इस्लामी मुल्क कजाकिस्तान ने एक बड़ा कदम उठाते हुए शिक्षण संस्थानों अर्थात विद्यालयों में छात्राओं और शिक्षिकाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। कजाकिस्तान ने यह कदम चरमपंथ को नियंत्रित करने के लिए उठाया है। मगर इस निर्णय के चलते पूरे देश में बहस आरम्भ हो गयी है। हालांकि कजाकिस्तान सरकार के इस निर्णय के चलते कई लड़कियों ने विरोध में स्कूल भी छोड़ने का निर्णय कर लिया है। यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ स्कूलों में वर्ष 2017 से ही संस्थान के भीतर हिजाब पर प्रतिबन्ध था और उस समय भी इसका विरोध हुआ था।
अब सरकार की ओर से यह घोषणा की गयी है कि स्कूल की यूनीफार्म में हिजाब पहनने पर प्रतिबन्ध होना चाहिए क्योंकि हर विशेषता, प्रतीक या तत्व किसी न किसी रूप से उस धर्म-मत का प्रतीक होते हैं, जिससे वह सम्बंधित होते हैं। क़ानून के सामने सभी मतों की समानता, धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को सुनिश्चित करने के लिए किसी भी धर्म को लाभ की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कज़ाकिस्तान की सरकार की वेबसाईट के अनुसार स्कूल में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध केवल धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के अनुसार स्कूल की आंतरिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लगाया गया है। इस वक्तव्य के अनुसार विद्यालय के परिसर में हिजाब की अनुमति नहीं है, परन्तु विद्यालय से बाहर यह प्रतिबन्ध लागू नहीं होता है। सरकार का यह कहना है कि यह अभिभावकों का उत्तरदायित्व है कि वह संविधान एवं कजाकिस्तान गणतंत्र द्वारा निर्धारित कानूनों द्वारा प्रदत्त कर्तव्यों का निर्वहन करें एवं किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह अपने मजहबी विचारों के आधार पर इनका उल्लंघन करे।
कज़ाकिस्तान में यद्यपि मुस्लिम जनसंख्या की बहुलता है, परन्तु इस प्रतिबन्ध के समर्थकों का कहना है कि कजाकिस्तान एक धर्मनिरपेक्ष देश है और किसी भी धर्म को विशेष लाभ देने से उसे बचना चाहिए, मगर विरोधियों का कहना है कि ऐसे प्रतिबन्ध चेतना की स्वतंत्रता के सिद्धांत का विरोध करते हैं। कजाकिस्तान में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबन्ध का मामला कई वर्षों से चल रहा है और समय समय पर इसके विषय में चर्चाएँ होती रही हैं, परन्तु 16 अक्टूबर को सरकार द्वारा दिए गए उत्तरों के बाद संभवतया अब इसका समर्थन और विरोध दोनों ही तेज हो जाएँगे, जैसा पूरे विश्व में इस समय इस विषय को लेकर देखा जा रहा है।
इसे एक सोच समझ कर लिया गया निर्णय बताया जा रहा है क्योंकि वहां पर कई लोगों को यह लगता है कि नकाब और हिजाब पहनने वाली महिलाओं के व्यवहार में अजीब सा परिवर्तन देखने को मिलता है और यह भी कि अतीत में कजाकिस्तान में महिलाएं अपना चेहरा और हाथ नहीं कवर करती थीं।
भारत में कर्नाटक में हिजाब को लेकर फिर विवाद
जहां मुस्लिम देश कजाकिस्तान में शैक्षणिक संस्थानों अर्थत विद्यालयों में हिजाब को लेकर प्रतिबन्ध के समाचार सामने आ रहे हैं क्योंकि वह पहनावे आदि से किसी पंथ को लेकर पक्षपाती नहीं दिख सकते हैं तो वहीं भारत के कर्नाटक में एक बार फिर से हिजाब को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है। कर्नाटक में सभी परीक्षाओं में महिलाओं को हिजाब पहनकर उपस्थित होने की अनुमति दे दी गयी है।
यह सभी को ज्ञात है कि कैसे कर्नाटक से ही हिजाब को लेकर एक बहस आरम्भ हुई थी और कई स्थानों पर इसे लेकर प्रदर्शन हुए थे और इसके चलते दिल्ली में जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष तक इसमें कूद गयी थीं। पूरे विश्व में भारत की और हिन्दुओं की छवि को विकृत करने का प्रयास किया गया था।
केरल का मामला
हाल ही में केरल में भी सीपीआई (एम) के एक नेता के अनिल कुमार के वक्तव्य से वहां पर बहस आरम्भ हो गयी है। जो केरल स्वयं को सबसे साक्षर कहलाने का दंभ भरता है, वहां पर 3 अक्टूबर 2023 को सीपीआई (एम) के एक नेता ने एक नास्तिक संगठन के कार्यक्रम में यह कह दिया कि उनकी शिक्षा पद्धति के कारण मल्लापुरम में कई लड़कियां ऐसी हैं जो अब हिजाब को न कहती हैं क्योंकि केरल में कम्युनिस्ट पार्टी शासन में है।
इसे लेकर केरल में मुस्लिम संगठन विरोध में उतर आए थे। सुन्नी मुस्लिमों में संगठन समस्था ने सीपीआई (एम) पर अनुचित मापदंड प्रयोग करने का आरोप लगाया तो वहीं आईयूएमएल के नेता के एम शाहजी ने भी सीपीएम नेता के इस बयान का विरोध किया। हालांकि हिन्दू धर्म के हर रीतिरिवाज पर प्रश्न उठाने वाली सीपीआई (एम) ने आनन फानन में इसे के अनिल कुमार का निजी वक्तव्य बताकर अपने आपको इससे अलग कर लिया था।
यह बहुत ही अजीब बात है कि जहां एक ओर इस्लामी मुल्क हिजाब को लेकर अपने विचारों को स्पष्ट करते जा रहे हैं कि शैक्षणिक संस्थानों में किसी भी प्रकार मजहबी पहचान नहीं दिखनी चाहिए और यूनिफ़ॉर्म का ही पालन किया जाना चाहिए तो वहीं भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में इसे वस्त्रों की स्वतंत्रता के नाम पर स्कूल की यूनिफार्म पर पहनाने की वकालत ही नहीं की जाती है बल्कि कहीं-कहीं तो हिन्दू धर्म की लड़कियों को भी पहना दिया जाता है जैसा हमने मध्यप्रदेश में गंगा-जमुना स्कूल में देखा था कि कैसे हिन्दू धर्म की लड़कियों को भी हिजाब पहना दिया गया था।
बहरहाल मीडिया के अनुसार कजाकिस्तान में भी यह बहस अब तेज हो रही है कि हिजाब पहनने वाली लड़कियों को कैसे शिक्षा प्रदान की जाए क्योंकि कई लोग बिना हिजाब के अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के इच्छुक नहीं हैं।
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