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कपटविद्या का तंत्र

लोकतंत्र चाहे किसी भी तरह की राजनीति की अनुमति क्यों न देता हो, इस तरह की कपटनीति को देश और देश की जनता के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती

by हितेश शंकर
Nov 23, 2023, 12:49 pm IST
in सम्पादकीय
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जनता को भावनात्मक तौर पर ढाल की तरह इस्तेमाल करना तो हमारा प्राथमिक चरित्र हो गया है। इस कपटविद्या का समय रहते शमन करना आवश्यक है। लोकतंत्र चाहे किसी भी तरह की राजनीति की अनुमति क्यों न देता हो, इस तरह की कपटनीति को देश और देश की जनता के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती

सुरंगों का पूरा शहर, नागरिकों की सहायता के नाम पर मिली राशि की लूट, लूट के पैसों से सुदूर-सुरक्षित देशों में राजसी जीवन जीने वाले नेता, अस्पताल में मुख्यालय, बंधक नागरिक, घनी आबादी वाले क्षेत्र में महिलाओं बच्चों की ढाल बनाकर घात लगाकर किए गए हमले और बड़े पैमाने पर व्यापक प्रचार। इसके अलावा, इनमें से किसी भी चीज के लिए न जरा भी ग्लानि, न संकोच। यह सारे बिन्दु हमास द्वारा छेड़े गए हाइब्रिड युद्ध के मुख्य लक्षण हैं। आखिर हमास शिफा अस्पताल के भीतर से क्या कर रहा था? लेकिन वास्तव में इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। इस्लामिस्टों और कम्युनिस्टों का यही पैटर्न है रहा है- बच्चों, महिलाओं, रोगियों को ढाल के रूप में इस्तेमाल करना, और फिर पीड़ित होने का रोना। वह भी इस पूर्ण विश्वास के साथ कि बहुत सारा ‘पेड मीडिया’ उनका प्रचार करेगा, और दुनिया भर के अराजकतापसंद उस प्रचार को हाथों-हाथ ले लेंगे।

इस पैटर्न को थोड़ा बारीकी से देखें। कोई संदेह नहीं कि गाजा शहर में हमास कोई सक्रिय प्रतिरोध नहीं कर रहा है। वे इस्राएली सेना को दड़बेनुमा बस्तियों में प्रवेश करने देते हैं, उन पर घात लगाकर हमला करते हैं और भाग जाते हैं। किसी क्षेत्र की ‘रक्षा’ करने की न उन्हें कोई आवश्यकता है, और न ही यह उनका लक्ष्य है। शत्रु कहां है, है भी या भाग चुका है- आईडीएफ को इसका अनुमान भी नहीं हो सकता। ललकारने पर भी कोई सामने नहीं आता, सिर्फ वीडियो पेश करता है। असली कर्ताधर्ता छिपे हुए होते हैं, सिर्फ कुछ रंगरूट हमले करते हैं, जिन्हें बताया गया होता है कि वे तो एक महान लक्ष्य के लिए लड़ रहे हैं। 70 मीटर गहरी सुरंगों का ‘एक्स-रे’ भी नहीं हो सकता। तो फिर विकल्प क्या है? आप उन पर ‘कठोर कार्रवाई’ करें, ‘बम’ मारें। लेकिन जितनी अधिक ‘कठोर कार्रवाई’ होगी, उनके वीडियो उतने ही वीभत्स होते जाएंगे, और वैश्विक जनमत को उतना ही अधिक प्रभावित कर सकेंगे। फिर इस्राएल की अपनी एक प्रतिष्ठा है और रही है। यह प्रतिष्ठा इस्राएल की प्रतिरक्षा भी रही है। यह पूरा पैटर्न इस्राएल की प्रतिष्ठा को सीधी चुनौती दे रहा है। हमास के सामने ‘प्रतिष्ठा’ जैसा कोई संकट ही नहीं है।

अल शिफा अस्पताल पर छापे के दौरान एमआरआई स्कैनर के पीछे छिपा कर रखी गई बंदूकें, गोला-बारूद, बॉडी कवच और ग्रेनेड मिले हैं। एमआरआई स्कैनर के पीछे मामूली से धात्विक हथियार मिलने की बात अपने आपमें संदिग्ध और हास्यास्पद हो जाती है। सहज बुद्धि यही कहती है। लेकिन एक इंच और गहराई से देखें। सहज बुद्धि इसे संदिग्ध और हास्यास्पद मानेगी- यह बात हमास भी जानता था। इस्राएली सेना वहां पहुंच जाएगी, वह यह भी जानता था। पेशेवर सैनिक सिर्फ वीडियो पेश कर सकेंगे, वह यह भी जानता था। लिहाजा उसने इस्राएली सेना का मजाक बनवाने का पूरा मायाजाल पहले ही रच दिया था।

विचार करें कि युद्ध क्या हो रहा है। सारा प्रचार इस बात का चल रहा है कि इस्राएल नागरिकों को निशाना बना रहा है। ठीक है। लेकिन दो छोटे प्रश्न हैं। क्या इस्राएल जानबूझकर नागरिकों को निशाना बना रहा है? अथवा हमास ने जानबूझकर नागरिकों को बंदूकों के आगे बांध कर खड़ा कर दिया है? वास्तव में हमास ने नाजी नरसंहार के बाद से यहूदियों पर सबसे भयानक हमला किया है, जिसमें नागरिकों के सिर काटे-जलाए गए और हर तरह का अमानुषिक अत्याचार किया गया है। युद्ध यह हो रहा है कि इस्राएल नागरिकों को नुकसान से दूर रखने के लिए जो कुछ संभव हो, वह सब कर रहा है और दूसरी तरफ हमास है, जो नागरिकों को अधिकतम संभव नुक्सान हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ कर रहा है। युद्ध सभ्यता की शक्तियों और हमास की बर्बरता के बीच है।

इसे हमास का हाइब्रिड युद्ध कहना पर्याप्त नहीं है। वास्तव में यह कपटविद्या है, मायावी युद्ध है। जिसे नैतिकता खो चुके बुद्धिजीवियों के पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन मिला हुआ है। जैसे सारी आधुनिक सुविधाओं के साथ भूमिगत संरचनाएं, हथियार और गोला-बारूद का प्रश्न। सहज प्रश्न यह उठता है कि स्थानीय अधिकारियों ने, फिलिस्तीन की हुकूमत ने इसकी अनुमति कैसे दी? लेकिन कोई यह बात नहीं करता कि वहां कोई सरकार, कोई स्थानीय अधिकारी नहीं था, बल्कि हमास का ही गाजा पर राज चल रहा था।

और देखें कि यह कपटविद्या कितनी परिष्कृत है। अल शिफा अस्पताल पर छापे के दौरान एमआरआई स्कैनर के पीछे छिपा कर रखी गई बंदूकें, गोला-बारूद, बॉडी कवच और ग्रेनेड मिले हैं। एमआरआई स्कैनर के पीछे मामूली से धात्विक हथियार मिलने की बात अपने आपमें संदिग्ध और हास्यास्पद हो जाती है। सहज बुद्धि यही कहती है। लेकिन एक इंच और गहराई से देखें। सहज बुद्धि इसे संदिग्ध और हास्यास्पद मानेगी- यह बात हमास भी जानता था। इस्राएली सेना वहां पहुंच जाएगी, वह यह भी जानता था। पेशेवर सैनिक सिर्फ वीडियो पेश कर सकेंगे, वह यह भी जानता था। लिहाजा उसने इस्राएली सेना का मजाक बनवाने का पूरा मायाजाल पहले ही रच दिया था।

युद्ध यह है। सिर्फ जमीन का नहीं। सिर्फ हत्याओं का नहीं। बाकी कूट-दुरभि लक्ष्यों का नहीं, बल्कि आम लोग इसे किस रूप में देखेंगे, या देख सकेंगे- युद्ध यह भी है।

@hiteshshankar

Topics: मायावी युद्धIslamists and CommunistsHamas Shifa HospitalPhantom Warfraudइस्लामिस्ट और कम्युनिस्टहमास शिफा अस्पतालकपटविद्या
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