पहाड़ों के उस तार से छनकर आ रहे ताजा आकलनों के अनुसार, हिमालयी देश नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार भले है लेकिन वह अक्खड़ और चालबाज चीन से खासा नाराज चल रहा है जबकि बीजिंग में सब कुछ कम्युनिस्टों के हाथ ही है। इसके पीछे वजह क्या है? वजह सिर्फ चीन द्वारा नेपाल के सीमांत क्षेत्रों में घुसपैठ, वहां गैरकानूनी रूप से चीनी गांव बसाना और चीनी सैनिकों का घूमना ही नहीं है, वजह अब एक विशेष रिपोर्ट भी है। क्या है इस रिपोर्ट में?
हाल ही में सामने आई इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन के बीआरआई के बहाने नेपाल की जासूसी किए जाने की कुछ जानकारियों सामने आई हैं। यानी चीन नेपाल की प्रचंड सरकार को कम्युनिस्ट पाठ पढ़ाते-पढ़ाते उसकी खुफिया जानकारी इकट्ठी कर रहा है। इसके लिए चीन की महत्वाकांक्षी बीआरआई परियोजना की आड़ ली जा रही है।
उक्त रिपोर्ट में ही इस बात के पुख्ता कयास लगाए गए हैं कि चीन के इस दुर्भावनापूर्ण बर्ताव से नेपाल सरकार नाराज चल रही है। बताया गया कि नेपाल ने इस बात पर कम्युनिस्ट चीन के सामने कई बार विरोध तो दर्ज कराया है लेकिन ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
वर्ष 2022 में नेपाल सरकार की एक रिपोर्ट आई थी इसमें था कि नेपाली इलाके में चीनियों की दखल बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट का दावा था कि हिमालयी देश के जिले हुम्ला में चीनी विशेष रूप से बढ़ते देखे गए हैं। चीन ने यहां कुछ इमारतें भी खड़ी कर ली हैं। उसने सीमा के उस ओर अर्थात नेपाल में सड़क और नहर बनाना शुरू किया था। लेकिन नेपाल वालों को चीनी बीआरआई से कई शिकायतें हैं जिनकी वजह से बढ़ते तनाव में फिलहाल वह निर्माण तो रुका हुआ है।
अभी पिछले महीने ही बीजिंग में चीन सरकार ने करीब 140 देशों के शीर्ष नेताओं को बुलाकर बीआरआई परियोजना की दसवीं सालगिरह मनाई थी। इस मौके पर हुए शीर्ष सम्मेलन में नेपाल की तरफ से उपप्रधानमंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ शामिल हुए थे। नारायण को वहां की सरकार के सामने कई मुद्दों पर स्पष्ट चर्चा करनी थी, दोनों कम्युनिस्ट सत्ताओं के बीच तनाव का कारण बने इन पहलुओं पर पिछले काफी वक्त से तनातनी चली आ रही थी।
वर्ष 2022 में नेपाल सरकार की एक रिपोर्ट आई थी इसमें था कि नेपाली इलाके में चीनियों की दखल बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट का दावा था कि हिमालयी देश के जिले हुम्ला में चीनी विशेष रूप से बढ़ते देखे गए हैं। चीन ने यहां कुछ इमारतें भी खड़ी कर ली हैं। उसने सीमा के उस ओर अर्थात नेपाल में सड़क और नहर बनाना शुरू किया था। लेकिन नेपाल वालों को चीनी बीआरआई से कई शिकायतें हैं जिनकी वजह से बढ़ते तनाव में फिलहाल वह निर्माण तो रुका हुआ है।
नेपाल सरकार का मानना है कि अब पानी सिर के ऊपर से बहने लगा है। लेकिन चीन हिमालयी देश की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को हल्के में लेता आ रहा है। तनाव की इस असली वजह पर नारायण कई चीनी अधिकारियों से बात करने के मूड से गए थे। लेकिन वहां उनकी अचानक तबियत खराब हो गई और अस्पताल में भर्ती हो गए। इस वजह से वह बहुत महत्वपूर्ण चर्चा हो ही नहीं पाई।
लेकिन तब भी नारायण चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री और सीपीसी सैक्रेटेरिएट के सदस्य वांग ज्याओहांग से मिल लिए थे। उनसे उन्होंने कानून व्यवस्था की चिंता करने और सीमा पार सुरक्षा सहयोग बढ़ाने को लेकर लंबी बात की। इससे पूर्व इसी वर्ष मार्च में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल उर्फ प्रचंड ने चीन सरकार से अपील की थी नेपाल के कारोबार के लायक उत्पादों को बीजिंग के खुले बाजारों तक पहुंच उपलब्ध कराएं।
इधर, चीन की बीआरआई परियोजना यूं तो अनेक सदस्य देशों के लिए सिरदर्द साबित हो रही है, लेकिन नेपाल के सीमांत दुर्गम क्षेत्रों में तो इसके अनेक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इस परियोजना के रास्ते चीन की कारोबार पर एकाधिकारवादी महत्वाकांक्षाएं साफ झलकती हैं। लेकिन इससे भी बड़ी चीन की शरारत, जो कई देशों के साथ वह कर रहा है, यहां भी चल रही है। सीमा क्षेत्रों का अतिक्रमण चीन का चिर—परिचित शगल बन चुका है। नेपाल और चीन के बीच सीमा पर दो स्थान मिलते हैं। दूसरे, नेपाल में भी चीनी लोग की बहुतायत देखने में आ रही है। दुकानों, बाजारों, दफ्तरों में चीनियों का दिखना आम होता जा रहा है।
कुछ रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में नेपाल सरकार उतनी चौकसी नहीं कर पा रही है। वहां बढ़ती जा रही चीनियों की तादाद भी चिंता जगा रही है। पता चला है कि, चीन इस स्थिति का फायदा उठा रहा है। वह घुसपैठ और सीमांत इलाकों में जासूसी करवा रहा है।
वर्ष 2022 में नेपाल सरकार की एक रिपोर्ट आई थी इसमें था कि नेपाली इलाके में चीनियों की दखल बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट का दावा था कि हिमालयी देश के जिले हुम्ला में चीनी विशेष रूप से बढ़ते देखे गए हैं। चीन ने यहां कुछ इमारतें भी खड़ी कर ली हैं। उसने सीमा के उस ओर अर्थात नेपाल में सड़क और नहर बनाना शुरू किया था। लेकिन नेपाल वालों को चीनी बीआरआई से कई शिकायतें हैं जिनकी वजह से बढ़ते तनाव में फिलहाल वह निर्माण तो रुका हुआ है। लेकिन, काठमांडू और बीजिंग में, बेशक, छत्तीस का आंकड़ा गहराता जरूर जा रहा है।
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