इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा आदिकवि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर 2 नवंबर, 2023 को नांगलोई, दिल्ली में ‘आदिकवि वाल्मीकि एवं भारतीय संस्कृति’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी में वक्ताओं ने एक स्वर में आदर्श समाज व्यवस्था की स्थापना के लिए आदिकवि वाल्मीकि कृत रामायण को महत्वपूर्ण ग्रंथ बताया।
मुख्य अतिथि के रूप में इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के कार्यकारी अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. विनोद बब्बर ने कहा कि आदिकवि वाल्मीकि कृत रामायण एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसे अवश्य पढ़ना चाहिए। यह आज भी प्रासंगिक है। आदिकवि वाल्मीकि ने आदर्श राज्य और अराजक राज्य का विस्तार से वर्णन किया है। उन्होंने सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त किया। वाल्मीकि ने रामायण में जिन नैतिक मूल्यों का निर्धारण किया है, उसे अपने जीवन में उतारकर सुंदर समाज की स्थापना की जा सकती है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पश्चिमी विभाग सेवा प्रमुख श्री सुरेश कुमार ने कहा कि रामायण आदिकवि वाल्मीकि की कालजयी रचना है। इसके नायक श्रीराम का चरित्र संपूर्ण मानव समाज के लिए अनुकरणीय है। रामायण में आदर्श परिवार का चित्रण हुआ है।
इस संगोष्ठी में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय मंत्री श्री प्रवीण आर्य, इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के उपाध्यक्ष श्री मनोज शर्मा ‘मन’, संयुक्त महामंत्री श्री संजीव सिन्हा, मंत्री श्रीमती सुनीता बुग्गा, डॉ. जय सिंह आर्य, श्री कृष्ण निर्मल, श्री जगदीश एवं नांगलोई जिला प्रचारक श्री विजय सहित अनेक विशिष्टजन उपस्थित रहे। संगोष्ठी का संचालन इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती, पश्चिमी विभाग के अध्यक्ष श्री अखिलेश द्विवेदी ने किया।
इस अवसर पर इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के पश्चिमी विभाग और द्वारिका, नजफगढ़, उत्तमनगर एवं नांगलोई जिला इकाई के पदाधिकारियों के नामों की घोषणा की गई।
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