राजस्थान में पिछले पांच साल में एक खतरनाक प्रयोग किया है। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण जयपुर का परकोटा किशनपोल विधानसभा है, जहां पलायन के कारण पिछले चुनाव की तुलना में हिंदू मतदाता कम हो गए हैं। यदि कांग्रेस सत्ता में रही तो आने वाले समय में राजस्थान के लगभग 20 विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल हो जाएंगे।
कांग्रेस ने जयपुर, जोधपुर और पूर्वी राजस्थान में पिछले पांच साल में एक खतरनाक प्रयोग किया है। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण जयपुर का परकोटा किशनपोल विधानसभा है, जहां पलायन के कारण पिछले चुनाव की तुलना में हिंदू मतदाता कम हो गए हैं। यदि कांग्रेस सत्ता में रही तो आने वाले समय में राजस्थान के लगभग 20 विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल हो जाएंगे।
प्रदेश में पलायन की बढ़ती घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंता जता चुके हैं। उदयपुर की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘राजस्थान के कितने ही क्षेत्रों से अब हिंदुओं के पलायन की खबरें आने लगी हैं। राजस्थान में कांग्रेस सरकार रही, तो यह और बढ़ेगा।’’
राज्य चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं के आंकड़े जारी करने के बाद से किशनपोल सीट राजनीतिक हल्कों में बहस का विषय बन गई है। प्रदेश में सबसे कम 1,92,641 मतदाता किशनपोल में हैं। यहां विधानसभा चुनाव 2018 की तुलना में 5,563 मतदाता कम हुए हैं। 2018 में यहां 1,98,204 मतदाता थे। किशनपोल को छोड़कर प्रदेश की अन्य सभी विधानसभा सीटों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। 2018 विधानसभा चुनाव में राज्य में 4 करोड़ 77 लाख 89 हजार मतदाता थे, जो 2023 में बढ़कर 5 करोड़ 29 लाख 31 हजार 152 हो गए।
पुराने शहर से हिंदुओं का पलायन
पहले जयपुर की सीमाएं चारदीवारी तक ही सीमित थी। इसलिए पुराने जयपुर शहर को चारदीवारी (परकोटा) कहा जाता है। पर्यटन की दृष्टि से इसका बड़ा महत्व है। इसी पुराने शहर में जनसांख्यिकीय बदलाव हो रहा है। यहां तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ने के कारण आए दिन तनाव बना रहता है, इसलिए शांति की तलाश में हिंदू अपनी पैतृक संपत्ति औने-पौने दाम में बेचकर अन्यत्र बस रहे हैं। कुछ माह पहले कुछ हिंदू परिवारों द्वारा मकान बेचकर बाहरी क्षेत्र में जाने की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनी थीं। इस घटना को लेकर क्षेत्र में पोस्टर भी चिपके थे। जयपुर की तीन विधानसभा क्षेत्रों आदर्श नगर, हवामहल और किशनपोल से हिंदुओं के पलायन खबरें आए दिन आती रही हैं।
हालांकि किशनपोल से कांग्रेस विधायक अमीनुद्दीन कागजी ने मतदाता घटने का कारण क्षेत्र का व्यवसायीकरण और कोरोना बताया है। उनका कहना है कि किशनपोल विधानसभा क्षेत्र का तेजी से व्यवसायीकरण हुआ है। जमीन की कीमतें बढ़ गई हैं, इसलिए लोग यहां से मकान बेचकर अन्यत्र रहने लगे हैं। कोरोना के कारण भी यहां मतदाता कम हुए हैं। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद के क्षेत्र मंत्री सुरेश उपाध्याय इससे सहमत नहीं है। वह किशनपोल में मतदाताओं के कम होने का बड़ा कारण हिंदुओं का पलायन ही मानते हैं। हिंदुओं का पलायन राजस्थान में मेवात सहित उन सभी क्षेत्रों से हो रहा है, जहां मुस्लिम आबादी बढ़ रही है।
वह कहते हैं, ‘चारदीवारी के कई मोहल्लों में योजनाबद्ध तरीके से दहशत का वातावरण बनाकर अशांति फैलाई जाती है। छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा कर लोगों को परेशान किया जाता है। मुस्लिमों आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा है। ऐसे में यहां अशांति और तनाव बना रहता है। हिन्दू समाज यहां अपने आप को अकेला महूसस करता है। रोज-रोज की परेशानी से बचने के लिए हिंदू पलायन कर रहे हैं। रामगंज, हिदा की मोरी समेत कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बहुत कम हिंदू बचे हैं। लिहाजा, वे औने-पौने दाम पर मकान बेचकर पलायन करने को मजबूर है। हालांकि क्षेत्र के व्यवसायीकरण भी हुआ है, लेकिन इस वजह से संपत्ति बेचने वालों की संख्या नगण्य है।गली-मोहल्लों में बड़ी व्यावसायिक गतिविधियां नहीं होती हैं। कोई बड़ा व्यापारी वहां मकान लेने नहीं जाएगा। जो मकान खाली हुए हैं, वहां के ही लोगों ने लिए हैं, इसलिए मतदाता कम हुए हैं।’’
40 सीटों पर मुस्लिम मतदाता प्रभावी
राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार दिनेश गोरसिया बताते हैं, ‘‘राजस्थान के 18 जिलों की लगभग 40 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव है। पिछले चुनाव में इन 40 में से 33 सीटें कांगे्रेस के पास थीं। जयपुर, अजमेर, जैसलमेर, बाड़मेर, कोटा, सीकर, झुंझुनूं, चूरू, अलवर, भरतपुर, नागौर जिलों की सीटों पर हर चुनाव में लगभग 16 मुस्लिम प्रत्याशी जीतते रहे हैं। इन जिलों की लगभग 24 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का स्पष्ट प्रभाव है।’’ राज्य की तीन दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता 8 प्रतिशत से अधिक है, जबकि सर्वाधिक 60 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता भरतपुर जिले के कामां विधानसभा क्षेत्र में हैं।
किशनपोल, हवामहल और आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 35 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। अलवर ग्रामीण, रामगढ़, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, तिजारा, जैसलमेर, पोकरण, डीडवाना, मकराना, नावां, नगर, शिव, चौहटन, सीकर, फतेहपुर, दांतारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, चूरू, सरदारशहर, तारानगर, अजमेर नॉर्थ, पुष्कर, मसूदा, नॉर्थ, लाडपुरा, रामगंज मंडी, सवाईमाधोपुर, सवाईमाधोपुर, गंगापुर, झुंझुनूं, मंडावा, नवलगढ़, टोंक, सूरसागर और खाजूवाला में सीटों पर मुस्लिम मतदाता 10 प्रतिशत से अधिक हैं।
किशनपोल सीट से जीतने वाले अमीनुद्दीन कागजी पहले मुस्लिम नेता हैं। यह सीट सबसे अधिक समय तक भाजपा के पास ही रही। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत 1962 व 1967 में यहां से विधायक चुने गए। 1985 के बाद हुए 8 विधानसभा चुनावों में 6 बार भाजपा और 2 बार कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की। 1985 में भाजपा के गिरधारी लाल भार्गव, 1990 में भाजपा के रामेश्वर भारद्वाज, 1993 में भाजपा के रामेश्वर भारद्वाज, 1998 में कांग्रेस के महेश जोशी, 2003 में भाजपा के मोहनलाल गुप्ता, 2008 में भाजपा के मोहनलाल गुप्ता, 2013 में भाजपा के मोहन लाल गुप्ता और वर्ष 2018 में कांग्रेस के अमीन कागजी ने चुनाव जीता। किशनपोल के मौजूदा विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी 50 वर्षीय अमीनुद्दीन कागजी ने मोनिका शर्मा नामक हिंदू युवती से दूसरा विवाह किया है।
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