चीन ने इस्राएल के हमास पर हमले को लेकर अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। हालांकि शुरुआत में उसने युद्ध की जगह ‘शांति’ की पैरवी करने का पैंतरा दिखाया था; लेकिन अब उसने अपने यहां से दुनिया के आनलाइन नक्शे में से ‘इस्राएल देश’ को गायब करके अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी है।
बीजिंग ने एक प्रकार से बर्बर जिहादी संगठन हमास के पक्ष में जाने का संकेत दिया है। चीन की दो बड़ी मशहूर कंपनियों ने अपनी वेबसाइट पर दिए नक्शे में से इस्राएल को देश के नाते दिखाने पर रोक लगा दी है। चीन में सोशल मीडिया में इस हरकत को लेकर तरह तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं। एक बहस छिड़ गई है। इस हरकत से पूर्व इसी कम्युनिस्ट चीन ने मांग की थी कि गाजा में संघर्षविराम होना चाहिए। लेकिन इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ऐसी सभी मांगों को ठुकराते हुए हमास के खात्मे तक युद्ध जारी रखने के संकेत दे दिए हैं।
हमास की इस्राएल के हाथों चल रही जबरदस्त मरम्मत के बीच तमाम मुस्लिम देशों के सुर में सुर मिलाते हुए चीन ने भी दिखा दिया है कि वह ‘बर्बर हमास के पक्ष’ में खड़ा है। इधर इस्राएल गाजा पर गाज गिराना जारी रखे हुए है और जमीनी लड़ाई के लिए कमर कस चुका है। तो दूसरी ओर चीन ने इस्राएल को अपने यहां ऑनलाइन दिए दुनिया के नक्शे से ही गायब कर दिया है।
अमेरिका के मशहूर अखबार द वॉल स्ट्रीट जनरल ने इस संबंध में छापी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बाइडू और अलीबाबा नाम की चीन की दो बड़ी कंपनियों ने अपनी वेबसाइट पर विश्व मानचित्र में से इस्राएल का नाम हटाकर यह कहा है कि वे अब उस देश को इस नाम से नहीं पुकारेंगी। रिपोर्ट बताती है कि बाइडू ने अपने आनलाइन नक्शे में इस्राएल तथा फिलिस्तीन को दो देशों के नाते नहीं, बल्कि अलग-अलग इलाकों के तौर पर दिखाया है।
बीजिंग ने एक प्रकार से बर्बर जिहादी संगठन हमास के पक्ष में जाने का संकेत दिया है। चीन की दो बड़ी मशहूर कंपनियों ने अपनी वेबसाइट पर दिए नक्शे में से इस्राएल को देश के नाते दिखाने पर रोक लगा दी है। चीन में सोशल मीडिया में इस हरकत को लेकर तरह तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं। एक बहस छिड़ गई है। इस हरकत से पूर्व इसी कम्युनिस्ट चीन ने मांग की थी कि गाजा में संघर्षविराम होना चाहिए। लेकिन इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ऐसी सभी मांगों को ठुकराते हुए हमास के खात्मे तक युद्ध जारी रखने के संकेत दे दिए हैं।
द वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट बताती है कि बाइडू की ही तर्ज पर कंपनी अलीबाबा ग्रुप ने भी वैसा ही एक नक्शा प्रसारित किया है। इस नक्शे में जहां एक छोटे से देश लक्समबर्ग को साफ तौर पर दिखाया गया है वहीं इस्राएल के नाम तक का उल्लेख नहीं है। बेशक, बड़ी संख्या में चीनी इंटरनेट उपभोक्ताओं ने इस्राएल का नाम गायब करने को एक असाधारण निर्णय बताया है। देश भर में इस कदम को लेकर बहस छिड़ी है कि उक्त कंपनियों का ऐसा करना क्या दर्शाता है। हालांकि दोनों ही चीनी कंपनियों, बाइडू और अलीबाबा ने इस बारे में कोई वक्तव्य जारी नहीं किया है।
गाजा पर जब इस्राएल ने बमबारी शुरू की थी तब चीन की तरफ से बयान आया था कि वहां संघर्षविराम हो ताकि तनाव ज्यादा न भड़के और लोगों को जो तकलीफ पहुंच रही है उसे रोका जाए। लेकिन गत एक सप्ताह से चीन के सुर बदलते दिखाई दे रहे थे। पहले उसने इस्राएल के अपनी रक्षा करने के हक की बात की थी। इस पर उसे कई देशों और मुस्लिमों से काफी कुछ सुनना पड़ा था। इसके बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गाजा में फौरन संघर्षविराम किए जाने की मांग उछाल दी। यह भी कहा कि चीन युद्ध पर बारीक नजर रखे हुए है।
लेकिन न चीन, न किसी भी अन्य देश की कैसी भी टिप्पणियों को ताक पर रसते हुए, इस्राएल ने 7 अक्तूबर को हमास द्वारा दिखाई गई बर्बरता का निर्णायक जवाब देने की ठानी हुई है। इस्राएल ने अपने हमलों की मारकता धीरे धीरे बढ़ा दी है। उत्तरी गाजा को खाली करने की चेतावनी देने के 48 घंटे बाद, इस्राएली सैनिकों ने वहां हमास के आतंकवादियों की तलाश का अभियान चलाया हुआ है। उधर हमास संभवत: रणनीति के तहत ‘विक्टिमहुड’ का पैंतरा अपनाते हुए, महिलाओं और बच्चों को कैमरों के आगे रोते दिखा रहा है। इस्लामपरस्त मीडिया गाजा वालों के ‘दर्द’ को प्रसारित करने में दिन—रात एक कर रहा है।
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