राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय संचालिका शांताक्का वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस के महिला फोरम के छठे और अंतिम सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। इस दौरान उनके दिए वक्तव्य के संपादित अंश इस प्रकार हैं :
भारत का एकात्म भाव दर्शन हिंदू महिलाओं को विशेष बनाता है। हमारे संतों ने कहा कि स्त्री और पुरुष एक तत्व के दो अंश हैं, जिसे अर्धनारीश्वर कहा गया है। दोनों की आत्मा एक है। वे एक दूसरे के परस्पर पूरक हैं। जो एकात्म भाव में आस्था रखता है, वही हिंदू है और यही है भारतीय नारी की विशेषता जो उसे विश्व की अन्य महिलाओं से भिन्न बनाती है।
स्वामी विवेकानंद जी अपने एक भाषण में कहते हैं कि मातृत्व ही भारतीय नारी की परिभाषा है। वह त्याग, करुणा, प्यार, ममता, समर्पण और मानवता के लिए सर्वस्व देने को तैयार रहती है। मातृत्व से उनका अर्थ बायोलॉजिकल रूप से मां होना नहीं बल्कि स्वभाव से मातृत्व गुण से मातृत्व का भाव है जो कि भारतीय नारियों में नैसर्गिक रूप से होता है।
हिंदू महिलाएं अपने पारिवारिक संस्कारों के कारण बहुत से सिद्धांतों का पालन करती हैं। ये उनको सद्गुण देकर आत्मशक्ति प्रदान करते हैं। यही आत्मशक्ति भारतीय महिलाओं को हर तरह की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देती है।
हम सब ने अपनी मां, दादी को बचपन से परिवार के लिए प्राणी मात्र के ममतामयी, त्यागमयी देखा है और वही गुण एक पीढ़ी दूसरी से लेती है। भारतीय नारी में आंतरिक शक्ति है, इसलिए उसे बाहरी शक्ति से सशक्त होने की आवश्यकता नहीं है। केवल अवसरों की आवश्यकता है। उसमें नेतृत्व के सब गुण प्राकृतिक रूप से हैं, बस उनके पोषण की आवश्यकता है।
हिंदू महिलाएं अपने पारिवारिक संस्कारों के कारण बहुत से सिद्धांतों का पालन करती हैं। ये उनको सद्गुण देकर आत्मशक्ति प्रदान करते हैं। यही आत्मशक्ति भारतीय महिलाओं को हर तरह की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देती है।
हम महिलाओं को किसी से सम्मान मांगना नहीं है बल्कि स्वयं को सम्मान के योग्य बनाना है। केवल अपने बारे में न सोच कर समाज के लिए मानवता और प्रकृति के लिए सोचना है। प्रस्तुति: सर्जना शर्मा
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