इस्राएल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मुस्लिम देशों और सेकुलरों की उस मांग को ठकरा दिया है, जिसमें कहा गया था कि ‘मानवीयता की खातिर’ गाजा पर हमले बंद किए जाएं’।फिलिस्तीन के पक्ष में, और परोक्ष रूप से हमास के पक्ष में दुनिया के अनेक देशों में सड़कों पर उतरकर गाजा में संघर्षविराम करने के नारे लगाने वालों को कल नेतन्याहू ने दो टूक शब्दों में कड़ा जवाब देते हुए कहा कि यह युद्ध है जो इस्राएल और सभ्य जगत की विरोधी बर्बर ताकतों के खत्म होने तक जारी रहेगा, कोई संघर्षविराम नहीं होगा।’
तेल अवीव में मीडिया को संबोधित करते हुए इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने स्पष्ट कहा कि संघर्षविराम को भूल जाइए, यह वक्त युद्ध का है। उन्होंने अपनी बात को और पुख्ता तरीके से रखते हुए आगे कहा कि जैसे पर्ल हार्बर पर बमों से हमले या 9/11 के जिहादी हमले के बाद अमेरिका संघर्षविराम के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं था। उसी तरह 7 अक्तूबर को इस्राएल पर इस्लामी जिहादी हमले के बाद इस्राएल हमास के विरुद्ध इस युद्ध को तब तक नहीं बंद करेगा जब तक कि मानवता विरोधी हमास को खात्मा नहीं हो जाता।
बाइबिल को उद्धृत करते हुए नेतन्याहू ने कहा कि बाइबिल में कहा है कि एक समय होता है शांति का और एक समय होता है युद्ध का। यह समय युद्ध का है। इस्राएल का संकल्प दोहराते हुए उन्होंने कहा कि कोई साथ दे या न दे, विश्व के भले के लिए हम इस युद्ध से पीछे नहीं हटेंगे।
इस्लामी देशों और सेकुलरों को आड़े हाथों लेते हुए इस्राएली प्रधानमंत्री ने कहा कि हमसे संघर्षविराम करने को कहना एक प्रकार से हमास के सामने, जिहादीआतंकवाद के सामने घुटने टेक देने को कहने जैसा ही है, जो हमें किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं हो सकता।
बाइबिल को उद्धृत करते हुए नेतन्याहू ने कहा कि बाइबिल में कहा है कि एक समय होता है शांति का और एक समय होता है युद्ध का। यह समय युद्ध का है। उन्होंने कहा कि इस्राएल जो युद्ध लड़ रहा है वह पूरी सभ्य दुनिया का युद्ध है इसलिए मेरी अपील है कि सभी सही सोच वाले देश इसमें सहयोग दें। एक बार फिर से इस्राएल का संकल्प दोहराते हुए उन्होंने कहा कि कोई साथ दे या न दे, विश्व के भले के लिए हम इस युद्ध से पीछे नहीं हटेंगे। यह हमारे सबके साझे भविष्य की लड़ाई है।
इससे पहले, अमेरिका में पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने हमास पर जबरदस्त प्रहार किया। उन्होंने कहा कि यह संभव ही नहीं है कि गाजा के साथ संघर्षविराम हो। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो यह चीज हमास के लिए एक उपहार जैसी होगी। इससे जो उसे वक्त मिलेगा उसमें वह खुद को फिर से मजबूत ही बनाएगा।
2016 में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुकीं हिलेरी का कहना है कि जो भी लोग संघर्षविराम की अपील कर रहे हैं, वे दरअसल हमास की असलियत को नहीं जानते। संघर्षविराम किसी तरह भी संभव नहीं है। संघर्षविराम का मतलब होना हमास की फिर से मजबूती का वक़्त मिलना और अपने अड्डे मज़बूत करना तथा हथियारों के जखीरे जमा करना।
इधर हिलेरी यह सब बोल रही थीं, तो उधर उसी दिन संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में इस्राएल तथा हमास के बीच ‘मानवीयता की खातिर’ फौरन संघर्षविराम को लागू करने का प्रस्ताव बहुमत पारित किया गया। यह प्रस्ताव जॉर्डन की तरफ से रखा गया था, इसके विरोध में अमेरिका सहित 14 देशों ने मत डाला तो भारत सहित 45 देश मतदान से अनुपस्थित रहे।
7 अक्तूबर को हमास ने इस्राएल पर जो औचक हमला बोला था और महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों सहित आम नागरिकों को निशाना बनाया था उसमें लगभग 1400 लोगों की मौत हुई थी। इसके फौरन बाद इस्राएल ने जवाबी आपरेशन शुरू किया जिसमें अभी तक 8000 से अधिक लोगों के मारे जाने के समाचार मिले हैं।
हिलेरी ने बड़ी बेबाकी से हमास को तार-तार करते हुए कहा कि इस्राएल वालों पर हमास ने जो आतंक बरपाया हुआ है उसका विरोध होना बेहद ज़रूरी है। हमास को इसका मोल चुकाना ही होगा। इसलिए इस्राएल को अपनी रक्षा स्वयं करने का अधिकार है, युद्ध के नियम उसे यह अधिकार देते हैं।
गाजा के पाले में खड़े इस्लामवादी और सेकुलर ‘महिलाओं और बच्चों की दुहाइयां’ देते हुए संघर्षविराम की मांग तो उठाते हैं लेकिन वे 7 अक्तूबर को हमास द्वारा एकदम नजदीक से इस्राएली बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को गोलियों से छलनी करने के पाशवित कृत्य का कोई जिक्र नहीं करते। उन्हें शायद वह जिहादी कृत्य ‘अमानवीय’ नहीं दिखता। यही वजह है कि उनकी इस फर्जी अपील को लेकर ज्यादा देश चिंता नहीं करते।
लेकिन हिलेरी ने बड़ी बेबाकी से हमास को तार—तार करते हुए कहा कि इस्राएल वालों पर हमास ने जो आतंक बरपाया हुआ है उसका विरोध होना बेहद ज़रूरी है। हमास को इसका मोल चुकाना ही होगा। इसलिए इस्राएल को अपनी रक्षा स्वयं करने का अधिकार है, युद्ध के नियम उसे यह अधिकार देते हैं।
हालांकि यह भी सच है कि हिलेरी की यह जिहाद विरोधी बातें इस्लामवादियों को कड़वी लगीं और उन्होंने सोशल मीडिया पर हिलेरी पर भड़ास भी निकाली। विशेषरूप से स्वाभावगत मुस्लिमों ने हिलेरी के वक्तव्य की भर्त्सना की। यानी दुनिया भर में मुस्लिम सिर्फ और सिर्फ मजहब के नाम पर हमास को उकसा रहे हैं, फिलिस्तीन के लिए रोना रो रहे हैं, लेकिन उनकी ‘मानवीयता’ की खोखली दलील योजनाबद्ध तरीके से हमास की क्रूरता और इस्राएल के दर्द को बयां नहीं करती।
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