वाराणसी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने काशी के नमो घाट पर भव्य देव दीपावली का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। उन्होंने विदेशी मेहमानों के साथ क्रूज से काशी के अर्धचंद्राकार गंगा घाटों पर जलायी गयी दीपमालिकाओं का अवलोकन किया। नमो घाट पर विदेशी मेहमानों ने मुख्यमंत्री के साथ फोटो भी खिंचवाई।
भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी में अर्धचंद्राकार घाटों पर होने वाले भव्य देव दीपावली आयोजन की पहचान अब प्रदेश के मेले के रूप में है। प्रदेश सरकार ने देवताओं के उत्सव देव दीपावली को राजकीय मेला घोषित कर दिया है। घाटों पर देव दीपावली के आयोजन के लिए सजाने और संवारने का कार्य भव्य तरीके से किया गया।
इस बार घाटों पर सजने वाली दीपमाला के साक्षी 70 देशों के राजदूतों के साथ ही, 150 विदेशी डेलीगेट्स और उनके परिजन भी बने। इनमें इण्डोनेशिया, इटली, चीन, पोलैंड, रूस, नेपाल, भूटान, ग्रीस समेत अन्य देशों के राजदूत, उच्चायुक्त व शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। सभी ने देव दीपावली के अद्भुत एवं अकल्पनीय आयोजन को निहारा। मेहमानों को विवेकानंद क्रूज से देव दीपावली और गंगा पार होने वाली आतिशबाजी का नजारा दिखाया गया।
मुख्यमंत्री ने सभी मेहमानों का स्वागत किया। मेहमानों ने नमो घाट से क्रूज पर सवार होकर देव दीपावली के भव्य नजारे को कैद किया। भारतीय परम्परा के अनुसार मेहमानों का एयरपोर्ट पर परम्परागत तरीके से टीका लगाकर व अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत किया गया। एयरपोर्ट सहित विभिन्न स्थानों पर लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। नमो घाट पर भी उनका स्वागत सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से किया गया। मेहमानों के स्वागत के लिए रास्तों और चैराहों को सजाया गया है। विदेशी मेहमानों ने लेजर और क्रैकर शो का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी अविनाशी है। यह देवाधिदेव महादेव बाबा विश्वनाथ का धाम है। मनुष्य अमावस्या के दिन दीपावली मनाता है, जबकि कार्तिक पूर्णिमा की तिथि देवताओं की दीपावली है। देव दीपावली काशी की परम्परा का हिस्सा रही है। काशी के लोकप्रिय सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारण देव दीपावली काशी सहित देश व दुनिया का एक आध्यात्मिक कार्यक्रम बन गयी है। प्रधानमंत्री जी 2 वर्ष पूर्व देव दीपावली में सहभागी बने थे। देव दीपावली कार्यक्रम के साक्षी आज दुनिया के 70 देशों के राजनयिक तथा अन्य लोग बन रहे हैं।
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