नीलांबर-पीतांबर
जन्म : चेमोसनया, गढ़वा (झारखंड)
बलिदान : 28 मार्च, 1858
जब भी 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर की चर्चा होगी तब नीलांबर-पीतांबर नामक दो युवकों की चर्चा भी आवश्यक है।
ये दोनों खरवार जनजाति के थे। मई, 1857 में रांची में संघर्ष प्रारंभ हुआ तो इन दोनों ने गढ़वा और पलामू में भी उसका शंखनाद कर दिया। चेरो के राजा ने अपनी सेना उनके नेतृत्व में संग्राम के लिए उतार दी।
21 जनवरी, 1858 को पलामू के किले में कर्नल डॉल्टन और लेफ्टिनेंट ग्राहम की सेना के साथ भीषण युद्ध हुआ। कुछ देशद्रोहियों के कारण इन दोनों को बंदी बना लिया गया।
28 मार्च, 1858 को लेस्लीगंज में बरगद के पेड़ पर दोनों को फांसी दी गई।
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