Assembly Elections 2023 : तीन राज्यों में हार से बौखलाए कांग्रेसी, शुरू की उत्तर और दक्षिण के विभाजन की राजनीति
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Assembly Elections 2023 : तीन राज्यों में हार से बौखलाए कांग्रेसी, शुरू की उत्तर और दक्षिण के विभाजन की राजनीति

यह प्रमाणित करने का प्रयास किया गया कि भारत के दक्षिणी प्रांत, जहाँ से कांग्रेस जीतती हैं, वह श्रेष्ठ हैं और भारत के उत्तरी प्रान्तों के मतदाता बेवक़ूफ़ हैं, असहिष्णु हैं, अनपढ़ हैं, काऊ बेल्ट अर्थात गोबर पट्टी के हैं।

by सोनाली मिश्रा
Dec 5, 2023, 07:18 pm IST
in भारत
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर सभी की नजर थी और कांग्रेस इस बार आवश्यकता से अधिक आशान्वित थी कि वह चार राज्यों में जीतने जा रही है। कुछ यूट्यूबर्स द्वारा एवं सोशल मीडिया पर कुछ ट्रेंड्स के चलते एवं एग्जिट पोल के चलते एक ऐसा माहौल बना दिया गया था कि जैसे कांग्रेस ही जीतने जा रही है। मगर जैसे ही चुनाव परिणाम आए, वैसे ही लोगों के पैरों के नीचे से जैसे जमीन खिसक गयी।

चुनाव जीतने को लेकर कांग्रेस और कथित सेक्युलर पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग इस सीमा तक आशान्वित था कि जो भी लोग भारतीय जनता पार्टी की बढ़त दिखा रहे थे, उन्हें कई प्रकार की उपाधियाँ दी गईं। यह बहुत ही हैरान करने वाला एवं असहिष्णु कदम था कि जिसमें उन्हें भारतीय जनता पार्टी की बढ़त बताने वालों से ही घृणा हो रही थी। मगर इस घृणा का असली चेहरा सामने तब आया जब भाजपा के पक्ष में तीन राज्यों के परिणाम आए।

कुछ लोगों के अनुसार यह अप्रत्याशित था और बजाय इसके कि यह समझा जाता कि कहाँ गलतियां हुईं, तीन राज्यों के मतदाताओं पर उंगली उठाई जाने लगी।

इतना ही नहीं कांग्रेस द्वारा महाविनाशक राजनीतिक कदम भी उठाया गया, जिसमें यह प्रमाणित करने का प्रयास किया गया कि भारत के दक्षिणी प्रांत, जहाँ से कांग्रेस जीतती हैं, वह श्रेष्ठ हैं और भारत के उत्तरी प्रान्तों के मतदाता बेवक़ूफ़ हैं, असहिष्णु हैं, अनपढ़ हैं, काऊ बेल्ट अर्थात गोबर पट्टी के हैं आदि आदि।

कांग्रेस के नेता कार्ति बी चिदम्बरम ने एक्स पर पोस्ट किया

The South!

The SOUTH!

— Karti P Chidambaram (@KartiPC) December 3, 2023

अब यह साउथ और नार्थ का क्या अंतर है? दरअसल तेलंगाना में कांग्रेस की जीत हुई है और इससे पहले कर्नाटक में भी कांग्रेस जीत चुकी थी। अत: कांग्रेसी इस बात पर प्रसन्न हो गए कि भारत के दक्षिणी प्रान्तों के लोग भारतीय जनता पार्टी से घृणा करते हैं और दक्षिण से वह भारतीय जनता पार्टी को भगा देंगे।

एक अजीब तरह की विभाजक सोच सोशल मीडिया पर तैरने लगी। यह घृणा भरी सोच थी, और घृणा उनसे जिन्होनें और कुछ नहीं बस अपने मताधिकार के अधिकार का प्रयोग किया था।

The just because they lost in the north these people want to divide between north and south.

They are no less than jihadis and sleeper cells. pic.twitter.com/ZTv0CUakGl

— rae (@ChillamChilli) December 3, 2023

जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा, उन्हें काउबेल्ट अर्थात गोबरपट्टी के लोग कहकर सम्बोधित किया:

किसी ने लिखा कि भारत के उत्तरी प्रान्त के लोगों ने भाजपा को वोट दिया, जिससे वह दक्षिणी प्रान्तों में नौकरी केलिए जा सकें!

किसी ने लिखा

#BJPFreeSouth

United states of South India#BJPFreeSouth pic.twitter.com/VzVwKD67va

— Tamil Ka.Amutharasan (@amutharasan_dmk) December 3, 2023

बहुत सारे स्क्रीन शॉट साझा किए जा रहे हैं, जिनमें हिन्दुओं को अर्थात भारतीय जनता पार्टी को वोट देने वालों को कम साक्षर प्रदेश, कम महिला साक्षरता वाले प्रदेश, कम महिला रोजगार वाले प्रदेशों के रूप में बताया जा रहा है और विशेषकर “हिन्दी” बोलने वाले बताया जा रहा है।

मगर यह लोग यह नहीं बता रहे हैं कि इन्हीं लोगों ने पिछले चुनावों में तीनों ही राज्यों में कांग्रेस को चुना था और पूर्ण बहुमत से चुना था।

कुछ लोगों ने यह तक कहा कि दक्षिणी प्रांत के लोगों को उत्तरी प्रांत के लोगों के सामानों का बहिष्कार करना चाहिए।

मगर क्या वास्तव में यही सच है? क्या भारत के दक्षिणी प्रान्तों में भारतीय जनता पार्टी के प्रति या फिर हिन्दुओं के प्रति घृणा है? भारतीय जनता पार्टी के पास ही भारत के दक्षिणी प्रान्तों से सर्वाधिक सांसद हैं। भारतीय जनता पार्टी पुद्दुचेरी में सरकार में हैं। तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी की सीटों और वोट प्रतिशत में वृद्धि हुई है।

बात यहाँ पर भारतीय जनता पार्टी की नहीं है, बात यहाँ पर हिन्दुओं को लेकर है। यह बात किसी से भी छिपी नहीं है कि कैसे कांग्रेस एवं अन्य दलों द्वारा लगातार हिन्दुओं का अपमान किया जा रहा है, फिर चाहे वह द्रमुक के युवराज का कथन हो या फिर ए राजा द्वारा हिन्दू धर्म का लगातार अपमान करने की बात, कांग्रेसी न केवल इन मामलों पर चुप थे, बल्कि किसी न किसी तरीके से समर्थन ही कर रहे थे।

हिन्दुओं के साथ राजनीतिक स्तर पर स्वतंत्रता के बाद से भेदभाव होता चला आया। कालांतर में वाम, मिशनरी एवं इस्लामी मतों के प्रभाव में आकर कथित सेक्युलरिज्म का नाम हिन्दू द्रोह या हिन्दू विरोध ही हो गया था। और ऐसा नहीं है कि केवल हिन्दू पीड़ित हो रहा था, उदारवादी स्वर हर मत में पीड़ित हो रहे थे और मात्र वोटों के चलते कट्टरपंथ हावी हो रहा था।

हिन्दुओं के प्रति घृणा इस सीमा तक व्याप्त हो गयी थी कि उन्हें इस सीमा तय हेय माना जाने लगा कि उनकी मूल एवं स्वाभाविक प्रवृत्तियों जैसे पूजा पाठ, शाकाहारी भोजन, योग, संस्कृत, एवं संस्कृत निष्ठ हिन्दी को लेकर हीनभावना भरी जाने लगी।

भारत के उत्तरी प्रान्तों के हिन्दुओं ने उस हीनभावना को अपने कन्धों से उतारकर फेंक दिया है जो मिशनरी और वामपंथी विमर्श ने उस पर जबरन थोप दी थी। और वह संविधान में उसे प्रदत्त मौलिक अधिकार अर्थात अपने मताधिकार का प्रयोग करने लगा है। वह अब उस कथित सेक्युलरिज्म के जाल में नहीं फंसता है, जिसका अर्थ मात्र हिन्दू पर्वों, हिन्दू परम्पराओं का विरोध है।

वह देखता है कि कैसे नूपुर शर्मा को अपनी जान बचाने के लिए छिपकर रहना पड़ जाता है और कैसे हिन्दू धर्म का अपमान करने वालों को गैर-भाजपाई सरकारों द्वारा प्रश्रय प्रदान किया जाता है। कैसे केवल हिन्दू पर्वों पर ही गैर-भाजपाई सरकारों को सारे नियम याद आते हैं, ऐसी एक लम्बी श्रृंखला थी, जिसे लेकर और स्थानीय कांग्रेसी सरकारों के भ्रष्टाचारों को लेकर जनता के मन में तमाम शिकायतें थीं।

और जिनके कारण जनता ने उस अधिकार का प्रयोग किया, जो उसे संविधान ने प्रदान किया है और वह था अपने मत का प्रयोग! अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर कांग्रेस एवं कांग्रेस के वामपंथी समर्थकों को अभिव्यक्ति की आजादी से इतनी घृणा क्यों है? उन्हें हिन्दुओं से इतनी घृणा क्यों है?

और आखिर उत्तर और भारत का विभाजन करके कांग्रेस क्या हासिल कर लेगी? क्या वह अपनी कब्र और गहरी तो नहीं कर रही है इस विभाजक विमर्श को आरम्भ करके? क्योंकि भारत का चित्त एवं लोक कभी भी विभाजनकारी सोच का समर्थन नहीं करेगा।

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