‘इंटरनेट’ अलग है और ‘विश्वव्यापी वेब’ अलग

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बालेन्दु शर्मा दाधीच

इंटरनेट का आगमन 1960 के दशक में ही हो गया था, जबकि वेब का आगमन 1991 में हुआ

इंटरनेट के महा आकाश को समझने से पहले दो बुनियादी अवधारणाओं को समझना आवश्यक है, इंटरनेट और वेब। शायद आप पूछने ही वाले हैं- इंटरनेट और वेब क्या एक ही बात नहीं है? जी हां, यह एक ही बात नहीं है। वेब, जिसका पूरा नाम वर्ल्ड वाइड वेब (हिंदी में विश्व व्यापी वेब) है, यह इंटरनेट पर रहता है और इंटरनेट की तुलना में छोटी चीज है। यही नहीं, दोनों के जन्म के बीच 30 साल का अंतर है। इंटरनेट का आगमन 1960 के दशक में ही हो गया था, जबकि वेब का आगमन 1991 में हुआ। अब आपको लग रहा होगा कि दोनों में काफी फर्क है।

इंटरनेट तो आधारभूत ढांचा है, जिसमें सर्वर, कंप्यूटर, नेटवर्किंग के उपकरण आदि हैं। साथ ही, यह दुनिया भर में फैले कंप्यूटर ताने-बानों का एक विशाल नेटवर्क है। नेटवर्क का मतलब है किन्हीं दो या दो से ज्यादा चीजों, व्यक्तियों, कंप्यूटरों आदि का समूह या संजाल। दो या दो से अधिक कंप्यूटरों या डिजिटल उपकरणों को अगर किसी तरह से आपस में जोड़ दिया जाए और उनके बीच संकेतों का लेन-देन संभव हो जाए, तो ऐसा कहा जाएगा कि वे एक कंप्यूटर नेटवर्क या डिजिटल नेटवर्क के सदस्य (नोड) हैं। आपने अपने कार्यालयों, विद्यालयों या कुछ घरों में भी ऐसा देखा होगा कि दस कंप्यूटर एक कमरे में रखे हुए हैं।

आप एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में फाइल कॉपी कर सकते हैं तथा कहीं और रखे प्रिंटर से प्रिंटआउट दे सकते हैं, क्योंकि ये सभी एक नेटवर्क के सदस्य हैं। अब अगर इस तरह के विशाल ताने-बानों को वैश्विक स्तर पर एक-दूसरे के साथ जोड़ दिया जाए, तो उससे बनेगा इंटरनेट। तभी तो ऐसा होता है कि आप इंटरनेट से जुड़े हुए अपने कंप्यूटर या मोबाइल फोन से कोई ईमेल भेजते हैं और वह दुनिया के किसी दूसरे स्थान पर इसी इंटरनेट से जुड़े हुए आपके मित्र, रिश्तेदार या सहकर्मी के उपकरण तक जा पहुंचता है। यह है नेटवर्क का कमाल। तो विश्वव्यापी नेटवर्कों का नेटवर्क है- इंटरनेट।

नेटवर्क का मतलब है किन्हीं दो या दो से ज्यादा चीजों, व्यक्तियों, कंप्यूटरों आदि का समूह या संजाल। दो या दो से अधिक कंप्यूटरों या डिजिटल उपकरणों को अगर किसी तरह से आपस में जोड़ दिया जाए और उनके बीच संकेतों का लेन-देन संभव हो जाए, तो ऐसा कहा जाएगा कि वे एक कंप्यूटर नेटवर्क या डिजिटल नेटवर्क के सदस्य (नोड) हैं। आपने अपने कार्यालयों, विद्यालयों या कुछ घरों में भी ऐसा देखा होगा कि दस कंप्यूटर एक कमरे में रखे हुए हैं।

एक सरल उदाहरण देखिए। आप अपने शहर में किसी समुदाय के सदस्य हैं। लेकिन इसी तरह के समुदाय दूसरे शहरों में भी हैं। हो सकता है कि कोई राष्ट्रव्यापी ढांचा इन सभी समुदायों को नियंत्रित करता हो। तब आप कह सकते हैं कि वह अनेक समुदायों का समुदाय है। इसी तरह, इंटरनेट नेटवर्कों का नेटवर्क है।

इंटरनेट पर मौजूद उपकरणों में से बहुत सारे तारों के जरिए जुड़े हैं (वायर्ड नेटवर्क) और बहुत सारे आप्टिकल फाइबर के जरिए। अनगिनत उपकरण वायरलेस माध्यमों के जरिए इंटरनेट के ढांचे से जुड़े हैं-जैसे कि ब्रॉडबैंड या 4जी, 5जी आदि। मर्म यह कि सब के सब इस नेटवर्क से जुड़े हैं और इसकी बदौलत एक-दूसरे से भी जुड़े हैं।

अब इस नेटवर्क को सजावट के लिए तो बनाया नहीं गया है। तो इसका उद्देश्य डिजिटल संकेतों को प्रवाहित करना है, जो कहीं से कहीं भी पहुंच सकते हैं। इन संकेतों के जरिए डिजिटल सामग्री का परिवहन होता है- आपकी फाइलें, ईमेल संदेश, वेबसाइटें, आडियो, यूट्यूब के वीडियो, ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा, ई-प्रशासन और न जाने क्या-क्या। यही सब सामग्री, दस्तावेज, सेवाएं, कन्टेन्ट, संवाद आदि जो इंटरनेट पर बसते हैं, उन्हें एक साथ मिलाकर हम मकड़ी के एक विशाल जाले के रूप में देखते हैं, यानी कि वेब। विश्वव्यापी वेब या वर्ल्ड वाइड वेब। तुलना के लिए यूं समझिए कि जैसे इंटरनेट एक राजमार्ग है और वर्ल्ड वाइड वेब चलता-फिरता पुस्तकालय, जो इस राजमार्ग पर यात्रा-लीन है।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट एशिया में डेवलपर मार्केटिंग के प्रमुख हैं)

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