पीएम मोदी ने फिर सीएम को फोन कर उत्तरकाशी टनल हादसे के बाद चल रहे बचाव कार्य की जानकारी ली। 12 नवम्बर को टनल के बीच में काम करते वक्त पहाड़ का भुरभुरा मलबा गिर गया था, जिससे टनल की दूसरी तरफ 41 श्रमिक फंसे हुए है।
प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री श्री धामी को फोन कर उत्तरकाशी के सिल्क्यारा के पास सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी ली। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक बचाव उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य एजेंसियों के आपसी समन्वय से श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। फंसे हुए श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री धामी ने अद्यतन स्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य और केंद्रीय एजेंसियां आपसी समन्वय और तत्परता के साथ राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं। सुरंग में फंसे श्रमिक सुरक्षित हैं और उन्हें ऑक्सीजन, पौष्टिक भोजन और पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। राहत और बचाव कार्य के लिए एजेंसियां विशेषज्ञों की राय लेकर काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री धामी ने पीएम को बताया कि उन्होंने खुद मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण किया है और लगातार बचाव कार्यों पर नजर बनाए हुए हैं। वहां मेडिकल टीम भी तैनात कर दी गई है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द बाहर निकालने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। इस हादसे के बाद अब तक प्रधानमंत्री तीन बार मुख्यमंत्री से हालात की जानकारी ले चुके हैं। पीएमओ की टीम ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया है और लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए है और समन्वय का कार्य कर रही है। सीएम ने पीएम को यह भी बताया कि केंद्रीय मंत्री श्री गडकरी, श्री वीके सिंह और अन्य अधिकारी भी विशेषज्ञ टीमों के साथ संपर्क में हैं।
टुलकिट्स भी हुए सक्रिय
उत्तरकाशी हादसे की नकारात्मक रिपोर्टिंग के लिए वामपंथी टुलकिट्स भी सक्रिय हो गए हैं। मीडिया के लिए लगाए गए टेंट में गलीचा लाल बिछा देने को लेकर वो शोर करते देखे गए, टनल के बाहर मंदिर की स्थापना को भी लेकर भी वो असहज दिखे। ऐसे कई नकारत्मक विषय पर खबरों को लेकर वे सक्रिय दिखे, बताया जाता है कि ये वही लोग है जोकि ऑल वेदर रोड के विरोधी रहे है। करीब चार किमी की इस टनल के बन जाने से यमुना और भागीरथी घाटी की दूरी 32 किमी कम हो जाएगी। टनल का 85 फीसदी काम पूरा भी हो गया है। जो श्रमिक वहां फंसे हुए हैं वो करीब दो किमी क्षेत्र में चहल कदमी भी कर रहे है। उन्हे भोजन पानी दवा आदि एक पाइप के जरिए पहुंच रहा है।
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