होटवार जेल के जेलर नसीम खान, जेल अधीक्षक हामिद अख्तर और लिपिक दानिश रिजवान से पूछताछ

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रितेश कश्यप

रांची में एक केंद्रीय कारागार है, जिसे होटवार जेल के नाम से जाना जाता है। इसी जेल में झारखंड में हुए सभी बड़े घोटालों के आरोपी बंद हैं। इनमें नेता से लेकर बड़े-बड़े नौकरशाह तक शामिल हैं। अब इसे संयोग माना जाए या प्रयोग कि इस जेल के जेलर, अधीक्षक और लिपिक तीनों मुसलमान हैं? जेलर हैं नसीम खान, जेल अधीक्षक हैं हामिद अख्तर और लिपिक हैं दानिश रिजवान। इन तीनों पर आरोप है कि ये लोग जेल में बंद घोटाले के आरोपियों को नियम के विरुद्ध जाकर अनेक तरह की सुविधाएं दे रहे हैं। इसके साथ ही यह भी आरोप है कि ये तीनों झारखंड में अवैध खनन, जमीन घोटाले और कुछ अन्य महत्वपूर्ण मामलों की जांच से जुड़े ईडी के अधिकारियों को फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश रच रहे हैं और ईडी के गवाहों को धमकी भी दे रहे हैं। इसके लिए जेल के अंदर से नक्सलियों और कुख्यात अमन साव के गिरोह से संपर्क साधा जा रहा था। इसकी जानकारी मिली तो 7 नवम्बर को जेल के लिपिक दानिश रिजवान, 8 नवंबर को जेलर नसीम खान और 9 नवंबर को जेल अधीक्षक हामिद अख्तर से पूछताछ की गई। सूत्रों के अनुसार ईडी ने इन तीनों के बयानों का मिलान करवाया, जिसमें कई तरह की भिन्नताएं पाई गई हैं।

सबसे पहले 7 नवम्बर को दानिश रिजवान से पूछताछ की गई। छापेमारी के दौरान ईडी ने दानिश के मोबाइल फ़ोन को जब्त किया था। दानिश पर आरोप है कि उनके फ़ोन से ही सभी गवाहों को फ़ोन करके धमकी दी गई थी। ईडी के अधिकारियों ने सबसे पहले दानिश से उनके परिवार के सदस्यों की आय और संपत्ति के बारे में जानकारी ली। इसके बाद जेल में अधिकारियों के खिलाफ़ रची गई साजिश के बारे में पूछ्ताछ की गई। हालांकि दानिश के दिए बयान को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

इसके बाद 8 नवम्बर को जेलर नसीम खान का बयान दर्ज किया गया। इसी दौरान नसीम से पूछा गया कि आखिर किसके दबाव में जेल में बंद कैदियों के पत्रों को बाहर नहीं आने दिया गया? हालांकि इस मामले में पता चला है कि नसीम खान ईडी के किसी भी सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए हैं। नसीम का कहना था कि जेल में जो भी होता है वह बड़े अफसरों के निर्देश पर ही होता है। इसके बाद जेलर नसीम खान से सीसीटीवी फुटेज मिटाने और प्रेमप्रकाश के माध्यम से हथियार का लाइसेंस लेने की बात भी पूछी गई, जिसे नसीम खान ने स्वीकार किया है। नसीम खान के अनुसार प्रेमप्रकाश की पैरवी पर ही जेल अधीक्षक और जेलर द्वारा हथियार का लाइसेंस जारी किया गया था।

इसके अगले दिन 9 नवम्बर को जेल अधीक्षक हामिद अख्तर से पूछताछ की गई, लेकिन पता चला कि हामिद अख्तर जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और उन्होंने जांच को भटकाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने अपने बयान में छापेमारी और प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों को लेकर भी अनभिज्ञता जताई है। अब कहा जा रहा है कि दीपावली के बाद एक बार फिर से हामिद अख्तर को पूछ्ताछ के लिए बुलाया जा सकता है।

ऐसी बात नहीं है कि हामिद अख्तर ईडी के कार्यालय में पहली बार गए थे। इससे पहले हामिद से मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को नियम के विरुद्ध जेल में सुविधाएं देने, जेल में हाई प्रोफाइल कैदियों से मिलने के लिए आने वालों के बारे में और सीसीटीवी फुटेज डिलीट करने को लेकर पूछ्ताछ की जा चुकी है।

बता दें कि जुलाई, 2020 में हामिद अख्तर का तबादला होटवार जेल में किया गया था। इसके बाद से ही इन पर अनेक तरह के आरोप लगते रहे हैं। इसके बावजूद झारखंड सरकार और प्रशासन की ओर से हामिद अख्तर और अन्य जेल अधिकारियों पर अब किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

भाजपा आरोप लगा रही है कि होटवार जेल में जो कुछ हो रहा है उसके पीछे सरकार में शामिल कुछ नेताओं का हाथ है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि होटवार जेल अब एक जेल नहीं, बल्कि “दलालों के सिंडिकेट” का अड्डा बन चुका है। दलाल और बिचौलिए जेल में मौज—मस्ती कर अपराध को बढ़ाने की रणनीति बना रहे हैं। ये लोग जेल में बैठ कर ट्रांसफ़र पोस्टिंग का धंधा कर रहे हैं और ईडी के अधिकारियों के ख़िलाफ़ साज़िश रच रहे हैं।

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