आज यह गांव दुनिया में भी जाना जाता है। इसका कारण है यहां स्थापित ‘सरबानी फूड्स प्रा.लिमिटेड।’ यह कंपनी बासमती चावल तैयार करती है और खाड़ी के देशों में निर्यात करती है।
अमृतसर (पंजाब) में अटारी रोड पर स्थित है खासा गांव। आज यह गांव दुनिया में भी जाना जाता है। इसका कारण है यहां स्थापित ‘सरबानी फूड्स प्रा.लिमिटेड।’ यह कंपनी बासमती चावल तैयार करती है और खाड़ी के देशों में निर्यात करती है। इसलिए स्थानीय लोग इसे चावल मिल के नाम से जानते हैं। इसके संस्थापक हैं बृजभूषण मित्तल। उनका पूरा परिवार कारोबारी रहा है। इनके दादा, पिता सभी व्यापार करते थे। यही कारण है कि इन्हें अपना काम शुरू करने में कोई खास परेशानी नहीं हुई।
सबसे पहले इन्होंने 1971 में फिरोजपुर में तेल मिल लगाई। बाद में पंजाब में हालात खराब होने लगे तो इन्होंने दूसरी तेल मिल 1988 मेें श्रीगंगानगर (राजस्थान) में स्थापित की। पंजाब के हालात ठीक होने पर ये लोग 1994 में पंजाब वापस आए और फिरोजपुर मेें चावल मिल की शुरुआत की। बाद में दूसरी चावल मिल अमृतसर में लगाई। 30 वर्ष से ये बासमती चावल का निर्यात कर रहे हैं।
चावल तैयार करने के लिए ये प्रतिवर्ष लगभग 20,00,000 बोरी धान आढ़तियों से खरीदते हैं। यह खरीदारी लंबे समय तक चलती रहती है। इसके बाद धान से चावल बनाने के लिए अनेक प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं। इन सारी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए जापान की आधुनिकतम मशीनें लगी हैं। इन मशीनों को चलाने से लेकर अन्य कार्यों के लिए 500 से अधिक कर्मचारी और श्रमिक कार्यरत हैं। इन सभी के परिश्रम से कंपनी प्रतिवर्ष 400 करोड़ रुपए का कारोबार करती है।
बृजभूषण अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा समाज सेवा में खर्च करते हैं। वे समय-समय पर मंदिरों, गोशालाओं और सत्संग ब्यास भवनों की सेवा करते हैं। बृजभूषण वर्षों से राधास्वामी सत्संग के अनुयायी हैं। वे कहते हैं, ‘‘समय-समय पर संतों के बीच जाने से मन शांत और पवित्र हो जाता है। इस कारण गलत संगति और गतल कार्यों से बच जाता हूं।’’
इन 30 वर्ष में कंपनी के सामने कई बार ऐसे भी पल आए, जब लगा कि शायद कंपनी बंद हो जाएगी। बृजभूषण बताते हैं, ‘‘2014-16 के बीच कुछ ऐसी स्थितियां बनीं कि देश की 50 प्रतिशत चावल मिलें बंद हो गई। उस दौरान मेरी मिल को भी अच्छा-खासा नुकसान हुआ। एक समय लगा कि मिल बंद हो जाएगी, लेकिन ईश्वर की कृपा और सहयोगियों की कड़ी मेहनत से संभल गए। इसके बाद कभी कोई समस्या नहीं आई।’’ बृजभूषण अपने परिवार और तीनों पुत्रों को अपनी सफलता का श्रेय देते हैं।
उनके तीन पुत्र हैं। दो इनके साथ में कारोबार संभालते हैं और एक अमेरिका में रहता है। इसके साथ ही बृजभूषण मानते हैं कि उन पर प्रभु की कृपा है कि उन्होेंने हर समस्या का सामना करने का साहस दिया है। वे यह भी कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति सफल कारोबारी बन सकता है, बशर्ते वह मेहनत करने से कभी पीछे न हटे, लेकिन लोग जल्दी पैसा कमाने के लिए गलत रास्ता चुनते हैं और सारी संभावनाओं को अपने से दूर कर लेते हैं।
बृजभूषण अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा समाज सेवा में खर्च करते हैं। वे समय-समय पर मंदिरों, गोशालाओं और सत्संग ब्यास भवनों की सेवा करते हैं। बृजभूषण वर्षों से राधास्वामी सत्संग के अनुयायी हैं। वे कहते हैं, ‘‘समय-समय पर संतों के बीच जाने से मन शांत और पवित्र हो जाता है। इस कारण गलत संगति और गतल कार्यों से बच जाता हूं।’’
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