कनाडा में भारतवंशियों की अच्छी—खासी संख्या है। वहां की त्रूदो सरकार द्वारा हाल ही में स्वस्तिक चिह्न के प्रति की गई अपमानजनक टिप्पणी से वहां का भारतीय समाज नाराज है। खुद प्रधानमंत्री त्रूदो ने स्वस्तिक के लिए गलत बयानी की थी और उसे प्रतिबंधित करने की बात की थी। इसके बाद से ही, इंडो-कैनेडियन समुदाय चिंतत है। लेकिन अब इसी समुदाय ने कमर कसी है कि स्वस्तिक के धर्म में पवित्र स्थान के प्रति जागरूकता फैलाएंगे और भ्रामक बातों की काट करेंगे। इस अभियान को भारतवंशी समुदाय के संगठन, ‘कैनेडियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर हिंदू हेरिटेज एजुकेशन’ ने ‘रीक्लेम स्वस्तिक’ नाम दिया है।
दरअसल कनाडा में हाल में यहूदी विरोधी घटनाओं में बढ़त दर्ज हुई है। इसे देखते हुए, कनाडा के प्रशासन ने स्वस्तिक को नाजी दमनकारियों का चिन्ह बताकर उसके प्रयोग के विरुद्ध कार्रवाई करने की बात की थी। इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री त्रूदो ने भी स्वस्तिक को लेकर गलत टिप्पणी की थी। लेकिन भारत ही नहीं, विश्वभर में बसे हिन्दू जानते हैं कि स्वस्तिक हिंदुओं के लिए कितना पवित्र चिन्ह है।
इस स्थिति को सही करने की गरज से ही कैनेडियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर हिंदू हेरिटेज एजुकेशन का यह अभियान शुरू हुआ है। इस संगठन ने खुलकर कहा है कि स्वस्तिक के प्रयोग को अपराध कहना गलत है, यह स्वीकार्य नहीं है।
स्वस्तिक का चिन्ह हिन्दुओं के मंदिरों, घरों तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और पूजा अनुष्ठानों में खूब प्रयोग किया जाता है। संगठन इस बात के प्रति जागरूकता ला रहा है कि स्वस्तिक ईर्ष्या का प्रतीक नहीं है, यह तो हिंदू, सिख, जैन व बौद्धों द्वारा भी प्रयोग किया जाता है।
इस्राएल पर 7 अक्तूबर को इस्राएल पर हमास के अचानक बोले गए हमले के विरुद्ध इस्राएली सैन्य कार्रवाई की भर्त्सना करते हुए अन्य देशों की तरह कनाडा में भी 5 नवंबर को अनेक विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस प्रदर्शनों के दौरान वहां के यहूदी समुदाय के स्कूलों, समुदाय के प्रमुख केंद्रों पर निशाने साधे गए थे। इन उपद्रवों के बीच स्वस्तिक चिन्ह को भी प्रदर्शित किया गया। इसे लेकर त्रूदो ने भी बिना तथ्य जाने स्वस्तिक विरोधी बयान दे दिया। त्रूदो ने एक पोस्ट साझा की थी कि पार्लियामेंट हिल पर किसी व्यक्ति द्वारा स्वस्तिक का प्रदर्शन किया जाना स्वीकार्य नहीं है। उधर प्रधानमंत्री के बयान के बाद, टोरंटो की पुलिस को भी ‘स्वस्तिक’ से घृणा हो गई, पुलिस ने सावधान किया कि जो इसका प्रयोग करेगा उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कनाडा सरकार और पुलिस की ऐसी बयानबाजियों और धमकियों ने कनाडा में बसे भारतीयों का नाराज होना स्वाभाविक था। यही वजह है कि कैनेडियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर हिंदू हेरिटेज एजुकेशन नाम के संगठन ने यह ‘रीक्लेम स्वस्तिक’ अभियान की शुरुआत की है। संगठन की ओर से टोरंटो की पुलिस व कुछ अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखकर बताया गया है कि स्वस्तिक का संस्कृत भाषा में अर्थ होता है ‘सभी के लिए शुभता और भलाई की कामना’। हिन्दू धर्म में स्वस्तिक एक पवित्र चिन्ह है।
स्वस्तिक का चिन्ह हिन्दुओं के मंदिरों, घरों तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और पूजा अनुष्ठानों में खूब प्रयोग किया जाता है। संगठन इस बात के प्रति जागरूकता ला रहा है कि स्वस्तिक ईर्ष्या का प्रतीक नहीं है, यह तो हिंदू, सिख, जैन व बौद्धों द्वारा भी प्रयोग किया जाता है।
इसी संगठन, कैनेडियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर हिंदू हेरिटेज एजुकेशन का कहना है कि नाजी कभी भी स्वस्तिक का प्रयोग नहीं करते, वे थोड़े झुके सलीब अथवा हेकेन क्रूज़ का इस्तेमाल करते थे। स्वस्तिक को किसी नाजी प्रतीक के साथ जोड़ा जाना गलत है। यह नफरत का प्रतीक नहीं है, ऐसा कहना हिंदू धर्म का अपमान करना है। स्वस्तिक तो शांति तथा समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।’
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