बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि उस व्यक्ति से मत उलझो जो आपसे ज्यादा शक्तिशाली हो। लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों के कहने पर रूस जैसे मैमथ से बैर मोल ले लिया। करीब 650 दिन बीतने के बाद अब अमेरिका ने यूक्रेन की मदद करने से इंकार कर दिया है। उसने कहा है कि यूक्रेन की मदद करने के लिए उसके पास पैसा और समय दोनों ही खत्म हो गया है।
बाइडन प्रशासन ने कहा है कि अमेरिका के पास यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पैसा पहले ही खत्म हो चुका है और अगर यूक्रेन की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल होती है तो वे लड़ाई जारी नहीं रख पाएंगे। उन्होंने ये बात संसद की प्रतिनिधि सभा और सीनेट के नेताओं को लिखे और सार्वजनिक रूप से जारी किए गए एक पत्र में कही है। पत्र में लिखा है, ‘‘हमारे पास पैसे खत्म हो गए हैं और लगभग समय भी खत्म हो गया है।’’
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राष्ट्रपति जो बाइडन यूक्रेन, इजराइल और अन्य जरूरतों के लिए लगभग 106 अरब अमेरिकी डॉलर के सहायता पैकेज की मंजूरी चाहते हैं, लेकिन संसद में इसे कठिन अवरोधों का सामना करना पड़ा है, जहां यूक्रेन के लिए सहायता की मात्रा के बारे में संदेह बढ़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि ये पत्र प्रबंधन कार्यालय और बजट निदेशक शलांडा यंग ने लिखा है। इसमें कहा गया है कि साल के अंत तक अमेरिका के पास यूक्रेन को हथियार और सहायता भेजने के लिए धन की कमी हो जाएगी और इससे युद्ध के मैदान में यूक्रेन पर ‘‘दबाव’’ बढ़ेगा। खास बात ये है कि ये बयान ऐसे वक्त में आय़ा है जब व्हाइट हाउस ने कांग्रेस से अक्टूबर में 100 अरब डॉलर के पूरक वित्त पोषण अनुरोध पर कार्रवाई करने के लिए कहा था। सदन और सीनेट में नेताओं को लिखे पत्र में यंग ने कहा कि अधिक धन उपलब्ध कराने में विफलता यूक्रेन को युद्ध के मैदान में कमजोर कर देगी, जिससे न केवल यूक्रेन द्वारा अर्जित लाभ खतरे में पड़ जाएगा, बल्कि रूसी सैन्य जीत की संभावना भी बढ़ जाएगी।
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यंग ने कहा कि पेंटागन ने नवंबर के मध्य तक प्राप्त $62.3 बिलियन में से 97% का उपयोग कर लिया है।
अब तक 111 अमेरिकी डॉलर की मदद पा चुका है यूक्रेन
अमेरिकी संसद ने पहले ही यूक्रेन की सहायता के लिए 111 अरब अमेरिकी डॉलर आवंटित किए हैं, जिसमें सैन्य खरीद निधि में 67 अरब अमेरिकी डॉलर, आर्थिक और नागरिक सहायता के लिए 27 अरब अमेरिकी डॉलर और मानवीय सहायता के लिए 10 अरब अमेरिकी डॉलर शामिल हैं। बाइडन प्रशासन ने कहा है कि संसद द्वारा अधिक धन को मंजूरी दिए जाने तक उसने हाल के हफ्तों में कीव को कुछ सैन्य सहायता की गति धीमी कर दी है।
गौरतलब है कि यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की जिद के चलते रूस ने उस पर हमला किया था। रूस के खिलाफ शुरू में ही यूक्रेन सरेंडर करने जा रहा था, लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया। आश्वासन दिया गया कि नाटो रूस के खिलाफ युद्ध में उतरेगा।अब जब अमेरिका ने भी यूक्रेन की मदद करने से हाथ खड़े कर दिए हैं तो यूक्रेन की मुश्किलें बढ़नी तय हैं।
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