आखिर कब तक?
July 25, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम सम्पादकीय

आखिर कब तक?

इस्राएल के खिलाफ चल रहे प्रचार युद्ध में एक बड़ा तर्क दिया गया कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों का पलायन हो रहा है। कितनी बड़ी संख्या में? मुश्किल से 2 लाख और यह शोर सबसे ज्यादा मचाने वाले पाकिस्तान में पिछले एक महीने में 20 लाख से ज्यादा मुसलमानों को बेदखल किया गया, पूरी तरह लूटकर उन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया

by हितेश शंकर
Nov 29, 2023, 08:23 am IST
in सम्पादकीय

क्या यह माना जाए कि उम्माह सिर्फ मानव जाति के विरुद्ध सतत युद्ध की घोषणा है? विडंबना यह कि इन सारी चीजों पर एक मजहबी मुलम्मा चढ़ा देने से कई चीजें उसकी ओट में छिप जाती हैं। लेकिन आखिर कब तक?

इस्राएल और हमास के बीच युद्ध विराम को लेकर एक सहमति बनती नजर आ रही है। अच्छी बात है। शांति और युद्ध विराम की आवश्यकता तो वे लोग भी इस्राएली जवाबी कार्रवाई के बाद से ही व्यक्त करते रहे हैं, जो सिर्फ युद्ध की तैयारी लगातार करते रहे हैं, और जिनके मानस में सिर्फ अपने अलावा शेष मानव जाति के लिए सिर्फ घृणा भरी है। और यह वह तथ्य है, जिसकी अनदेखी करके अथवा जिसका कोई समाधान निकाले बिना किसी प्रकार की शांति की अपेक्षा रखना व्यर्थ ही है।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि युद्ध विराम तो किसी भी पक्ष से कभी भी तोड़ा जा सकता है। ऐसे में यह विचार करना आवश्यक है कि आखिर किस पक्ष द्वारा युद्ध विराम तोड़ने की संभावना कितनी अधिक और कितनी वास्तविक है। जब तक इसकी संभावना बनी रहेगी, स्थायी शांति संभव ही नहीं होगी।

यह एक यक्ष प्रश्न है। जटिल जरा भी नहीं लेकिन उत्तर देना सरल भी नहीं। भले ही 7 अक्तूबर को हमास द्वारा किए गए हमलों को उचित ठहराने के लिए सैकड़ों तर्क दिए जाएं, सत्य यह है कि चली आ रही शांति को बिना किसी तात्कालिक कारण के भंग किया गया था और अगर गैर-तात्कालिक कारण खोजें, तो कहना होगा अकारण भंग किया गया था। वास्तव में इन आतंकवादी हमलों का कोई कारण नहीं होता है, उसकी तो खोज की जाती है, बल्कि अनुसंधान किया जाता है।

इस्राएल के खिलाफ चल रहे प्रचार युद्ध में एक बड़ा तर्क दिया गया कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों का पलायन हो रहा है। कितनी बड़ी संख्या में? मुश्किल से 2 लाख और यह शोर सबसे ज्यादा मचाने वाले पाकिस्तान में पिछले एक महीने में 20 लाख से ज्यादा मुसलमानों को बेदखल किया गया, पूरी तरह लूटकर उन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया, उनसे कहा गया कि उन्होंने जो भी कुछ कमाया है वह उसे यही छोड़ दें। यहां तक कि उन्हें अपने पालतू जानवर भी अपने साथ ले जाने की अनुमति नहीं दी गई। इतनी विशाल जनसंख्या को ठंड के मौसम में, अफगानिस्तान धकेल दिया गया। तब न वहां दवाइयां का रोना रोया गया, न भोजन का, न पानी का, न बिजली का, न इंटरनेट का, न मानवाधिकारों का और न इस्लाम का।

अगर इतिहास के एक शिक्षक को शरण पाकर रहने वाले एक बच्चे ने सिर्फ चित्र बनाने के आरोप में जान से मार दिया था, तो इसे कारण नहीं माना जा सकता। यह तो मन में भरी हुई नफरत थी, जो कारण खोज रही थी। चित्र बनाना या कार्टून बनाना भी कारण नहीं माना जा सकता है। भारत ने कौन-सा कार्टून बनाया था, जो वह 1400 वर्ष से लगातार हमले झेल रहा है, और जिसकी शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा आज भी वही आतंकवाद है?

फिर भी दो बहुत रोचक पहलू सामने आते हैं। एक यह कि हमलावरों के इस गिरोह को लगातार ऐसे लोग मिलते जाते हैं जो अपने आका के इशारे पर अपनी और दूसरों की जान का सौदा करने के लिए तैयार रहते हैं और दूसरा इनके युद्ध में बंधक बनाकर प्रयुक्त की गई मानव जाति को हमेशा उस उम्माह का सपना दिखाया जाता है, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं होता।

इस्राएल के खिलाफ चल रहे प्रचार युद्ध में एक बड़ा तर्क दिया गया कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों का पलायन हो रहा है। कितनी बड़ी संख्या में? मुश्किल से 2 लाख और यह शोर सबसे ज्यादा मचाने वाले पाकिस्तान में पिछले एक महीने में 20 लाख से ज्यादा मुसलमानों को बेदखल किया गया, पूरी तरह लूटकर उन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया, उनसे कहा गया कि उन्होंने जो भी कुछ कमाया है वह उसे यही छोड़ दें। यहां तक कि उन्हें अपने पालतू जानवर भी अपने साथ ले जाने की अनुमति नहीं दी गई। इतनी विशाल जनसंख्या को ठंड के मौसम में, अफगानिस्तान धकेल दिया गया। तब न वहां दवाइयां का रोना रोया गया, न भोजन का, न पानी का, न बिजली का, न इंटरनेट का, न मानवाधिकारों का और न इस्लाम का।

हाल ही में रोहिंग्याओं से लदी नावें जब इंडोनेशिया के तट के पास आने लगी तो इंडोनेशिया की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह खदेड़ दिया। तब वहां इस्लाम कोई मुद्दा नहीं था। सऊदी अरब में घुसने की कोशिश कर रहे फिलिस्तीनियों पर जब सऊदी सेना ने मशीनगनों से फायरिंग की, जिसमें सैकड़ों फिलिस्तीनी मारे गए, तब भी इस्लाम कोई मुद्दा नहीं था।

जब जॉर्डन ने हजारों फिलिस्तीनियों का कत्ल कराया और जब पाकिस्तान की सेना ने नरसंहार को अंजाम दिया, जब सीरिया में अपने ही नागरिकों पर बमबारी की गई, तब भी उम्माह कहीं रास्ते में नहीं आया। लेकिन किसी इस्राएल का, चार्ली हेब्दो का नाम आते ही तुरंत यह आविष्कार कर लिया जाता है कि इतने सारे देश हैं और वह सब मिलकर एक उम्माह होते हैं और ऐसे काफिरों का कत्ल तो उम्माह का फर्ज होता है। तो फिर आखिर यह उम्माह है क्या? क्या यह माना जाए कि उम्माह सिर्फ मानव जाति के विरुद्ध सतत युद्ध की घोषणा है? विडंबना यह कि इन सारी चीजों पर एक मजहबी मुलम्मा चढ़ा देने से कई चीजें उसकी ओट में छिप जाती हैं। लेकिन आखिर कब तक?
@hiteshshankar

हितेश शंकर
Editor at Panchjanya |  + postsBio ⮌

हितेश शंकर पत्रकारिता का जाना-पहचाना नाम, वर्तमान में पाञ्चजन्य के सम्पादक

  • हितेश शंकर
    https://panchjanya.com/author/hitesh-shankar/
    ‘गोपालगंज की चुप्पी’… बांग्लादेश की आत्मा पर चली गोलियां
  • हितेश शंकर
    https://panchjanya.com/author/hitesh-shankar/
    विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल
  • हितेश शंकर
    https://panchjanya.com/author/hitesh-shankar/
    देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम
Topics: इस्राएल और हमास के बीच युद्ध विरामBoats loaded with religious figures and Rohingyas when ceasefire between IndonesiaIsrael and Hamasमजहबी मुलम्मारोहिंग्याओं से लदी नावें जब इंडोनेशिया
Share8TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बॉम्बे हाई कोर्ट

दरगाह गिराने का आदेश वापस नहीं होगा, बॉम्बे HC बोला- यह जमीन हड़पने का मामला; जानें अवैध कब्जे की पूरी कहानी

PM Modi meeting UK PM Keir Starmer in London

India UK Trade Deal: भारत और ब्रिटेन ने समग्र आर्थिक एवं व्यापारिक समझौते पर किए हस्ताक्षर, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

भारतीय मजदूर संघ की एक रैली में जुटे कार्यकर्त्ता

भारतीय मजदूर संघ के 70 साल : भारत की आत्मा से जोड़ने वाली यात्रा

Punjab Drugs death

पंजाब: ड्रग्स के ओवरडोज से उजड़े घर, 2 युवकों की मौत, AAP सरकार का दावा हवा-हवाई

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उधमसिंह नगर जिले में मां के साथ मतदान किया।

उत्तराखंड: पंचायत चुनाव का पहला चरण, लगभग 62 प्रतिशत हुई वोटिंग, मां के साथ मतदान करने पहुंचे सीएम धामी

संत चिन्मय ब्रह्मचारी को बांग्लादेश में किया गया है गिरफ्तार

हिंदू संत चिन्मय ब्रह्मचारी को नहीं मिली जमानत, 8 महीने से हैं बांग्लादेश की जेल में

आरोपी मोहम्मद कासिम

मेरठ: हिंदू बताकर शिव मंदिर में बना पुजारी, असल में निकला मौलवी का बेटा मोहम्मद कासिम; हुआ गिरफ्तार

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर

India UK FTA: भारत-ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौते पर किए हस्ताक्षर, जानिये इस डील की बड़ी बातें

बांग्लादेश के पूर्व चीफ जस्टिस खैरुल हक।

बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक गिरफ्तार, शेख हसीना के थे करीबी

एक चार्जर से कई फोन चार्ज करना पड़ सकता है महंगा, जानिए इससे होने वाले नुकसान

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies