पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए योगी सरकार निरंतर जागरूक कर रही है। फिर भी न मानने वालों पर सख्ती कर जुर्माना आदि की कार्रवाई की जा रही है। इसके चलते साल दर साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी आ रही है। सख्ती का ही असर है कि किसानों के फसल जलाने की घटनाओं में भी कमी दर्ज की गई है। वहीं एनसीआर के कई जनपदों में भी लोग जागरूक हुए हैं। सरकार की कोशिश है कि पराली जलाने की घटनाओं में काफी हद तक कमी आ जाए।
फसल अवशेष प्रबंधन पर सरकार का काफी जोर है। यदि पराली जलाने की घटनाओं से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो 2022 में इससे जुड़े 3017 मामले सामने आए थे। योगी सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियान व सख्ती से 2023 के 10 महीने में महज 906 मामले ही सामने आए। आंकड़ों पर नजर डालें तो पराली जलाने के 2017 में 8784, 2018 में 6623, 2019 में 4230, 2020 में 4659, 2021 में 4242 मामले प्रकाश में आए थे। योगी सरकार के सख्त रवैये से निरंतर पराली जलाने के मामलों में कमी दर्ज की जा रही है।
पराली के कारण फसल जलने की घटनाओं में भी काफी कमी आई है। 30 अक्टूबर तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2020 में 1132 स्थानों पर ऐसी घटनाएं हुई थीं। 2021 में यह घटकर 890 हुई तो 30 अक्टूबर 2023 में 748 मामले ही प्रकाश में आए। पीलीभीत में 30 अक्टूबर 2022 तक जहां 98 प्रकरण आए थे, वहीं 84 प्रकरण 2023 में अब तक आए हैं। इस क्रम में शाहजहांपुर के लोगों ने काफी प्रयास किया। वहां 2022 में 223 मामले प्रकाश में थे, जो इस वर्ष तक अभी 48 ही सामने आए हैं।
पराली जलाने से रोकने में एनसीआर के जिलों में भी जागरुकता आई है। शामली में 30 अक्टूबर 2022 तक छह स्थानों पर ऐसी घटनाएं सुनाई दी थीं तो 2023 में 5, मेरठ में 4 के मुकाबले 3, बुलंदशहर में 7 के मुकाबले 6 और बागपत में दो के सापेक्ष एक घटनाएं प्रकाश में आईं। वहीं हापुड़ में पिछले वर्ष दो मामले प्रकाश में आए थे। इस वर्ष जागरुकता के कारण अब तक एक भी घटना नहीं हुई।
फसलों के अवशेष जलाने से रोकने के लिए योगी सरकार आईईसी कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचार प्रसार कर रही है। जागरुकता कार्यक्रम, कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम व प्रचार-प्रसार से इस पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रही है। बायोडिकम्पोजर की आपूर्ति एवं कृषकों में निःशुल्क वितरण के साथ ही फसल अवशेष प्रबन्धन के एकल कृषि यंत्र एवं फार्म मशीनरी बैक अंतर्गत फसल अवशेष प्रबंधन वाले कृषि यंत्रों का वितरण किया जा रहा है। जनपदों में गन्ना, बेसिक शिक्षा, राजस्व, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, स्थानीय निकाय, पुलिस, परिवहन, कृषि इत्यादि विभाग के अधिकारियों के समन्वय से प्रभावी कार्रवाई की जा रही है। फसल अवशेष आधारित ईकाइयों का प्रचार-प्रसार कर उनमें पराली की आपूर्ति कराने व जनपद स्तरीय टास्क फोर्स का गठन कर अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन कर योगी सरकार जागरूक कर रही है।
पराली जलाये जाने की घटनाओं पर कड़ी सख्ती बरती जा रही है। लेखपालों को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलने की घटनाएं न होने दें। न मानने वालों पर अर्थदंड आदि की कार्रवाई भी की जा रही है। 2 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500, 2 से 5 एकड़ क्षेत्र के लिए 5000 व 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए 15000 प्रति एकड़ अर्थदंड निर्धारित किया गया है। कंबाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर एसएमएस की अनिवार्यता की गई है। कहा गया है कि राजस्व ग्राम के लिए लेखपाल की जिम्मेदारी तय की जाए कि अपने क्षेत्र में पराली जलने की घटनाएं न होने दें।
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