टंट्या भील
जन्म : 1842, खंडवा (म. प्र.)
बलिदान : 4 दिसंबर, 1889
मध्य भारत के निमाड़ क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध बिगुल फूंकने वाले टंट्या भील अद्वितीय नायक थे।
उन्होंने 1857 के महासमर के लिए भील समुदाय को संगठित किया। वे इतने बहादुर और व्यवहार कुशल थे कि लोग उन्हें टंट्या मामा कहते थे।
अंग्रेजों द्वारा लूटे गए धन को टंट्या मामा उनसे छीन कर वापस गरीबों में बांट दिया करते थे।
इस कारण अंगे्रज उनसे बहुत परेशान हो गए थे और किसी भी तरह उन्हें पकड़ना चाहते थे।
अंत में 4 दिसंबर, 1889 को काफी प्रताड़ित करने के बाद उन्हें फांसी दे दी गई।
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