‘आदि और अंत हैं श्रीराम’
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‘आदि और अंत हैं श्रीराम’

by WEB DESK
Dec 15, 2023, 03:21 pm IST
in संघ
पुस्तक का लोकार्पण करते श्री दत्तात्रेय होसबाले (बाएं से दूसरे), साथ में हैं (बाएं से) सर्वश्री प्रभात कुमार, हेमंत शर्मा, स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, हेमंत गुप्ता और आलोक कुमार

पुस्तक का लोकार्पण करते श्री दत्तात्रेय होसबाले (बाएं से दूसरे), साथ में हैं (बाएं से) सर्वश्री प्रभात कुमार, हेमंत शर्मा, स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, हेमंत गुप्ता और आलोक कुमार

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‘आदि और अंत हैं श्रीराम’

पुस्तक का लोकार्पण करते श्री दत्तात्रेय होसबाले (बाएं से दूसरे), साथ में हैं (बाएं से) सर्वश्री प्रभात कुमार, हेमंत शर्मा, स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, हेमंत गुप्ता और आलोक कुमार

गत दिसंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने नई दिल्ली में ‘राम फिर लौटे’ पुस्तक का लोकार्पण किया। इस अवसर पर गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार की विशेष उपस्थिति रही।

प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के लेखक हैं वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि राम शुभ हैं, राम मंगल हैं, राम प्रेरणा हैं, विश्वास हैं। वे धर्म की मूर्ति नहीं विग्रह हैं, स्वयं धर्म हैं। जीवन का मर्म हैं, आदि और अंत हैं। प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात् पहले राजमहल में और अब 500 वर्ष के संघर्ष के बाद 22 जनवरी, 2024 को जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर में लौट रहे हैं।

अयोध्या में केवल राम मंदिर की नहीं, अपितु राष्ट्र मंदिर व राष्ट्रीय गौरव की नींव पक्की हो रही है। राम हमारी प्रेरणा हैं, हमारी पहचान हैं, हमारी अस्मिता हैं। श्रीराम हमारे मंदिर में भी हैं और हमारे हृदय मंदिर के कण-कण में भी हैं।

उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन राष्ट्रीय एकात्मता के लिए था। राम मंदिर एक और मंदिर या पर्यटन का केंद्र नहीं है, अपितु यह तो तीर्थाटन का स्तंभ है। श्रीराम की अयोध्या यानी त्याग, अयोध्या यानी लोकतंत्र, अयोध्या यानी मर्यादा है। उन्होंने कहा कि धर्म की पुनर्स्थापना के लिए सदैव से संघर्ष होता आया है, और यह कभी-कभी सृजन के लिए आवश्यक भी होता है।

श्रीराम जन्मभूमि के लिए 72 बार संघर्ष हुआ, हर पीढ़ी ने लड़ाई लड़ी, किंतु कभी हार नहीं मानी। गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि अयोध्या में केवल राम मंदिर की नहीं, अपितु राष्ट्र मंदिर व राष्ट्रीय गौरव की नींव पक्की हो रही है। राम हमारी प्रेरणा हैं, हमारी पहचान हैं, हमारी अस्मिता हैं। श्रीराम हमारे मंदिर में भी हैं और हमारे हृदय मंदिर के कण-कण में भी हैं।

उन्होंने कहा कि अब भारत से तुष्टीकरण के बादल छंट रहे हैं और चारों ओर भारतीय संस्कृति का पुनरोदय हो रहा है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा कि आज भी हमारे बीच बाबर रूपी आसुरी ताकतें हैं, हमें उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने कहा कि रामजी का काम हो रहा है, हमारा सौभाग्य यह नहीं कि हमारे सामने हो रहा है। हमारा सौभाग्य यह है कि हम सब उसमें अपना-अपना योगदान दे रहे हैं।

Topics: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघअयोध्याराम मंदिरविश्व हिंदू परिषदलोकतंत्रमंदिर या पर्यटनगीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराजन्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता
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