स्वतंत्र भारत के समक्ष जब देश के विकास हेतु युवा शक्ति की ऊर्जा को राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में लगाने की चुनौती सामने आई तो शुरुआत हुई ऐसे छात्र संगठन की जिसने कैम्पस में राजनीतिक उद्देश्यों से आगे बढ़कर युवा ऊर्जा को नियोजित करने, राष्ट्र के उत्थान में सभी की सहभागिता सुनिश्चित करने और राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया। वर्ष 1949 में पंजीकृत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का लक्ष्य युवा शक्ति को राष्ट्र निर्माण के मार्ग पर अग्रसर करना था। यह काम आसान नहीं था क्योंकि अंग्रेजी शासन से मिली आजादी के बाद युवा पीढ़ी के समक्ष प्रत्यक्ष रूप से कोई ऐसी चुनौती शेष नहीं थी, जो उन्हें संगठित कर एक ध्येय की ओर अग्रसर कर सके। एबीवीपी के लिए भी यह चुनौती थी कि वो कैसे युवाओं को आजाद भारत के लक्ष्य से आगे बढ़कर भारत निर्माण, राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर करे, लेकिन यह असंभव नहीं था और ऐसे में संगठन को प्राध्यापक यशवंतराव केलकर के रूप में मिला एक ऐसा कुशल विश्वकर्मा जिन्होंने परिषद को अखिल भारतीय स्तर पर न केवल गढ़ा अपितु अपनी रचनात्मकता से देश के मानस पटल पर ऐसे स्थापित किया कि आज तक युवा शक्ति के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में यह संगठन अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
स्वर्गीय यशवंतराव केलकर एक आदर्श सामाजिक कार्यकर्ता का जीता जागता उदाहरण थे। विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले अनेक व्यक्तियों के लिए वह प्रकाश स्तंभ थे। उनके इसी यश का प्रभाव है कि परिषद् उनके नाम पर प्रतिवर्ष यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार प्रदान करती है। वर्ष 1991 से शुरू हुए पुरस्कार की इस श्रृंखला में सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को उनके कार्यों के लिए पुरस्कृत किया जाता है। अब तक इस पुरस्कार से कुल 32 युवाओं को सम्मानित किया जा चुका है। जहां तक बात संगठन के अमृत वर्ष की है तो इस वर्ष यह पुरस्कार और भी खास है और इसके आगामी 7 से 10 दिसंबर, 2023 को राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में यह पुरस्कार तीन विशिष्ट हस्तियों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया जायेगा। इस पुरस्कार को पाने वालों को देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि एबीवीपी और उसके मार्गदर्शक व प्रेरणा के स्रोत यशवंतराव केलकर किस तरह से समाज के बीच रहकर समाज, देश व विश्व कल्याण के लिए कार्य करने वालों के निरंतर सहयोगी बने हुए हैं। इस वर्ष एबीवीपी की ओर से निर्धारित निर्णायक मंडल द्वारा सामाजिक उद्यमी एवं डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक शरद विवेक सागर को कम आय एवं वंचित वर्ग के भारतीय युवाओं को वैश्विक स्तर की शिक्षा लेने में सक्षम बनाने हेतु, बाजरा क्वीन लहरी बाई पड़िया को श्रीअन्न (मिलेट्स) के संरक्षण व संवर्धन के मौलिक कार्य हेतु तथा डॉ. वैभव भंडारी को दिव्यांगों के जीवनस्तर को बेहतर और आत्मविश्वास युक्त बनाने के लिए, प्राध्यापक यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार 2023 हेतु चयनित किया गया है।
पुरस्कार पाने वाले शरद विवेक सागर बिहार के एक छोटे से गाँव जीरादेई के रहने वाले हैं। बाल्यावस्था में ही शरद, श्री रामकृष्ण-विवेकानंद की शिक्षाओं से परिचित व प्रेरित हुए। युवाओं की शिक्षा संबंधी विभिन्न समस्याओं का निवारण करते हुए शैक्षिक अवसरों और प्रशिक्षण के माध्यम से युवा पीढ़ी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शरद ने वर्ष 2008 में डेक्सटेरिटी ग्लोबल नामक मंच की स्थापना की। डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने सुदूर भारतीय कस्बों और गांवों के 70 लाख से अधिक युवा नागरिकों को शैक्षिक अवसरों से जोड़ा है, डेक्सटेरिटी ग्लोबल के पूर्व छात्रों ने एक हजार से अधिक प्रमुख राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज की है तथा विश्व के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों से कुल 175 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति हासिल की है। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी लघु आय एवं वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी तरह मूलतः पाली राजस्थान के रहने वाले डॉ वैभव भंडारी ने दिव्यांगों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है। विधि विषय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त वैभव भंडारी बचपन से ही मांसपेशिय दुर्विकास (मस्कुलर डिस्ट्राफी) के कारण जीवन-परिवर्तनकारी समस्याओं का सामना करना पड़ा, हालाँकि वैभव इस चुनौती के सामने झुके नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित करने के लिए अटूट दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया। वैभव के कार्यों ने समाज के विभिन्न पहलुओं में ऐसे परिवर्तन किया जिससे दिव्यांगों के लिए रास्ते आसान हो सकें। वैभव भंडारी सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी रहे हैं। वैभव भंडारी को दिव्यांगों के समर्थन में अनुकरणीय कार्य के लिए भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समर्पण, दृढ़ता और सकारात्मक प्रभाव डालने का जुनून वैभव भंडारी की उल्लेखनीय यात्रा को परिभाषित करता है।
युवा पुरस्कार के लिए चुनी गई तीसरी शख्सियत की बात करें तो वह है सुश्री लहरी बाई पड़िया जिन्हें बाजरा क्वीन के नाम से भी पहचाना जाता है। उन्हें यह पुरस्कार उनके प्रयास श्रीअन्न (मिलेट्स) नाम प्रयास के लिए दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश के जनजातीय जिला डिंडोरी की रहने वाली बैगा जनजाति की लहरी बाई ने बेवर बीज बैंक तैयार किया है। खास बात यह है कि उन्होंने यह काम अपने दम पर बिना किसी सरकारी मदद के किया। उनकी उपलब्धि के परिणामस्वरूप ही डिंडोरी के कलेक्टर ने उन्हें जिले का ब्रांड एम्बेडसर भी घोषित किया है।
एबीवीपी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत का कहना है कि विद्यार्थी परिषद को आगे बढ़ाने में असंख्य कार्यकर्ताओं का योगदान है लेकिन प्रा. यशवंतराव जी का स्थान उन सभी में विशिष्ट है। वे असंख्य विद्यार्थियों के सच्चे मित्र, अनुपम तत्व वेत्ता और मार्गदर्शक थे। विभिन्न प्रतिभाओं एवं क्षमताओं के युवक-युवतियों के मन में देश और समाज की स्थिति के बारे में सजगता उत्पन्न करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए जीवनभर प्रयास किया। प्रा.यशवंतराव केलकर के जीवन से जुड़े इन्हीं भावों को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष संगठन की ओर से देश, समाज व विश्व कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने हेतु युवा पुरस्कार प्रदान किया जाता है। निश्चित ही हमारी यह कोशिश सभी के प्ररेणास्रोत प्रा.यशवंत केलकर जी की सोच को जन-जन तक पहुंचाने में सहयोगी होगी।
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