भय... और आक्रोश
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत जम्‍मू एवं कश्‍मीर

भय… और आक्रोश

पाकिस्तानी फौज अब अगवा लोगों को मारने के लिए तमाम ‘इंतजाम’ कर रही है, लेकिन बलूचों में आक्रोश उबल रहा है

by अरविंद
Nov 29, 2023, 02:01 pm IST
in जम्‍मू एवं कश्‍मीर
अहम सवाल: इसी कार में हुए विस्फोट में तीन अगवा बलूच युवक मारे गए। विस्फोटक रास्ते पर लगाए जाते हैं ताकि वहां से गुजरने वाली गाड़ियों को निशाना बनाया जा सके। लेकिन यहां इस चित्र में कार के पीछे कुछ दूरी पर कच्चे रास्ते की लकीर देखी जा सकती है। तो क्या रास्ते से इतनी दूर विस्फोटक लगाए गए थे?

अहम सवाल: इसी कार में हुए विस्फोट में तीन अगवा बलूच युवक मारे गए। विस्फोटक रास्ते पर लगाए जाते हैं ताकि वहां से गुजरने वाली गाड़ियों को निशाना बनाया जा सके। लेकिन यहां इस चित्र में कार के पीछे कुछ दूरी पर कच्चे रास्ते की लकीर देखी जा सकती है। तो क्या रास्ते से इतनी दूर विस्फोटक लगाए गए थे?

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सुरक्षा एजेंसियों ने जो कहानी गढ़ी है, उसमें काफी झोल हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि जहां कहीं भी बारूदी सुरंग बिछाई जाती है या विस्फोटक लगाया जाता है, यह सड़क या आने-जाने के रास्ते में लगाया जाता है ताकि वहां से गुजरने वाली गाड़ी को निशाना बनाया जा सके।

बलूचिस्तान के केच जिले का बल्गतार इलाका इन दिनों सुर्खियों में है। इसका तत्काल कारण तो यही है कि यहां के तीन बलूच युवकों की एक कार में हुए विस्फोट में मौत हो गई। लेकिन इससे बड़ा कारण यह है कि इस घटना के लिए आजादी की लड़ाई लड़ रहे बलूचों के किसी गुट को जिम्मेदार ठहराने की पुलिसिया कहानी में किसी तरह की कोई तारतम्यता नहीं है। कुल मिलाकर यह पाकिस्तानी फौज की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा मालूम पड़ रहा है।

सबसे पहले बात प्रशासन की। प्रशासन का कहना है कि तीन बलूच युवक कार से जा रहे थे और जब उनकी कार होशाब इलाके में पहुंची तो एक जोरदार विस्फोट में कार के परखचे उड़ गए, जिससे तीनों की मौके पर ही मौत हो गई। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि सड़क के किनारे विस्फोटक लगाया गया था, जिसे रिमोट से उड़ाया गया। विस्फोट में मारे गए युवकों की पहचान मोहम्मद आदिल, शाहजहां और नबी दाद के रूप में हुई है।

पहले से ही थे अगवा

पाकिस्तान प्रशासन ने मीडिया में जो रिपोर्ट लीक की है, उसमें उसने इन तीनों के बारे में यही बताया है कि वे सरकार समर्थक गुट से जुड़े हुए थे और इसलिए उन्हें बलूच लड़ाकों ने मार डाला। लेकिन बलूचिस्तान नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) ने इन मारे गए युवकों का पूरा ब्योरा जारी किया है। मोहम्मद आदिल और शाहजहां दोनों सगे भाई थे और उनके पिता का नाम आसा है, जबकि नबी दाद के पिता का नाम लिवारी है। ये तीनों एक ही परिवार के थे और इसी साल 22 अगस्त को पाकिस्तानी फौज और उसकी एजेंसियों ने इन तीनों के अलावा इसी परिवार के कुल सात लोगों को अगवा कर लिया था। अगवा किए अन्य लोग हैं लिवारी के बेटे शौकत, लश्करान के बेटे जहीर और पीरजान, शुगरुल्लाह के बेटे अहमद खान। इन सभी को अलग-अलग जगहों से अगवा किया गया। आदिल को तुरबत के नामी वकील सैयद माजिद शाह के चैंबर से अगवा किया गया जबकि शाहजहां और नबी दाद को तुरबत के सिविल अस्पताल से। सैयद माजिद पेशे से वकील होने के नाते आदिल को अगवा किए जाने के खिलाफ एफआईआर कराने में सफल रहे, लेकिन वह इससे ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। आदिल के मामले में वह लगातार पुलिस के संपर्क में रहे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

काजीदाद रेहान कहते हैं-

‘‘कार की हालत को देखकर साफ लगता है कि विस्फोट कार के भीतर हुआ, बाहर से नहीं। कार की पूरी छत और इंजन वाला भाग जिस तरह विस्फोट में उड़ गया, उससे लगता है कि विस्फोटक कार के अगले हिस्से में कहीं रखा गया था।’’

साफ है कि पाकिस्तानी फौज ने इन बलूच युवकों को अगवा किया था और उनका भी वही हश्र हुआ, जो न जाने कितनों के साथ आए दिन हो रहा है। पाकिस्तानी फौज ने बलूचों को जोर-जुल्म से काबू करने की रणनीति अपना रखी है और इसी का नतीजा है कि वह लोगों को अगवा करके उन्हें तरह-तरह की यातनाएं देती है। ज्यादातर लोगों को मारकर दफना दिया जाता है। लाशें भी कुछ ही लोगों की नसीब हो पाती हैं। बीएनएम के सूचना सचिव काजीदाद रेहान कहते हैं, ‘‘पाकिस्तानी फौज की दरिंदगी की कहानी बलूचिस्तान का जर्रा-जर्रा कह रहा है, लेकिन दुनिया में इनसानी हकूक की तमाम पैरोकार एजेंसियों और मुल्कों के कानों तक यह बात नहीं पहुंच पा रही है। आखिर जगह-जगह इज्तेमाई (सामूहिक) कब्रें क्यों मिल रही हैं? चाहे सिब्बी रोड पर दश्त में मिली कब्र हो या फिर तूतक में, क्या पाकिस्तानी हुकुमत ने कभी बताया कि इनमें दफन सैकड़ों-हजारों लोग कौन हैं? मुल्तान के निश्तर अस्पताल की छत पर सैकड़ों सड़ी-गली लाशें क्यों मिलती हैं? है किसी के पास जवाब? जाहिर है, ये उन्हीं लोगों की हैं जिन्हें फौज ने गायब कर दिया।’’

कहानी में झोल

वैसे, सामूहिक कब्रों के मिलने से इतना जरूर हुआ है कि फौज अब अगवा लोगों को ठिकाने लगाने में दूसरी एजेंसियों की मदद ले रही है, ताकि उसके दामन तक आंच न आए। बल्गतार में जिस कार विस्फोट में तीन बलूच युवा मारे गए, वह कार तुरबत के एक व्यक्ति की थी। तुरबत के ही रियाज ने बताया, ‘इस कार को आतंकवाद विरोधी पुलिस (सीटीडी) ने जब्त किया था। उसके बाद से कार का क्या हुआ, पता नही चला, बाद में खबर आई कि उसी कार में हुए विस्फोट में तीन बलूच नौजवान मारे गए हैं।’ फ्रंटियर कॉर्प्स, सीटीडी और पुलिस से लेकर फौज के भाड़े के लोगों तक का इस्तेमाल पाकिस्तानी फौज अगवा लोगों की हत्या में करती है, ताकि हर मामले में उस पर उंगली न उठे।

वैसे, सुरक्षा एजेंसियों ने जो कहानी गढ़ी है, उसमें काफी झोल हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि जहां कहीं भी बारूदी सुरंग बिछाई जाती है या विस्फोटक लगाया जाता है, यह सड़क या आने-जाने के रास्ते में लगाया जाता है ताकि वहां से गुजरने वाली गाड़ी को निशाना बनाया जा सके। लेकिन जब कार में विस्फोट हुआ तो वह कच्चे रास्ते से कुछ दूरी पर थी और जहां विस्फोट हुआ, वहां जमीन में ऐसा कोई गड्ढा भी नहीं था। काजीदाद रेहान कहते हैं, ‘‘कार की हालत को देखकर साफ लगता है कि विस्फोट कार के भीतर हुआ, बाहर से नहीं। कार की पूरी छत और इंजन वाला भाग जिस तरह विस्फोट में उड़ गया, उससे लगता है कि विस्फोटक कार के अगले हिस्से में कहीं रखा गया था।’’ इसका सीधा सा मतलब यही है कि फौज के हाथों अगवा लोगों को मारने की साजिश रची गई, जिसमें तमाम एजेंसियों ने भाग लिया।

इसके अलावा तीनों युवकों के क्षत-विक्षत शवों को देखकर भी यही लगता है कि वे लंबे समय से हिरासत में थे, जहां वे अपनी साफ-सफाई नहीं कर पा रहे थे। दाढ़ी और बाल बेतरतीब तरीके से बढ़े हुए थे। इसके अलावा, ऐसा लगता है कि विस्फोट में उड़ाने से पहले वे अधमरी हालत में थे। काजीदाद रेहान कहते हैं, ‘‘उनके शवों पर गोलियों के निशान थे जो बताते हैं कि उन्हें जख्मी हालत में कार में रखकर ले जाया गया और फिर कार को विस्फोट से उड़ा दिया गया। लेकिन अफसोस की बात है कि पाकिस्तान का मुख्यधारा मीडिया फौज के हाथों का खिलौना बन गया है और बलूचिस्तान के बारे में वही छापता है जो फौज चाहती है।’’ इसके साथ ही बीएनएम ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार हनन की जांच करे। आज के समाज में दुनिया के एक कोने में इस तरह की बर्बरता हो, यह इंसानियत के नाम पर धब्बा है।

पाकिस्तानी फौज की दरिंदगी की कहानी बलूचिस्तान का जर्रा-जर्रा कह रहा है, लेकिन दुनिया में इनसानी हकूक की तमाम पैरोकार एजेंसियों और मुल्कों के कानों तक यह बात नहीं पहुंच पा रही है। आखिर जगह-जगह इज्तेमाई (सामूहिक) कब्रें क्यों मिल रही हैं? चाहे सिब्बी रोड पर दश्त में मिली कब्र हो या फिर तूतक में, क्या पाकिस्तानी हुकुमत ने कभी बताया कि इनमें दफन सैकड़ों-हजारों लोग कौन हैं?

एक तीर, कई निशाने

किसी समाज की एकजुटता को तोड़ने का सबसे आसान तरीका उसके भीतर संशय और मतभेद पैदा करके छोटे-छोटे टुकड़े करना होता है। बलूचिस्तान में पाकिस्तान फौज यही कर रही है। बेशक, बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैसे तूल नहीं पकड़ सका है जैसा होना चाहिए था, लेकिन इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस जमाने में कुछ खबरों के बाहर आ जाने के कारण पाकिस्तानी फौज ने रणनीति थोड़ी बदली है। उसकी कोशिश आजादी के लिए लड़ रहे बलूचों के प्रति उनके ही समाज में गलतफहमी पैदा करने की है। इसी वजह से फौज ने पहले यह अफवाह फैलाई कि मारे गए लोग सरकार समर्थक थे। फौज का मकसद एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास दिखता है। पहला, बलूच समाज को बांटकर उनकी आजादी की लड़ाई को कमजोर करना। दूसरा, अगवा बलूचों की हत्या करने का एक ‘सुरक्षित’ तरीका खोज लेना और तीसरा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह बताना कि बलूचों में अराजक और उग्रवादी तत्वों की भरमार है और इसलिए पाकिस्तानी फौज के लिए उन्हें काबू में करना जरूरी है।

लेकिन पाकिस्तान की इस तरह की रणनीति का बलूच समाज पर शायद ही असर पड़े। कारण साफ है- बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध से लेकर गिलगित-बालटिस्तान तक, समाज पाकिस्तानी हुकूमत और फौज की असलियत से काफी हद तक परिचित हो चुका है और इस कारण इन इलाकों में असंतोष और गुस्से की चिंगारी सुलग रही है, जो कभी भी ज्वालामुखी की तरह फट सकता है।

Topics: बलूचिस्तानसिंधआतंकवाद विरोधी पुलिसपाकिस्तान का मुख्यधारा मीडिया फौजखैबर पख्तूनख्वाPakistan's mainstream media army
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

महरंग बलोच की गिरफ्तारी को लेकर अनेक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है

महरंग बलोच को छोड़ कई बलूच कार्यकर्ताओं को रिहा करके क्या अपने लिए हमदर्दी पैदा कर सकती है पाकिस्तान सरकार?

पांक ने सोशल मीडिया पर साझा की ये तस्वीरें

बलूचिस्तान: पाकिस्तानी सेना ने अस्पताल में 50 से अधिक क्षत-विक्षत शव फेंके, रिपोर्ट्स में खुलासा

बलूच नेशनल पार्टी के नेता अख्तर मेंगल

’71 में पिटी पाकिस्तानी फौज को बलूच नेता ने दिखाया उसका असली चेहरा, कहा-मत भूलो 90 हजार फौजियों का आत्मसमर्पण

पाकिस्तानी आतंकी (बाएं से) अबु ताल्हा और सुलेमान शाह (दाएं से पहला)  एवं तीसरे स्थान पर स्थानीय आतंकी जुनैद जो एक मुठभेड़ में पहले ही मारा जा चुका है

‘जिहादी जड़ों को काटना ही होगा’

आतंकी हमले में मारे गए लोगों  को श्रद्धांजलि देते और प्रकोष्ठ में एक पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाते गृहमंत्री अमित शाह।

‘पहलगाम हमला हिन्दू नरसंहार है’

Water Strike: तड़पेगा पाकिस्तान, जानें क्या है सिंधु जल समझौता और इसे रोकने से क्या होगा असर

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies