में भाजयुमो की जिम्मेदारी मिली। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के समय कारसेवक के रूप में 1992 में जेल गए। 2000 में 27 वर्ष की उम्र में अटारी के सरपंच और 2010 से 2015 तक अटारी पंचायत समिति सदस्य रहे। इसके बाद भाजयुमो भरतपुर जिला मंत्री, जिला महामंत्री, तीन बार जिलाध्यक्ष बने। 2009 से 2014 तक भरतपुर के जिलाध्यक्ष रहे। 2014 में प्रदेश उपाध्यक्ष और 2016 में प्रदेश महामंत्री का कार्य संभाला। जीविकोपार्जन के लिए भजनलाल खेती और खनिज उपकरण की आपूर्ति का व्यवसाय करते हैं। पत्नी गीता भी पंचायत समिति सदस्य रह चुकी हैं। बड़ा बेटा आशीष प्रतियोगी परीक्षा (आरएएस) की तैयारी कर रहा है, वहीं छोटा बेटा कुणाल डॉक्टर है। भरतपुर जिले से भजनलाल शर्मा दूसरे मुख्यमंत्री हैं। इनसे पहले 1980 में जगन्नाथ पहाड़िया मुख्यमंत्री बने थे।
सबकी चहेती दीया
उपमुख्यमंत्री बनाई गई। 55 वर्षीया दीया कुमारी जयपुर के पूर्व महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह और पद्मिनी देवी की बेटी हैं। उनकी शिक्षा मॉडर्न स्कूल (नई दिल्ली), जीडी सोमानी मेमोरियल स्कूल (मुंबई) और महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल (जयपुर) में हुई। दीया कुमारी ने लंदन में डेकोरेटिव आर्ट्स का भी कोर्स किया। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा 2013 में शुरू की। बेहद कम समय में दीया भाजपा की लोकप्रिय नेता बन गई हैं।
पंचायत से लेकर विधानसभा तक का सफर
अनुसूचित वर्ग से आने वाले 54 वर्षीय डॉ. प्रेमचंद बैरवा का जन्म मौजमाबाद तहसील के श्रीनिवासीपुरा गांव में हुआ। प्रेमचंद ने स्नातकोत्तर के बाद पीएचडी की और इसके बाद राजनीति में प्रवेश किया। पढ़ाई के दौरान ही वे अभाविप के संपर्क में आए। 2000 में वे दूदू के वार्ड 15 से जिला परिषद के सदस्य बने। इसके बाद 2008 में जयपुर ग्रामीण के भाजपा एससी मोर्चा जिलाध्यक्ष के तौर पर उन्होंने जिम्मेदारी निभाई। बैरवा दूसरी बार विधायक बने हैं।
शिक्षक से बने अध्यक्ष
अजमेर उत्तर से विधायक बने वासुदेव देवनानी राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष बनाए गए हैं। देवनानी प्राध्यापक रहे हैं। 1956 में राजस्थान में विलय के बाद यह पहला अवसर है, जब अजमेर को विधानसभा अध्यक्ष पद मिला है। इससे पहले अजमेर रियासत की पृथक विधानसभा थी, जिसके अपने विधानसभा अध्यक्ष थे। 73 वर्षीय वासुदेव देवनानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। वे लंबे समय तक अभाविप के प्रांत अध्यक्ष भी रहे। वे 2023 में पांचवीं बार विधायक निर्वाचित हुए हैं।
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