ब्रिटेन के प्रधानमंत्री द्वारा गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन को बर्खास्त किया जाना कई सवाल खड़े कर रहा है और दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया है। आखिर सुएला ने ऐसा क्या किया या कहा था जिसकी वजह से उन्हें उनके पद से हटाया गया है। फिलहाल ब्रिटेन के गृहमंत्री का पद जेम्स क्लेवरली का सौंपा गया है।
राजधानी लंदन में पिछले तीन दिनों से सुएला को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि वे अपने पद पर बनी रह पाएंगी कि नहीं! इसके पीछे वजह द टाइम्स अखबार में लिखा उनका एक लेख बना था। इस लेख में सुएला ने ब्रिटेन की पुलिस पर लंदन की सड़कों पर यहूदी समुदाय के प्रति उग्र तेवर अपनाने और जिहाद के नारे लगाने वाले इस्लामवादियों के प्रति पुलिस के नरम रवैया अपनाए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उनके अनुसार, फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों को लेकर पुलिस ने अपना कर्तव्य ठीक तरह से नहीं निभाया।
इस टिप्पणी की वजह से ब्रिटेन में सुएला की अपनी ही कंजरवेटिव पार्टी के कई सदस्य उनके इस लेख में व्यक्त विचारों के विरोध में उतर आए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पर सुएला को बर्खास्त करने का जबरदस्त दबाव बना दिया था। और आखिरकार सुएला को जाना पड़ा। उनके स्थान पर जेम्स क्लेवरली ब्रिटेन के नए गृहमंत्री बने हैं।
लेख में सुएला ने साफ लिखा था कि लंदन में जो प्रदर्शन चल रहे हैं पुलिस उनसे वैसी सख्ती से नहीं निपट रही जैसी कि अपेक्षा है। इसी बात पर उनकी लंदन के पुलिस प्रमुख से पिछले कुछ दिनों से बहस चलती आ रही थी। लेकिन इस लेख के आने के बाद तो यह चर्चा जोर पकड़ती गई थी कि अब वे अपने पद पर रह भी पाएंगी कि नहीं।
यहां ध्यान देना होगा कि लंदन व ब्रिटेन के कुछ अन्य शहरों की सड़कों पर पिछले एक महीने से फिलिस्तीन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने और इस्राएली हमले फौरन रोकने की मांग पर करीब एक लाख तक प्रदर्शनकारी हर सप्ताहान्त पर जुटते आ रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी बयान दिया था कि लंदन की सड़कों पर यहूदी समुदाय के प्रति नफरत फैलाने जैसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। लेकिन सुएला ने एक कदम आगे जाकर इस ‘नफरती मार्च’ और इसके प्रति पुलिस की अकर्मण्यता को लेकर ‘द टाइम्स’ समाचार पत्र में एक लेख लिखा था।
अपने इस लेख में सुएला ने साफ लिखा था कि लंदन में जो प्रदर्शन चल रहे हैं पुलिस उनसे वैसी सख्ती से नहीं निपट रही जैसी कि अपेक्षा है। इसी बात पर उनकी लंदन के पुलिस प्रमुख से पिछले कुछ दिनों से बहस चलती आ रही थी। लेकिन इस लेख के आने के बाद तो यह चर्चा जोर पकड़ती गई थी कि अब वे अपने पद पर रह भी पाएंगी कि नहीं।
ब्रेवरमैन ने अपने लेख में यह भी कहा था कि फिलिस्तीनियों के समर्थन में सड़कों पर हजारों की तादाद में उतरी भीड़ कानून को तोड़ रही थी लेकिन पुलिस ने उस तरफ से आंखें फेर रखी थीं। तत्कालीन गृहमंत्री सुएला ने यह भी लिखा कि पुलिस ने इस ‘नफरती मार्च’ को लेकर अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोताही दिखाई।
सुएला के इस लेख को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय की और कहा गया था कि इस बात की पड़ताल की जा रही है कि ‘द टाइम्स’ में सुएला का यह अभिमत लेख प्रधानमंत्री सुनक की सहमति के आखिर प्रकाशित कैसे हो गया। तब प्रधानमंत्री के प्रवक्ता ने यह भी कहा था कि सुएला के उस लेख का प्रधानमंत्री के विचारों से कोई मेल नहीं है।
लेकिन सुएला की लेख में की गई ऐसी टिप्पणियों को लेेकर कंजर्वेटिव पार्टी के कई सदस्य उनके विरुद्ध हो गए। इतना ही नहीं, विपक्ष भी सुएला को लेकर नाराज हो गया। प्रधानमंत्री सुनक पर उन्हें पद से हटाने का दबाव बनाया जाने लगा। आखिरकार 13 नवम्बर को उन्होंने सुएला का पद से हटाकर उनकी जगह क्लेवरली को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है।
लेकिन सुनक सरकार की तरफ से सुएला को हटाने की वजह कैबिनेट में बदलाव बताई गई है। कैबिनेट में एक और महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। 2016 में ब्रेक्जिट पर मत—भिन्नता से खिन्न होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने पद से इस्तीफा देकर खुद को सक्रिय राजनीति से दूर कर लिया था। लेकिन अब सुनक ने कैमरन को बुलाकर विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है। कैमरन ने पद संभालने के बाद, अपने बयान में सुनक को एक यौग्य और मजबूत प्रधानमंत्री बताया है।
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