देहरादून। विश्व हिंदू परिषद ने उत्तराखंड के सभी शहरों और गांवों में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के दिन सनातनी लोगों से प्रभु राम के लिए श्रद्धा पाठ करने का आह्वान किया है। विश्व हिंदू परिषद ने अपने हिंदू संगठनों के माध्यम से प्रत्येक हिंदू के घर पूजित अक्षत, पत्रक, और श्रीराम का चित्र पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए घर- घर जाने का अभियान भी शुरू हो गया है।
उल्लेखनीय है कि 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अयोध्या में श्रीराम मंदिर में श्रीराम लला के बाल स्वरूप की स्थापना होने जा रही है। विश्व हिंदू परिषद ने हिंदू संगठनों के जरिए हिंदू समाज को ये निवेदन किया है कि सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक अपने ग्राम, नगर, मोहल्ला, कॉलोनी में स्थित किसी मंदिर में सभी रामभक्त एकत्र होकर भजन कीर्तन करें। मंदिरों के ऐसा बड़े पर्दे पर अयोध्या का प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव एकसाथ मिल बैठकर देखें। स्थापना के दौरान शंखध्वनि, घंटानाद, प्रसाद आदि का वितरण करने का भी आह्वान किया गया है।
विश्व हिंदू परिषद ने इस दौरान सभी मंदिरों में स्थित देवी-देवता का भजन-कीर्तन, आरती-पूजा करने, “श्रीराम जय राम, जय जय राम” विजय महामंत्र का १०८ बार सामूहिक जाप करने और श्री हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामरक्षा स्तोत्र आदि का सामूहिक पाठ करने के विकल्प भी बताए हैं। विहिप ने मंदिरों को अच्छे से सजाए जाने और श्रीराम मंदिर कार्यक्रम से जुड़ने के लिए व्यापक जन संपर्क करने की भी बात कही है।
वीएचपी ने हिंदू जनमानस को अपने-अपने घर को सजाने और सभी हिन्दू घरों में भगवा पताका लगाने का भी निवेदन किया जा रहा है। विश्व हिंदू परिषद ने हिंदू समाज से श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा तक स्वेच्छा से उपवास रखने का भी आह्वान किया है। साथ ही मंदिरों में होने वाले उत्सव में लंगर, भंडारे का आयोजन करने सूर्यास्त के बाद अपने घर के सामने देवताओं की प्रसन्नता के लिये दीपक जलाने, दीपमालिका सजाने और दीपोत्सव मनाए जाने का भी निवेदन किया है।
विश्व हिंदू परिषद से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के 22 जनवरी से पहले विभिन्न नगरों, कस्बों गांवों में प्रतिदिन प्रभात फेरी और जनजागरण करके करके हिंदू समाज में श्रीराम के प्रति आस्था का संचार करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाने का भी आह्वान किया जा रहा है। विश्व हिंदू परिषद श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के माध्यम से सामाजिक समरसता का संदेश देना चाहती है। विहिप का मानना है कि ये हिंदू समाज का नहीं, पूरे राष्ट्र का कार्यक्रम बने। इसके लिए विभिन्न पंथों, संप्रदायों और सामाजिक संगठनों के साथ व्यापक जन संपर्क भी किया जा रहा है।
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