कांग्रेस के सांसद धीरज साहू के ठिकानों पर जब से इनकम टैक्स का छापा पड़ा है तब से अब तक 355 करोड़ रुपए से अधिक का कैश बरामद हो चुका है। ये केवल कैश है, इसके अलावा दूसरी संपत्तियां अलग हैं। जो धीरज साहू अब तक नेहरू गांधी परिवार पर लक्ष्मी बनकर नोटों की कृपा बरसाते थे आज मुसीबत के वक्त कांग्रेस ने उनसे ही किनारा कर लिया है। लेकिन इनके दौलतखाने में नेहरू से लेकर इंदिरा तक तशरीफ ला चुके हैं।
करीब 125 सालों से धीरज साहू का परिवार शराब के कारोबार में है। धीरज साहू के पिता बलदेव राय साहू खांटी के कांग्रेसी नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। इनकी महिमा का असर ये था कि अंग्रेजों ने इन्हें राय साहब की उपाधि से नवाजा था। धीरज साहू के प्रभाव को इस तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस ने से दो-दो बार वो लोकसभा चुनाव लड़े औऱ दोनों ही बार मुंह की खानी पड़ी। बावजूद इसके कांग्रेस ने उन्हें तीन बार राज्यसभा के जरिए संसद पहुंचा दिया।
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इसके अलावा धीरज साहू के बड़े भाई भी शिव प्रसाद साहू भी रांची लोकसभा सीट से दो बार सांसद रहे। इसके अलावा इनके एक अन्य भाई पर भी कांग्रेस की कृपा हुई उन्हें एक बार रांची विधानसभा सीट से विधानसबा और हजारीबाग लोकसभा सीट से मैदान में उतारा गया, लेकिन वो जीत नहीं सके। बावजूद इसके कांग्रेस ने उन्हें झारखंड प्रदेश कांग्रेस का कोषाध्यक्ष जैसा अहम पद दे दिया था।
धीरज साहू का सफर
23 जनवरी 1955 को झारखंड के लोहदरगा में जन्में धीरज साहू की राजनीति की शुरुआत एनएसयूआई से हुई थी। 1977 में वो बीए करने के बाद एनएसयूआई से जुड़े। इसके बाद कुबेर होने का फायदा उन्हें मिला औऱ वो लगातार एक के बाद एक ऊंचे पदों पर बैठते गए। बाद में 2009 चतरा लोकसभा से कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतारा। हालांकि, वो हार गए, लेकिन डेढ़ महीने के अंदर ही कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा के जरिए संसद में पहुंचा दिया। इसके बाद क्रमश: 2010 और फिर 2018 में तीसरी बार वो राज्यसभा पहुंचे। अब अगले साल तक उनका कार्यकाल है।
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क्या-क्या है व्यापार
साहू परिवार 125 सालों से शराब के कारोबार में करीब 80 से अधिक डिस्टलरीज की कंपनियां हैं और इसके अलावा रियल स्टेट, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से लेकर कई तरह के व्यवसायों में है। इनका कारोबार झारखंड के साथ ही कई राज्यों में भी इनका कारोबार है।
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