इस वर्ष बिरसा मुंडा के जन्मदिन को विशेष बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी स्वयं उलिहातू पहुंचे। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने, जो बिरसा मुंडा की जन्मभूमि पर आए।
गत 15 नवंबर को महान स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि उलिहातू (खूंटी, झारखंड) में जो जन-ज्वार दिखा, वह बहुत कुछ कह गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन (15 नवंबर) को पिछले तीन वर्ष से ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष बिरसा मुंडा के जन्मदिन को विशेष बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी स्वयं उलिहातू पहुंचे। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने, जो बिरसा मुंडा की जन्मभूमि पर आए।
प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पार्चन कर उन्हें प्रणाम किया। वहां उन्होंने बिरसा मुंडा के वंशजों से मुलाकात कर उनका हालचाल लिया। इन दृश्यों को जिसने भी देखा, वही गद्गद् हो गया। लोगों की यह खुशी उस समय दुगुनी हो गई, जब प्रधानमंत्री ने जनजातीय समाज के सर्वांगीण विकास के लिए अनेक योजनाओं का शुभारंभ किया। उन्होंने 75 विशेष पिछड़ी जनजाति समूह (पीवीटीजी) के कल्याण के लिए 24,000 करोड़ रुपए की योजनाओं का श्रीणेगश किया। विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत भी प्रधानमंत्री ने यहीं से की।
इस कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री ने देशभर के जनजातियों को यह संदेश दिया कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही जनजातियों के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के लिए ईमानदारी से कार्य हो रहे हैं।
वीर वनवासी
भारत के जनजातीय समाज ने देश की स्वतंत्रता और अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए जितने बलिदान दिए हैं, उनका उल्लेख भी शायद ही किया गया हो। विकास की धारा से भी इस समाज को अलग ही रखा गया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजाति समाज के उत्थान के लिए विशाल योजनाएं शुरू की हैं। यह क्षण है इस समाज के अमर बलिदानियों का स्मरण करने का। आगे के पृष्ठों में प्रस्तुत हैं कुछ झलकियां, जो मात्र कुछ बलिदानियों का संक्षिप्त विवरण है। लेकिन शीघ्र ही हम अपनी वेबसाइट पर इस विषय के को विस्तार से प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे। सुधी पाठकों से हमारा आग्रह है कि यदि उनके पास कोई अतिरिक्त और प्रामाणिक जानकारी है, तो वे यह जानकारी हमसे साझा कर सकते हैं
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प्रधानमंत्री मोदी ने अगले 25 वर्ष के अमृतकाल में विकसित, भव्य, दिव्य भारत के निर्माण के लिए चार अमृत स्तंभ के मंत्र दिए। उन्होंने कहा कि इन अमृत स्तंभों के लिए पूरी ताकत लगा देनी है। पहला अमृत स्तंभ हमारी महिलाएं, माताएं-बहनें यानी नारी शक्ति है। दूसरा अमृत स्तंभ हमारे किसान और पशुपालक हैं। तीसरा अमृत स्तंभ नौजवान यानी युवा शक्ति है, जो देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। चौथा अमृत स्तंभ है मध्य वर्ग और गरीब भाई-बहन। इन चारों स्तंभों को जितना मजबूत करेंगे, विकसित भारत की इमारत उतनी मजबूत और बुलंद होगी। इस अवसर पर झारखंड के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा उपस्थित थे। -मिथिलेश झा, रांची सेभगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू (झारखंड) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजाति समाज के कल्याण के लिए 24 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं का श्रीगणेश किया
भाजपा सरकार और जनजातीय समाज
कांग्रेसी राज में देश के कथित अल्पसंख्यकों के लिए अलग से मंत्रालय और कई आयोगों का गठन किया गया, लेकिन लगभग 13 करोड़ से अधिक जनजातीय बंधुओं के लिए कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया गया। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय जनजाति मंत्रालय बनाया गया। भाजपा सरकार ने ही जनजाति समुदाय से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को राष्टÑपति बनाया है। वर्तमान केंद्र सरकार ने जनजातियों को समर्पित अनेक योजनाएं शुरू की हैं।
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