समय की गति को दर्शाता है कोणार्क सूर्य मंदिर, जानें इसकी खासियत और कैसे जाएं

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Mahak Singh

Odisha Konark Sun Temple: कोणार्क मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। देश और दुनिया भर से श्रद्धालु मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं, कोणार्क मंदिर को वर्ष 1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई थी। अगर आप छुट्टियों पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो कोणार्क जा सकते हैं। कोणार्क मुख्य रूप से विशाल सूर्य मंदिर के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, इसके अलावा यहां जाकर आप भारतीय शिल्प के इतिहास को करीब से देख सकते हैं और शांत विशाल समुद्र की लहरों का आनंद भी ले सकते हैं।

सूर्य मंदिर किसने बनवाया था

सूर्य मंदिर का निर्माण गांग वंश राजा नरसिंहदेव ने 1250 ई. में करवाया था। कहा जाता है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों पर विजय के बाद राजा नरसिंहदेव ने कोणार्क में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था लेकिन 15वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को लूट लिया और यहां स्थापित मूर्ति को बचाने के लिए पुजारी इसे पुरी ले गए। उस समय पूरा मंदिर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और रेत से ढक गया था। फिर 20वीं सदी में ब्रिटिश शासन के तहत जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ और उसी दौरान सूर्य मंदिर की खोज हुई।

क्यों खास है सूर्य मंदिर?

यह मंदिर सूर्य देव के रथ के आकार में बनाया गया है। इस रथ में 12 जोड़ी पहिए हैं जिनमें 7 घोड़े रथ को खींचते हुए दिखाए गए हैं। ये 7 घोड़े 7 दिनों का प्रतीक हैं और 12 जोड़ी पहिए दिन के 24 घंटों का प्रतिनिधित्व करते हैं। रथ के आकार के इस मंदिर में 8 ताड़ियां हैं जो दिन के 8 प्रहर का प्रतिनिधित्व करती हैं। यहां की सूर्य मूर्ति पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सुरक्षित रखी गई है। इस मंदिर में किसी भी भगवान की मूर्ति नहीं है।

ऐसे जाएं कोणार्क

अगर आप ट्रेन से कोणार्क जाना चाहते हैं तो भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से कोणार्क जा सकते हैं। बाकी दूरी आप सड़क मार्ग से तय कर सकते हैं। अगर आप हवाई मार्ग से कोणार्क जाना चाहते हैं तो निकटतम हवाई अड्डा बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भुवनेश्वर है। कोणार्क यहां से लगभग 65 किलोमीटर दूर है जहां आप कैब से जा सकते हैं।

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