जामिया में सरकारी खजाने की ‘डकैती’
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

जामिया में सरकारी खजाने की ‘डकैती’

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में ‘सेल्फ फाइनेंस मोड’ के अंतर्गत जो रकम आती है, उसका तीन प्रतिशत भाग कुलपति से लेकर अन्य अधिकारियों में बंट रहा है

by अरुण कुमार सिंह
Nov 3, 2023, 08:48 am IST
in विश्लेषण, दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है। यानी इस विश्वविद्यालय के कुलपति से लेकर दफ्तरी तक को केंद्र सरकार वेतन देती है।

नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है। यानी इस विश्वविद्यालय के कुलपति से लेकर दफ्तरी तक को केंद्र सरकार वेतन देती है। इसके बावजूद यहां की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर और अन्य प्राध्यापक विश्वविद्यालय की आय से भी कुछ हिस्सा प्राप्त कर रहे हैं। पता चला है कि इस विश्वविद्यालय में ‘सेल्फ फाइनेंस मोड’ से जो पैसा आ रहा है, उसका तीन प्रतिशत हिस्सा कुलपति से लेकर शिक्षणेतर कर्मचारियों तक में बंट रहा है। यह पैसा किसको कितना मिलना चाहिए, इसके लिए विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (मजलिस-आई-मुंतजिमिया) की बैठक 21 जनवरी, 2022 को हुई थी। प्रो. नजमा अख्तर की अघ्यक्षता में हुई बैठक में तत्कालीन उपकुलपति प्रो. तसनीम फातमा, शिक्षा संकाय के डीन प्रो. एजाज मसीह, अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संकाय के तत्कालीन डीन प्रो. इब्राहिम, छात्र कल्याण के तत्कालीन डीन प्रो. मेहताब आलम, यूनिवर्सिटी पोलिटेक्निक के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद शाहिद अख्तर और कार्यवाहक रजिस्ट्रार डॉ. नजीम हुसैन जाफरी उपस्थित थे।

इसी बैठक में तय किया गया कि ‘सेल्फ फाइनेंस मोड’ से जो भी पैसा आएगा, उसका तीन प्रतिशत हिस्सा कुलपति से लेकर चपरासी तक में बांटा जाएगा। उस तीन प्रतिशत का छह प्रतिशत कुलपति को मिलेगा। इसके बाद उपकुलपति को 5.75 प्रतिशत और स्तर-14 के अधिकारियों को 5.50 प्रतिशत दिया जाएगा। इस स्तर में रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक और वित्त अधिकारी शामिल हैं। स्तर-13 के लिए 5.25 प्रतिशत, स्तर-12 के लिए 5 प्रतिशत, स्तर-11 के लिए 4.75 प्रतिशत, स्तर-10 के लिए 4.50 प्रतिशत, स्तर-9 के लिए 4.25 प्रतिशत, स्तर-8 के लिए 4 प्रतिशत, स्तर-7 के लिए 3.75 प्रतिशत, स्तर-6 के लिए 3.50 प्रतिशत, स्तर-5 के लिए 3.25, स्तर-4 के लिए 3 प्रतिशत, स्तर-3 के लिए 2.75 प्रतिशत, स्तर-2 के लिए 2.50 प्रतिशत और स्तर-1 के लिए 2.25 प्रतिशत में मेहनताना तय किया गया।

 ‘‘जामिया के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। दरअसल, जमीन माफिया ने जामिया प्रशासन को रिश्वत दे दी है। इसलिए जामिया की कार्यकारी परिषद ने 4 अगस्त, 2023 को एक बैठक कर उस जमीन की मालकिन को एन.ओ.सी. देने का निर्णय लिया।’’
– हारिस उल हक

वास्तव में यह सरकारी पैसा है। इसे विश्वविद्यालय के खाते में जाना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। इसलिए ‘पाञ्चजन्य’ ने इस मामले में विश्वविद्यालय का पक्ष जानने के लिए उसके जनसंपर्क अधिकारी को 19 सितंबर को ईमेल कर पूछा कि क्या इस तरह सरकारी पैसे की बंदरबांट हो सकती है? लेकिन विश्वविद्यालय ने इन पंक्तियों के लिखे जाने तक उस ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया है। इसका अर्थ क्या है, यह सुधी पाठक ही तय करें।

जामिया मिल्लिया मिडिल स्कूल में शारीरिक शिक्षा के शिक्षक हारिस उल हक का कहना है कि जो प्रोफेसर या अन्य लोग ‘सेल्फ फाइनेंस मोड’ के कार्य से जुड़े हैं, उन्हें उसका कुछ हिस्सा मिल जाए तो बात समझ में आती है, लेकिन उन लोगों को क्यों दिया जा रहा है, जिन्हें इससे कोई मतलब ही नहीं है। इसलिए यह मामला वित्तीय अनियमितता का तो है ही, साथ ही इसे संस्थागत भ्रष्टाचार भी कह सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों का भी खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार शैक्षणिक संस्थाओं को अपने स्तर से आय बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए, ताकि संस्थान आराम से शैक्षणिक गतिविधियों को पूरा कर सकें, लेकिन जामिया में आमदनी की बंदरबांट हो रही है।

इस तरह हो रही है पैसे की बंदरबांट

उल्लेखनीय है कि जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय में नियमित पाठ्यक्रमों के अलावा बहुत सारे ऐसे विषय हैं, जिन्हें ‘सेल्फ फाइनेंस मोड’ में पढ़ाया जाता है। नियमित पाठ्यक्रमों के लिए बहुत ही कम शुल्क है, जबकि ‘सेल्फ फाइनेंस मोड’ के अंतर्गत जो छात्र नामांकन कराते हैं, उनसे शुल्क के रूप में मोटी राशि ली जाती है।

हारिस उल हक के अनुसार, ‘‘सेल्फ फाइनेंस मोड से विश्वविद्यालय को प्रतिवर्ष 50 करोड़ रु. से भी अधिक की राशि मिलती है। इस राशि का तीन प्रतिशत हिस्सा कुलपति और हर श्रेणी के अध्यापकों और कर्मचारियों में बंटता है। ऐसा और किसी विश्वविद्यालय में नहीं होता है।’’ इस मामले को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) की जामिया इकाई ने भी उठाया है। अभाविप का कहना है कि ‘सेल्फ फाइनेंस मोड’ के पैसे को वे लोग आपस में बांट रहे हैं, जिन्हें सरकार मोटी तनख्वाह देती है। ये लोग बिना मेहनत यह पैसा ले रहे हैं। यदि पैसा बच रहा है, तो उसका उपयोग छात्रों के कल्याण में होना चाहिए, उन्हें सुविधाएं मिलनी चाहिए।

कुलपति पर भ्रष्टाचार के आरोप

इसके अलावा इन दिनों जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर पर अनेक गंभीर आरोप भी लग रहे हैं। एक ऐसा ही आरोप है भ्रष्टाचार का। बता दें कि 1957 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और वहां के एक निवासी एम.जी.सैयदेन के बीच भूखंड की अदलाबदली हुई थी। यानी दोनों ने अपनी सुविधा के लिए अपनी-अपनी जमीन एक-दूसरे को दी थी। इसके साथ एक शर्त यह थी कि जब भी सैयदेन उस जमीन को बेचेंगे तो सबसे पहले वे जामिया से ही संपर्क करेंगे। यानी पहला खरीददार जामिया होगा। यह भी शर्त थी कि जामिया उस जमीन को वर्तमान ‘सर्कल’ दर पर खरीदेगा। यदि जामिया उस जमीन को नहीं लेगा, तो वह उस जमीन के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एन.ओ.सी.) जारी करेगा।

855 वर्ग फुट वाली उस जमीन की मालकिन आजकल सैयदेन की रिश्तेदार जाकिया जहीर है। जानकारी के अनुसार उपरोक्त जमीन की बिक्री की बात आई तो सबसे पहले जामिया से संपर्क किया गया, लेकिन जामिया ने जमीन को यह कहते हुए लेने से असमर्थता जताई कि उसके पास पैसे नहीं हैं। हारिस उल हक कहते हैं, ‘‘जामिया के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। दरअसल, जमीन माफिया ने जामिया प्रशासन को रिश्वत दे दी है। इसलिए जामिया की कार्यकारी परिषद ने 4 अगस्त, 2023 को एक बैठक कर उस जमीन की मालकिन को एन.ओ.सी. देने का निर्णय लिया।’’ यह भी जानकारी मिली है कि शाह आलम नामक एक बिल्डर ने 17 करोड़ रुपए में उस जमीन का सौदा भी कर लिया है।

लोगों का कहना है कि जामिया ने जानबूझकर इस जमीन को नहीं खरीदा। इससे पहले 2002 में जामिया ने इसी परिवार से 400 गज जमीन 40,00,000 रु. में खरीदी थी। प्रो. नजमा अख्तर पर नियुक्ति में भी धांधली के आरोप लग रहे हैं। अब उनका कार्यकाल बहुत ही कम रह गया है। अगले महीने में वे सेवानिवृत्त होने वाली हैं। नियमानुसार वे कोई नियुक्ति नहीं कर सकती हैं। इसके बावजूद वे इन दिनों कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया निपटा रही हैं।

इन घटनाओं और आरोपों का निष्कर्ष यही निकल रहा है कि जामिया मिल्लिया भी भ्रष्टाचारियों से नहीं बचा। उम्मीद है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय जामिया को भ्रष्टाचार-मुक्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।

Topics: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय जामियाराष्ट्रीय शिक्षा नीतिजामिया मिल्लिया इस्लामियाअभियांत्रिकी एवं तकनीकी संकायसेल्फ फाइनेंस मोड
Share12TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

नवाचार और अनुसंधान की राह

कार्यक्रम में राज्यपाल एन. इंद्रसेना रेड्डी का स्वागत करते भारतीय शिक्षण मंडल के अधिकारी

‘विकास के लिए तकनीक और संस्कृति दोनों चाहिए’

Boycott Turkey : जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने तोड़े तुर्किये से संबंध, JNU सहित ये संस्थान पहले ही तोड़ा चुकें हैं नाता

कक्षा 7 की इतिहास की पाठ्यपुस्तक से ‘मुगलों ‘और ‘दिल्ली सल्तनत’के अध्याय हटा गए

मुगलों का अध्याय खत्म

होली मनाते छात्र और अध्यापक

जामिया में होलिकोत्सव

Tamilnadu MK Stalin Reservation to converted

एमके स्टालिन सरकार ने राज्य के बजट से ‘₹’ सिंबल हटाया: भाषा की आड़ में सियासत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Tarrif War and restrictive globlization

प्रतिबंधात्मक वैश्वीकरण, एक वास्तविकता

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies