फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की कंपनी मेटा ने एक बड़ा दावा किया है कि चीन भारत और अमेरिका में अपने फर्जी खातों के माध्यम से चुनावों पर नकारात्मक असर डालने की कोशिश कर रहा है। ऐसे अनेक खाते मेटा ने खत्म किए हैं। मेटा के अनुसार, ये खाते लोगों को भ्रम में डालने वाली जानकारियां फैला रहे थे।
मेटा कंपनी के इस बड़े खुलासे से चीन की एक और साजिश से पर्दा हटा है। इस कम्युनिस्ट देश पर तो कई सरकारों की जासूसी के आरोप कई बार लग ही चुके हैं। तथ्य भी सामने आते रहे हैं। लेकिन अब सोशल मीडिया में उसकी इस हरकत पर बड़ी कार्रवाई से ड्रैगन की शैतानी मंशाओं से पर्दा उठ गया है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म कंपनी की पिछले दिनों आई तीन माह की रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी ने चीन में बने 4,700 से अधिक फर्जी खातों के एक पूरे संजाल को तहस—नहस कर दिया है। ये ऐसे खाते थे जो खुद को दिखाते तो अमेरिकी और भारतीय ही थे लेकिन इनका काम सिर्फ और सिर्फ गलत जानकारियां प्रसारित करना ही था। इसके पीछे उद्देश्य था इन देशों के चुनावों पर असर डालना। जैसे, अमेरिका में 2024 में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं तो भारत में भी लोकसभा चुनाव संपन्न होंगे। असल में ये खाते इन्हीं दोनों चुनावों को प्रभावित करने के लिए बनाए गए थे।
हालांकि मेटा ने इन फर्जी खातों के पीछे सीधे सीधे चीनी अफसरों का हाथ तो नहीं बताया है परन्तु इतना जरूर कहा है कि मेटा ने चीन से उपजे एक ऐसे संजाल के बढ़ते जाने को लेकर चिंताएं जरूर जताई हैं। मेटा का कहना है कि दुनिया भर में ऐसे भ्रम पैदा करने वाले संजाल का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है। वैसे, मेटा के अनुसार, ईरान और रूस तो ऐसे कामों में चीन को भी पीछे छोड़ रहे हैं।
संजाल में जुड़े फर्जी खाते अनेक लोगों के नामों और प्रोफाइल चित्रों को अपने लिए इस्तेमाल करके चलाए जा रहे थे। संजाल से जुड़े खाते एक दूसरे द्वारा साझा की गई चीजों को शेयर व लाइक किया करते थे जिससे वे और ज्यादा फैलें। इस भ्रामक चीनी संजाल का पूरा जोर अमेरिका के चीन से संबंधों, भारत की राजनीति और उसमें भेद पैदा करने वाली बातों पर केन्द्रित था।
तीन महीने की मेटा की ये रिपोर्ट इसी संजाल के मकसद पर सवाल तो खड़े करती है, लेकिन उसके ठोस निष्कर्ष में अभी धुंधलका है। मेटा के अनुसार, ये खाते गलत जानकारियों के अलावा नेताओं की जनता के बीच छवि बिगाड़ने और समाज में सौहार्द बिगाड़ने के काम में जुटे थे।
इस चीनी संजाल के बारे में कहा गया है कि यह संस्कृतियों में संघर्ष, यूक्रेन के प्रति समर्थन और सहायता जैसे मामलों पर गलत चीजें फैला रहा था। संजाल में जुड़े फर्जी खाते अनेक लोगों के नामों और प्रोफाइल चित्रों को अपने लिए इस्तेमाल करके चलाए जा रहे थे। संजाल से जुड़े खाते एक दूसरे द्वारा साझा की गई चीजों को शेयर व लाइक किया करते थे जिससे वे और ज्यादा फैलें। इस भ्रामक चीनी संजाल का पूरा जोर अमेरिका के चीन से संबंधों, भारत की राजनीति और उसमें भेद पैदा करने वाली बातों पर केन्द्रित था।
मेटा के अनुसार, उसने जो ‘मॉडरेशन नीतियां’ बनाई हैं वे उपभोक्ताओं में भगम पैदा करने के लिए फर्जी पहचान वाले खातों पर सख्ती के साथ लगाम कसती हैं। चीनी संजाल जिस तरह से भ्रम फैलाने में जुटा था वह इस कंपनी की नीतियों के विरुद्ध था। मेटा द्वारा जिस चीनी संजाल पर रोक लगाई गई है, वह तो था ही शरारती, उसके साथ दो छोटे संजालों का भी पता चला है, जिनमें से एक चीन से भारत पर नजर रखे था तो दूसरा तिब्बत को लेकर भ्रम फैलाने में जुटा था।
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