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Afghanistan फिर बना जिहादियों की फैक्ट्री, अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट का खुलासा

तालिबान लड़ाकों के राज में आतंकी बेखौफ होकर अपनी नस्ल बढ़ा रहे हैं। उनको अफगानिस्तान में एक बार फिर फलने-फूलने के पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं

by WEB DESK
Dec 6, 2023, 12:15 pm IST
in विश्व
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बंदूकधारी मजहबी उन्मादी तालिबान के राज में आफगानिस्तान एक बार फिर से जिहादियोंं की फौज तैयार करने में जुटा हुआ है। यह विशेष रूप से उसके पड़ोसी देशों और दुनिया के लिए आतंक का खतरा पेदा कर रहा है! यह जानकारी दी है कि अमेरिका के विदेश विभाग की 2022 की आतंकवाद पर आई एक विस्तृत रिपोर्ट ने।

अमेरिकी रिपोर्ट बताती है कि तालिबान लड़ाकों के राज में आतंकी बेखौफ होकर अपनी नस्ल बढ़ा रहे हैं। उनको अफगानिस्तान में एक बार फिर फलने-फूलने के पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। आतंकवादी संगठन एक बार फिर से जुटकर अपनी ताकत बढ़ाने में लगे हैं।

विश्व भर में आतंकवाद को लेकर क्या घटनाक्रम चल रहे हैं, उस पर अमेरिका का विदेश विभाग हर साल एक रिपोर्ट जारी करता है। इसकी साल 2022 की ताजा रिपोर्ट खतरनाक संकेत दे रही है। काबुल में सब ठीक नहीं चल रहा है। तालिबान की किसी देश से पटरी नहीं बैठ रही है क्योंकि सभी देश उनके आतंकी स्वभाव से परिचित हैं इसलिए उससे दूरी बनाकर चल रहे हैं।

तालिबान को कंधे पर सवार कर काबुल की गद्दी पर बैठाने वाला पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ भी तालिबान के संबंध फिलहाल बिगड़े हुए हैं और तालिबानी सीमा को लेकर उससे विवाद में उलझे है। इतना ही नहीं, तालिबान जिहादियों ने पाकिस्तानी सेना और पुलिस के विरुद्ध मोर्चा खोला हुआ है।

इन सब परिस्थितियों के बीच, वहां नए जिहादी गुट पनप रहे हैं और पुराने फिर से लामबंद हो रहे हैं। अफगानिस्तान फिर से जिहादी संगठनों की फैक्ट्री बनता जा रहा है। यह स्थिति उस के देश से सटे देशों के लिए गंभीर खतरे पैदा कर रही है। उन देशों में नए सिरे से आतंकवादी घटनाओं का खतरा पैदा हो गया है। कह सकते हैं कि दुनिया के विभिन्न देशों के लिए भी अफगानिस्तान में उपज रहे जिहादी खतरे का स्तर बढ़ा रहे हैं। यहां से भाड़े के जिहादियों का दूसरे देशों में जाकर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने का एक इतिहास रहा है।

आतंकवाद पर साल 2022 की इस अमेरिकी रिपोर्ट में इस संदर्भ में किए गए खुलासे रक्षा विशेषज्ञों के माथे पर बल डाल रहे हैं। पाकिस्तान के साथ तालिबान का बना छत्तीस का आंकड़ा उन्हें पहले ही सचेत कर चुका है। लेकिन अब इस रिपोर्ट में नए आतंकी संगठनों के उपजने की जानकारी और ज्यादा गंभीर और सावधानी के साथ कदम उठाने की मांग कर रही है।

काबुल के पड़ोस में शेरपुर की इस इमारत में छुपा बैठा था अल कायदा का सरगना जवाहिरी (प्रकोष्ठ में) जिसे अमेरिका ने जुलाई 2022 में ड्रोन हमले में हलाक कर दिया था

रिपोर्ट कहती है कि 30 जुलाई 2022 में अमेरिका ने अल कायदा के जिस सरगना अयमन अल जवाहरी को ढेर किया था, जो अफगानिस्तान में छुपा बैठा था। इससे यह बात साबित हुई थी कि तालिबान आतंकी गुटों और उनके सरगनाओं को अपनी पनाह में जिहाद के लिए संगठित होने का मौका दे रहा है।

रिपोर्ट में जिन आतंकवादी संगठनों के नए सिरे से सिर उठाने और खुद को मजबूत करने का संकेत किया गया है, उनमें इस्लामिक स्टेट खुरासन प्रोविंस तथा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान तो हैं ही, लेकिन अब उसमें अल कायदा को भी सम्मिलित किया गया है। रिपोर्ट कहती है कि 30 जुलाई 2022 में अमेरिका ने अल कायदा के जिस सरगना अयमन अल जवाहरी को ढेर किया था, जो अफगानिस्तान में छुपा बैठा था। इससे यह बात साबित हुई थी कि तालिबान आतंकी गुटों और उनके सरगनाओं को अपनी पनाह में जिहाद के लिए संगठित होने का मौका दे रहा है।

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अफगानिस्तान में तालिबान राज की जो भयावह तस्वीर यह रिपोर्ट पेश करती है उसके अनुसार, पड़ोसी देश एक बहुत बड़े खतरे के साए में हैं। 2022 में ही अफगानिस्तान में अड्डे बनाकर रह रहे जिहादी संगठनों ने पाकिस्तान, कजाकिस्तान, ईरान और उज़्बेकिस्तान में अनेक जिहादी हमले बोले थे। इस्लामिक स्टेट खुरासन तो अफगानिस्तान में ही वहां के लोगों को मारने में शामिल पाया गया था।

इस्लामिक स्टेट खुरासन ने ही रूस तथा पाकिस्तान के दूतावासों पर हमले बोले थे। अमेरिकी रिपोर्ट कहती है कि तालिबान उन शर्तों को पूरा नहीं कर रहा है तो उसे अफगानिस्तान का राज सौंपे जाते वक्त दोहा करार के तहत उसके सामने रखी गई थीं। उन्हीं शर्तों में एक थी कि तालिबान पड़ोस के देशों के विरुद्ध जिहादी गतिविधियों के लिए अफगानी जमीन का प्रयोग नहीं करने देगा। लेकिन आज की परिस्थिति उस शर्त से ठीक उलट होने का इशारा करती है।

अफगानिस्तान से तालिबान पड़ोसी देशों तक अपने फन फैला रहा है, यह दुनिया में शांति तथा सुरक्षा को खतरा पैदा कर रहा है। जो चीन शुरू में अफगानिस्तान की तालिबान ‘सरकार’ के साथ निकटता दिखा रहा था, वह भी उससे कन्नी काटने लगा है। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस रिपोर्ट को देखते हुए, बाइडेन प्रशासन अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत के संदर्भ में कोई सख्त कदम उठा सकता है।

 

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