अयोध्या की जिस धरती से प्रकाश पर्व शुरू हुआ था, उस अयोध्या के गौरव और दीपोत्सव को आज पूरा विश्व देख रहा है। पाञ्चजन्य के लखनऊ ब्यूरो प्रभारी सुनील राय ने उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसी वार्त्ता के अंश-
प्रकाश पर्व अयोध्या की धरती से शुरू हुआ, लेकिन वहीं यह उपेक्षित रहा। आज पूरे विश्व में दीपोत्सव का संदेश जा रहा है। इस पर आप क्या कहेंगे?
इस दीपोत्सव की महत्वपूर्ण बात यह थी कि इसमें 54 महत्वपूर्ण देशों के राजनयिक भी मौजूद रहे। यह दीपोत्सव सभी को त्रेता युग की याद दिलाता है, जब भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनका जिस प्रकार से तब स्वागत-सत्कार किया था, वैसा ही स्वागत अब देखने को मिला। यह अयोध्या, पूरे हिन्दुस्थान का सौभाग्य है। भारतीय सनातन संस्कृति की ओर से यह संदेश पूरे विश्व पटल पर पहुंच चुका है। पहले विपक्ष के लोग व्यंग्य करते हुए मंदिर बनने की तारीख पूछते थे। हमने मंदिर की तारीख भी बता दी और मंदिर भी बना दिया है।
अयोध्या को विश्व स्तरीय शहर बनाने के संकल्प पर कितना आगे बढ़ पाए हैं?
आने वाले दिनों में अयोध्या विकास की धुरी बनेगी। अयोध्यावासियों के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के शुरू होने के बाद श्रद्धालु सीधे अयोध्या पहुंचेंगे। पर्यटन, परिवहन एवं होटल आदि के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। होटल क्षेत्र में बड़े-बड़े समूह निवेश करना चाहते हैं। सरकार इस बात की भी चिंता करेगी कि अत्यंत साधारण व्यक्ति को भी श्रीरामलला के दर्शन में कोई असुविधा न होने पाए।
अयोध्यावासियों ने उनका जिस प्रकार से तब स्वागत-सत्कार किया था, वैसा ही स्वागत अब देखने को मिला। यह अयोध्या, पूरे हिन्दुस्थान का सौभाग्य है। भारतीय सनातन संस्कृति की ओर से यह संदेश पूरे विश्व पटल पर पहुंच चुका है। पहले विपक्ष के लोग व्यंग्य करते हुए मंदिर बनने की तारीख पूछते थे। हमने मंदिर की तारीख भी बता दी और मंदिर भी बना दिया है।
आज अयोध्या में इतनी संभावनाएं हैं, फिर यह इतने वर्षों तक उपेक्षित क्यों रही?
पिछली सरकारों के नेता अयोध्या का नाम लेने से डरते थे। उन्हें डर था कि अयोध्या का नाम लेंगे, तो मुसलमान नाराज हो जाएंगे। इसी डर से वे लोग कभी अयोध्या नहीं गए। उन्होंने अयोध्या का विकास नहीं किया। आज केंद्र और प्रदेश की सरकार अयोध्या को विश्व पटल पर लेकर जा रही हैं। श्रीलंका, दक्षिण कोरिया, जापान सहित विश्व के कई देशों में हमारे देवी-देवताओं की पूजा होती है। जापान यात्रा के दौरान मैंने देखा कि वहां पूजे जाने वाले सात देवताओं में से चार देवता सनातन धर्म के हैं। इससे स्पष्ट है कि सनातन धर्म विश्वव्यापी है।
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