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सात समंदर पार महका इत्र

2013 में 50,000 रुपये से इत्र का कारोबार शुरू किया। 10 वर्ष में विदेशों में साख बनाई

by अनुरोध भारद्वाज
Nov 12, 2023, 03:27 pm IST
in भारत, उत्तराखंड, बिजनेस
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आज उनका वार्षिक कारोबार 10 करोड़ रू. से अधिक है। कंपनी के प्राकृतिक इत्र, सुगंधित तेल, पॉकेट परफ्यूम, शेम्पू, बॉडी लोशन, डॉग परफ्यूम आदि उत्पादों की मांग दुनिया भर में है। कंपनी के दो शोरूम बरेली और एक देहरादून में है। गौरव विदेशों में भी शोरूम खोलने की तैयारी में हैं।

एरोमैटिक एंड अलाइड केमिकल्स उत्तर प्रदेश की एक इत्र निर्यातक कंपनी है। इसके कर्ताधर्ता गौरव मित्तल ने 2013 में महज 50 हजार रुपये से यह कंपनी शुरू की थी। आज उनका वार्षिक कारोबार 10 करोड़ रू. से अधिक है। कंपनी के प्राकृतिक इत्र, सुगंधित तेल, पॉकेट परफ्यूम, शेम्पू, बॉडी लोशन, डॉग परफ्यूम आदि उत्पादों की मांग दुनिया भर में है। कंपनी के दो शोरूम बरेली और एक देहरादून में है। गौरव विदेशों में भी शोरूम खोलने की तैयारी में हैं।

गौरव के पिता ब्रिजेश मित्तल सिविल इंजीनियर थे। लेकिन उन्हें खेती-बाड़ी से लगाव था, इसलिए नौकरी छोड़ कर 1977 में उन्होंने अपने गांव पीलीभीत के कस्बा बीसलपुर में पिपरमिंट, लेमन ग्रास व जामरोजा की खेती शुरू की तथा बरेली व आसपास के क्षेत्र के किसानों को अपने साथ जोड़ा। 35 वर्ष तक तिनका-तिनका जोड़ कर उन्होंने सीबीगंज (बरेली) में एरोमेटिक एनालाइज केमिकल्स फैक्टरी खड़ी की, लेकिन साझीदारों ने सब कुछ हड़प लिया। इससे उन्हें सदमा पहुंचा और 2012 में उनकी मृत्यु हो गई। गौरव मित्तल फ्रांस में नौकरी कर रहे थे। पिता के निधन के बाद परिवार के पास पूंजी के नाम पर मात्र 50,000 रुपये थे। साझीदार समूचे कारोबार को हड़प चुके थे और जो सामान बचा था, उसे कर्मचारी ले जा चुके थे।

गौरव शुरू से ही इत्र व्यवसायी बनना चाहते थे। इसलिए पढ़ाई भी इसी के अनुरूप की। सैनिक स्कूल से स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद गौरव ने आईआईटी कानपुर से बीटेक और फूड इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। फिर पेरिस और लंदन से एमबीए किया और ब्रिटेन, अमेरिका, दुबई और फ्रांस में काम किया। लेकिन पिता के निधन के बाद नौकरी छोड़ कर बरेली में अपना कारोबार शुरू किया। पिता की तरह उन्हें भी किसानों का पूरा साथ मिला। लेकिन प्रारंभ में साझीदार से धोखा मिला, तो अकेले आगे बढ़ने की ठानी और नई कंपनी बनाई।

गौरव समाज सेवा में भी जुटे हुए हैं। बरेली में वे चार गांवों को गोद लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास में हरसंभव मदद कर रहे हैं। सफलता की उड़ान से गौरव के कई दुश्मन बन गए। दो बार उन पर जानलेवा हमले हुए। एक बार पैर में गोली लगी। दूसरी बार सड़क हादसे में उनकी जान लेने की कोशिश की गई। कुल मिलाकर बरेली के इस उत्साही नौजवान गौरव के संघर्ष और सफलता की कहानी हर युवा के लिए प्रेरणादायी है। 

गौरव कई देशों में रह चुके थे और उन्हें विदेशी बाजार की अच्छी पहचान थी। इसलिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भाग लेना शुरू किया। इससे उन्हें इत्र के छोटे आर्डर मिलने लगे। मेहनत रंग लाई और उनकी कंपनी देश से बाहर पहचान बनाने में सफल रही। कोरोना काल में जब देश-दुनिया में सब कुछ ठहर गया था, तब उन्होंने हरियाणा के बल्लभगढ़ में अपनी नई इत्र फैक्टरी खड़ी की। उनकी प्रतिभा को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने भी सराहा है। उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान हासिल हो चुके हैं।

गौरव समाज सेवा में भी जुटे हुए हैं। बरेली में वे चार गांवों को गोद लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास में हरसंभव मदद कर रहे हैं। सफलता की उड़ान से गौरव के कई दुश्मन बन गए। दो बार उन पर जानलेवा हमले हुए। एक बार पैर में गोली लगी। दूसरी बार सड़क हादसे में उनकी जान लेने की कोशिश की गई। कुल मिलाकर बरेली के इस उत्साही नौजवान गौरव के संघर्ष और सफलता की कहानी हर युवा के लिए प्रेरणादायी है।

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