इस्राएल के जबरदस्त हमलों के बीच संयुक्त राष्ट्र द्वारा भेजी राहत सामग्री राशन आदि को हमास के आतंकवादी ही लूटने में लगे हैं। वे गोदामों पर हमले बोलकर जो हाथ पड़े लूट के ले जा रहे हैं। राहत सामग्री की इस लूटमार में दबंग किस्म के फिलिस्तीनी युवा और गाजा के लोग भी शामिल हैं। यह हैरान करने वाले समाचार गाजा के कई स्थानों से आए हैं। ताजा खबर राफाह के गोदाम से आई है जहां फिलिस्तीन के लोग और हमास के आतंकवादी राहत को भेजी गई चीजें गोदामों पर डाका डाल कर लूट रहे हैं। दक्षिणी गाजा पट्टी के दैर एल-बालाह के गोदाम पर ऐसी भीड़ टूटी कि वहां खड़े कार्यकर्ता देखते रह गए और उन्मादी भीड़ राशन के पैकेट ले उड़ी।
इधर इस्राएल ने उत्तरी गाजा से सबको निकल जाने को कहा है क्योंकि संभवत: वहां जमीनी सैन्य कार्रवाई शुरू की जानी है। इसके बाद दक्षिणी गाजा में संयुक्त राष्ट्र संघ से जो मदद पहुंची उसे हमास के जिहादियों ने ही लूटना शुरू कर दिया। दबंग किस्म के गाजा वासी भी फिर लूटमार पर उतर आए। हालांकि बताया यह भी जा रहा है कि जरूरत से कहीं कम पहुंच रही राहत की चीजों को पाने के लिए व्यवस्थाएं तोड़कर लोग अफरातफरी मचा रहे हैं।
हमास पर इस्राएल तिल पर भी समझौता करने को तैयार नहीं हैं। इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कल कहा है कि युद्ध दूसरे चरण में पहुंच चुका है और यह अब हमास को धरती से मिटाने के बाद ही रुकेगा। इधर कई देशों में इस्लामवादी और सेकुलर तत्व ‘इंसानियत’ की दुहाई देते हुए हजारों की भीड़ लेकर रैलियां निकाल रहे हैं। वे बच्चों और महिलाओं को ‘पीड़ित’ बताकर विश्व समुदाय को फौरन युद्ध बंद कराने को कह रहे हैं।
लड़ाई की बात करें तो इस्राएल के कई बार चेतावनी देने के बाद भी उत्तरी गाजा में अभी भी बहुत बड़ी तादाद में लोग रुके हुए हैं। वे इस्राएल की कार्रवाई में जानबूझकर अड़चन पैदा करना चाहते हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग आहत हों और दुनिया में ‘मानवाधिकार’ को लेकर इस्राएल विरोधी माहौल को और हवा दी जा सके।
ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के गोदामों पर लूटमार के संबंध में मीडिया में समाचार आए हैं। इनके अनुसार, दक्षिणी गाजा पट्टी में राफाह में स्थिति काबू से बाहर पहुंचा दी गई। गोदामों में जबरन घुसे लोगों ने सारी व्यवस्था को तार—तार कर दिया और जो हाथ पड़ा, ले उड़े। वहां से एजेंसियों द्वारा जारी चित्रों में लोगों को राशन व अन्य चीजों के लिए गोदामों की तरफ दौड़ते और अफरा-तफरी मचाते देखा जा सकता है।
अरबी चैनल अल जजीरा की ही रिपोर्ट है कि लगभग तीन सप्ताह की पूरी तरह कटे तथा बमबारी से घिरे हजारों फिलिस्तीनी गेहूं, आटा तथा अन्य सामानों के लिए लूटमार करने पर आमादा हो चले हैं। इधर संयुक्त राष्ट्र ने सावधान किया है कि लोगों ने हजारों की तादाद में राहत सामग्री के गोदामों में घुसकर न सिर्फ तोड़फोड़ की है बल्कि व्यवस्था को भी चरमरा दिया है। इन गोदामों में संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी की तरफ से गेहूं, आटा तथा दूसरी चीजें रखी गई हैं जिनकी लूटमार चल रही है।
उल्लेखनीय है कि इस्राएल के हमास पर इन जवाबी हमलों से 7 अक्तूबर के बाद से अभी तक लगभग 8000 लोग मारे जा चुके हैं। घायलों की संख्या भी लगभग 20,200 हो चुकी है। हमास पर इस्राएल तिल पर भी समझौता करने को तैयार नहीं हैं। इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कल कहा है कि युद्ध दूसरे चरण में पहुंच चुका है और यह अब हमास को धरती से मिटाने के बाद ही रुकेगा। इधर कई देशों में इस्लामवादी और सेकुलर तत्व ‘इंसानियत’ की दुहाई देते हुए हजारों की भीड़ लेकर रैलियां निकाल रहे हैं। वे बच्चों और महिलाओं को ‘पीड़ित’ बताकर विश्व समुदाय को फौरन युद्ध बंद कराने को कह रहे हैं।
लेकिन दिलचस्प तथ्य है कि कोई सेकुलर ‘विशेषज्ञ’ किसी टीवी बहस में 7 अक्तूबर को इस्लामी जिहादियों द्वारा इस्राएल के अनेक शहरों में की गई कार्रवाई का उल्लेख न करते हुए गाजा, वहां के ‘पीड़ित बच्चों व महिलाओं’ को लेकर ही आंसू बहाता दिखता है। एक चैनल ने जब हमास के प्रवक्ता से बार बार यह पूछा कि क्या 7 अक्तूबर को जिस तरह इस्राएल में आम लोगों के घरों में घुसकर महिलाओं और बच्चों को नजदीक से गोली मारी गई थी, वह ‘युद्ध अपराध’ में आता है कि नहीं, तो जिहादियों का प्रवक्ता ऐसा बिफरा कि माइक हटाकर बहस से ही भाग खड़ा हुआ।
फिलहाल, इस्राएल के भीषण हमले जारी हैं और उत्तरी गाजा में जमीनी कार्रवाई शुरू होने के बाद हालात और बिगड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। इस्राएल इस बार एकजुट हो कर हमास के साथ निर्णायक युद्ध के लिए तैयार दिखता है।
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