कण-कण भारत के प्राचीन गौरव की महिमा गाता है। प्रतापी राजा कर्ण ने इसी स्थान पर अपने अंतिम संस्कार की इच्छा जताई थी, जो पूरी हुई। सहस्रों वर्षों से यह कल्पवास की स्थली रही है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के पश्चात् इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत का वितरण किया था।
बेगूसराय (बिहार) स्थित सिमरिया धाम पर अर्धकुंभ का पहला पर्व (शाही) स्नान 25 अक्तूबर को संपन्न हुआ। इस अवसर पर राष्ट्र संत करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज की अगुआई में पर्व यात्रा निकली। इसमें केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी शामिल हुए। सिमरियाधाम गंगा नदी के पावन तट पर स्थित एक छोटा गांव है।
यहां का कण-कण भारत के प्राचीन गौरव की महिमा गाता है। प्रतापी राजा कर्ण ने इसी स्थान पर अपने अंतिम संस्कार की इच्छा जताई थी, जो पूरी हुई। सहस्रों वर्षों से यह कल्पवास की स्थली रही है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के पश्चात् इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत का वितरण किया था। 12 वर्ष पूर्व सिमरिया के पावन गंगा तट पर पिछले चार दशक से धूनी रमाए एक संत ने इस स्थान की महिमा का वर्णन किया। विद्वानों ने विचार मंथन कर इस तर्क की सहर्ष संस्तुति की।
जनसामान्य ने उत्साह से कुंभ का आयोजन किया। देखते-देखते सिमरिया अर्धकुंभ भारत के प्राचीन गौरव का मानदंड लिए अध्यात्म-संस्कृति के क्षितिज पर दीपशिखा सम आलोकित हो उठा। क्रम आगे बढ़ा, ठीक छह वर्ष बाद 2017 में महाकुंभ का अवसर आया। लोगों के उत्साह के आगे नतमस्तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुंभ का ध्वजारोहण किया। भारतीय संस्कृति के संरक्षक अखाड़ों से निशान लेकर संत-महात्मा पधारे। नागा साधुओं ने अपनी साधना से वातावरण में ऊर्जा का संचार किया।
अब अवसर 12 वर्ष की साधना के एक चक्र के पूर्ण होने का है। सिमरिया सज चुका है। परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज के कर कमलों से 19 अक्तूबर को सिमरिया अर्धकुंभ-2023 का ध्वजारोहण हो चुका है। अगला पर्व स्नान 9 नवंबर और 23 नवंबर को होना है। इस बीच 31 अक्तूबर, 8 नवंबर और 16 नवंबर को तीन परिक्रमा भी होनी।
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