पहले लव जिहाद और फिर जमीन जिहाद करते हैं बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए

Published by
रितेश कश्यप

झारखंड में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए जनजातीय लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनके साथ शादी करते हैं, लेकिन नाम नहीं बदलते हैं। इसके बाद उन लड़कियों को जनजातियों के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़वाकर स्थानीय प्रशासन में दखल देने लगते हैं।

झारखंड में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों का मामला गंभीर होता जा रहा है। प्रदेश के कई जिले इन घुसपैठियों के गढ़ बन चुके हैं। ये घुसपैठिए हिंदू समाज, विशेषकर जनजातियों की बहू—बेटियों को लव जिहाद का शिकार बनाते हैं। उनकी जमीन पर कब्जा करते हैं। इसके बाद भी राज्य सरकार इन घुसपैठियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करती है। इस कारण घुसपैठियों का यह मामला झारखंड उच्च न्यायालय तक पहुंच गया है।

उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने वाले डेनियल दानिश ने आरोप लगाया है कि साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, जामताड़ा, दुमका जैसे जिलों में सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ कराई जा रही है। याचिका में कहा गया है कि ये घुसपैठिए जनजातीय लड़कियों से लव जिहाद के तहत शादी करते हैं और उनकी जमीन पर कब्जा करते हैं। यह भी देखा जा रहा है कि ये लोग ऐसी लड़कियों को जनजातियों के लिए आरक्षित सीट से चुनाव भी लड़वाते हैं। इनमें से यदि कोई जीत जाती है, तो उसकी आड़ में उसका मुसलमान पति पंचायत से लेकर जिला स्तर की अनेक प्रशासनिक इकाइयों में दखल देने लगता है। इस तरह घुसपैठिया होते हुए भी वह स्थानीय प्रशासन को चलाने लगता है। इसलिए आए दिन कई ऐसी समस्याएं पैदा हो रही हैं, जो देश के लिए खतरनाक हैं।

22 नवंबर को डेनियल दानिश की याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय ने  केंद्र सरकार और राज्य सरकार को कई निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्र व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आनंद सेन की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि क्या केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों की संयुक्त टीम बना कर संथाल परगना के पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा, दुमका और गोड्डा जिले में हो रही घुसपैठ की पहचान करना संभव है या नहीं? इसका जवाब दाखिल करने के लिए न्यायालय ने दो सप्ताह का समय दिया है और सुनवाई की अगली तिथि 13 दिसंबर की निर्धारित की गयी है।

बता दें कि इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पैरवी की थी। उन्होंने बताया था कि घुसपैठियों के मामले में सारी शक्तियां राज्य सरकार को प्रदान की गयी हैं। राज्य सरकार ऐसे लोगों की पहचान कर सकती है। उन्हें कैंप में रख सकती है और वापस भेज सकती है।

याचिकाकर्ता के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में साहिबगंज, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, दुमका आदि जिलों में अचानक मदरसों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। कहा जाता है कि इन मदरसों में नए घुसपैठियों को ठहराया जाता है। इसके बाद उनके लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड जैसे सरकारी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं। उसके बाद किस घुसपैठिए को कहां जाना है, उसे कहां रहना है, तय होता है तथा योजना के अनुसार उसे तय स्थान तक पहुंचा दिया जाता है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में साहिबगंज में नए शुरू हुए 47 मदरसों की सूची भी संलग्न की है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी बांग्लादेशी घुसपैठियों के सवाल पर कहा है कि संथाल परगना के रास्ते बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ जारी है। आने वाले समय में यह देश के लिए खतरा साबित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने पर झारखंड में एनआरसी लागू किया जाएगा और घुसपैठियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग घुसपैठियों को संरक्षण देते हैं, उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होनी चाहिए।

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