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पेड़ों पर लगेगा पैसा

भारत में ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम शुरू करने के पीछे मूल उद्देश्य है बाजार आधारित प्रणाली के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करना तथा टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा देना। इस कार्यक्रम के तहत कार्बन उत्सर्जन कम करने पर व्यक्ति व संस्थाएं कार्बन क्रेडिट अर्जित कर सकेंगी

by संदीप कुमार नायक
Nov 27, 2023, 11:06 am IST
in भारत, विश्लेषण, पर्यावरण
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जलवायु परिवर्तन, स्थिरता और पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाओं को प्रोत्साहन देने के लिए भारत के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाती है। जीपीसी के तहत प्रतिभागी पर्यावरणीय धारणीयता को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों के लिए ग्रीन क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं। आमतौर पर ‘ग्रीन क्रेडिट’ को पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक वित्त पोषण पाइपलाइन के रूप में समझा जाता है

सरकार ने इस वर्ष अक्तूबर में टिकाऊ जीवन शैली और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए ‘लाइफ’ यानी पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली पहल के अंतर्गत एक ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम (जीसीपी) के लिए अधिसूचना जारी की। इस स्वैच्छिक कार्यक्रम की शुरुआत पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत की गई है। यह एक नवाचार है, जो ‘ग्रीन क्रेडिट’ की सामान्य धारणा से काफी अलग है। जीसीपी एक अभिनव बाजार-आधारित व्यवस्था है, जिसे व्यक्तियों, समुदायों, निजी क्षेत्र के उद्योगों व कंपनियों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए डिजाइन किया गया है।

 ‘‘हमें ‘कार्बन क्रेडिट’ से ‘ग्रीन क्रेडिट’ की ओर बढ़ना चाहिए।’’
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 

यह पहल जलवायु परिवर्तन, स्थिरता और पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाओं को प्रोत्साहन देने के लिए भारत के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाती है। जीपीसी के तहत प्रतिभागी पर्यावरणीय धारणीयता को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों के लिए ग्रीन क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं। आमतौर पर ‘ग्रीन क्रेडिट’ को पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक वित्त पोषण पाइपलाइन के रूप में समझा जाता है, जबकि जीसीपी के मूल में धरती के हितैषी जन हैं। इसका लक्ष्य विभिन्न हितधारकों के पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित कर ग्रीन क्रेडिट के लिए प्रतिस्पर्धी बाजार-आधारित दृष्टिकोण का लाभ उठाना है। ‘ग्रीन क्रेडिट’ का अर्थ है विशिष्ट गतिविधि के लिए प्रदान की जाने वाली प्रोत्साहन की एक इकाई, जो सरकार द्वारा अधिसूचित नियमों के तहत परिभाषित पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।

वास्तव में जीसीपी ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ (लाइफ) अभियान का एक हिस्सा है। यह पर्यावरणीय हितैषी कार्यों को तेज कर पर्यावरण की सुरक्षा करने, पर्यावरण संरक्षण करने तथा अन्य पर्यावरणीय व जलवायु लाभों के लिए जमीनी स्तर का जनांदोलन है। जीसीपी जीवन जीने के उन स्वस्थ और टिकाऊ तरीकों का प्रचार करता है, जो पर्यावरण के संरक्षण, संयम की परंपराओं और मूल्यों पर आधारित हैं। जीपीसी कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना-2023 के तहत प्राप्त कार्बन क्रेडिट से भिन्न और स्वतंत्र है। ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने से जलवायुगत लाभ भी हो सकते हैं, जैसे-कार्बन उत्सर्जन में कटौती या उसकी समाप्ति। इस कार्यक्रम के तहत ग्रीन के्रडिट उत्पन्न करने वाली गतिविधियों को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना के तहत उसी गतिविधि से कार्बन क्रेडिट भी मिल सकता है।

ग्रीन क्रेडिट और जी-20

11 नवंबर, 2015 को तुर्की में विकास और जलवायु परिवर्तन पर जी-20 वर्किंग लंच में महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘‘हमें ‘कार्बन क्रेडिट’ से ‘ग्रीन क्रेडिट’ की ओर बढ़ना चाहिए।’’ जी-20 का वैश्विक व्यापार समुदाय के साथ संवाद का आधिकारिक मंच है बिजनेस-20 (बी-20)। अगस्त 2023 में नई दिल्ली में बी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘‘पृथ्वी की भलाई भी हमारी जिम्मेदारी है।’’ उन्होंने कहा था कि मिशन लाइफ का उद्देश्य प्रो प्लैनेट लोगों के एक समूह का निर्माण करना है। जब जीवनशैली और व्यवसाय, दोनों प्रो प्लैनेट हो जाएंगे, तो आधे मुद्दे कम हो जाएंगे। उन्होंने जीवन और व्यापार को पर्यावरण के अनुरूप ढालने पर जोर दिया और भारत द्वारा व्यापार के लिए ग्रीन के्रडिट की रूपरेखा तैयार करने की जानकारी दी, जिसमें धरती के प्रति सकारात्मक कार्यों पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक व्यापार के सभी दिग्गजों से एक साथ आने तथा इसे एक वैश्विक आंदोलन बनाने का आह्वान किया था। बी-20 शिखर सम्मेलन के कारण दुनिया भर से नीति निर्माता, व्यापारिक नेता और विशेषज्ञ बी-20 इंडिया विज्ञप्ति पर विचार-विमर्श और चर्चा करने के लिए भारत आए थे। बी-20 इंडिया कम्युनिकेशन में जी-20 को 54 सिफारिशें और 172 नीतिगत कार्रवाइयां प्रस्तुत की गईं थीं।

ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम के उद्देश्य

ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम बाजार-आधारित तंत्र के माध्यम से पर्यावरण के लिए सकारात्मक कार्यों को प्रोत्साहित करेगा और ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करेगा, जिसका लेन-देन किया जा सकेगा और जिसे घरेलू बाजार मंच पर व्यापार के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। ग्रीन क्रेडिट नियमों के तहत परिभाषित कोई भी पर्यावरण गतिविधि चलाने से ग्रीन क्रेडिट प्राप्त होगा। ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम उद्योगों, कंपनियों और अन्य संस्थाओं को अपने मौजूदा दायित्वों या कानून के तहत लागू अन्य दायित्वों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा और अन्य व्यक्तियों व संस्थाओं को स्वैच्छिक ढंग से पर्यावरणीय उपाय करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

  1. 1, ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम के अंतर्गत आठ व्यापक गतिविधियां शामिल हैं—
     देश में हरित आवरण बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण;
    2. जल प्रबंधन- जल संरक्षण, जल संचयन और जल उपयोग दक्षता या जल बचत को बढ़ावा देना, जिसमें अपशिष्ट जल का उपचार और पुन: उपयोग शामिल है;
    3. टिकाऊ कृषि- उत्पादकता, मिट्टी के स्वास्थ्य और उत्पादित भोजन के पोषण मूल्य में सुधार के लिए प्राकृतिक और पुनर्योजी कृषि प्रथाओं और भूमि बहाली को बढ़ावा देना;
    4. अपशिष्ट प्रबंधन- संग्रहण, पृथक्करण और पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ प्रबंधन सहित अपशिष्ट प्रबंधन के लिए चक्रीयता, टिकाऊ व बेहतर प्रथाओं को बढ़ावा देना;
    5. वायु प्रदूषण में कमी- वायु प्रदूषण को कम करने और अन्य प्रदूषण उपशमन गतिविधियों के उपायों को बढ़ावा देना;
    6. मैंग्रोव वनों के संरक्षण व पुनर्स्थापन के उपायों को बढ़ावा देना;
    7. ईको मार्क लेबल का विकास करना, जिसमें निर्माताओं को अपनी वस्तुओं और सेवाओं के लिए ईको मार्क लेबल प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ;
    8. पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों और सामग्रियों का उपयोग कर टिकाऊ इमारतों व अन्य बुनियादी ढांचा निर्माण को प्रोत्साहित करना।

जो भी व्यक्ति या संस्था ग्रीन क्रेडिट प्राप्त करना चाहती है, उसे ग्रीन क्रेडिट अनुदान के लिए प्रशासन के समक्ष अपनी गतिविधि पंजीकृत करनी होगी। यहां भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद को प्रशासक बनाया गया है। पंजीकरण प्रक्रिया के लिए आवेदन आनलाइन किया जा रहा है, जिसमें मानवीय आमना-सामना न्यूनतम रहेगा। आवेदन के बाद गतिविधि की आवश्यक जांच-पुष्टि आदि के बाद प्रशासक आवेदक को ग्रीन क्रेडिट का प्रमाणपत्र प्रदान करेगा। दो गतिविधियों- वृक्षारोपण और जल के संबंध में ग्रीन क्रेडिट की गणना के लिए मसौदा पद्धतियां केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जा चुकी हैं। ग्रीन क्रेडिट रजिस्ट्री और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को चालू किया जा रहा है। ग्रीन क्रेडिट की गणना वांछित पर्यावरणीय परिणामों को प्राप्त करने के लिए संसाधनों की आवश्यकता, पैमाने, दायरे, आकार और अन्य प्रासंगिक मापदंडों जैसे कारकों द्वारा निर्धारित की जाती है।

बाजार क्रिया विधि

ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम में कंपनियों की स्वैच्छिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक सशक्त बाजार तंत्र विकसित किया जा रहा है। कॉरपोरेट्स, उनके वैल्यू चेन भागीदार, स्थानीय निकाय, सहकारी समितियां आदि से अपेक्षा की गई है कि वे इस कार्यक्रम का लाभ उठाएं और ग्रीन क्रेडिट अर्जित करें। भारत के ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम को विश्व स्तर पर अपनाने के लिए स्वीकार्य बनाने हेतु कुछ सावधानीपूर्ण उपाय करने होंगे। इस संदर्भ में नवंबर 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, जितने भी वन-आधारित कार्बन आफसेट कार्बन क्रेडिट जारी किए गए थे, उनमें से एक चौथाई को जैव विविधता की रक्षा करने, कार्बन उत्सर्जन से बचने और स्थानीय समुदायों को लाभ प्रदान करने के रूप में मोटे तौर पर बेचा गया है। अनुमान है कि 2012 और 2022 के बीच कार्बन-क्रेडिट परियोजनाओं में 36 अरब डॉलर का निवेश किया गया था, जिसमें से आधा पिछले तीन वर्षों में निवेश किया गया था।

सितंबर में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले के स्कूल आफ पब्लिक पॉलिसी के एक अध्ययन में पाया गया कि कार्बन क्रेडिट में उत्सर्जन में कटौती को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ा कर दर्शाया गया था, जबकि कुछ परियोजनाओं से जलवायु लाभ प्राप्त होने की नाममात्र की संभावना थी। केन्या की कासिगाउ परियोजना इसी प्रकार विवादों में घिर चुकी है। इसे मिले कार्बन क्रेडिट शेल और नेटफ्लिक्स सहित बड़े कॉरपोरेट्स ने खरीद लिए थे। इसी प्रकार, कांगो गणराज्य, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, केन्या, मलेशिया और इंडोनेशिया आदि देशों से भी हाल के वृक्षारोपण को लेकर विवाद उठे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा था-
‘‘पृथ्वी की भलाई भी हमारी जिम्मेदारी है।’’

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसी) के तहत पार्टियों का 28वां वार्षिक सम्मेलन (सीओपी-28) नवंबर के अंत या दिसंबर 2023 में दुबई में आयोजित होने जा रहा है। यूएनएफसीसीसी विशेषज्ञों का समूह पेरिस समझौते द्वारा स्थापित भविष्य के कार्बन बाजार के लिए नियमों का प्रस्ताव करने जा रहा है और इस पर दुबई में सीओपी 28 के दौरान मतदान किया जाएगा। सरकारों और निजी संस्थाओं को उत्सर्जन की भरपाई के लिए कार्बन क्रेडिट का व्यापार करने की अनुमति जिस संयुक्त राष्ट्र के स्वच्छ विकास तंत्र ने दी थी, ये नए नियम उसका स्थान लेंगे अर्थात् प्रक्रियाओं और नियमों की दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है। ऐसे में यदि भारत अपना ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम विश्व के समक्ष प्रस्तुत करता है, तो यह जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए भारत की जिम्मेदार प्रतिबद्धताओं को दर्शाएगा। साथ ही, भारत दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में पुन: स्थान प्राप्त करते हुए दुनिया को एक वैकल्पिक तंत्र प्रदान करेगा।
(लेखक जम्मू-कश्मीर कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस हैं।
यहां प्रस्तुत विचार उनके व्यक्तिगत हैं।)

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