नैनीताल। पिछले दिनों नैनीताल के वीर भट्टी क्षेत्र में प्रशासन द्वारा बंद कराए गए मदरसे की जमीन सरकारी निकली। इस पर कब्जा कर पक्का निर्माण किया गया था। वहीं, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपना संकल्प फिर दोहराया है कि जमीन जिहाद का खेल उत्तराखंड में नहीं चलेगा, एक-एक इंच सरकारी जमीन खाली करवाएंगे।
नैनीताल जिले में एक शिकायत के बाद जिला प्रशासन की टीम ने आठ अक्तूबर को वीरभट्टी स्थित एक मदरसे की जांच पड़ताल की थी। इस दौरान पता चला था कि मदरसा अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने मदरसे के तीन कमरों को सील कर वहां मिले बच्चों को पूछताछ के बाद उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया था।
डीएम वंदना सिंह के निर्देश पर एसडीएम प्रमोद कुमार को राजस्व और वन विभाग की टीम के साथ मदरसे की भूमि की जांच के लिए भेजा तो सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण पाया गया। इस पर जिला प्रशासन ने मदरसे के संचालक मोहम्मद उमर को नोटिस जारी कर सरकारी भूमि में किए गए निर्माण संबंधी दस्तावेज दिखाने या सात दिन के भीतर अतिक्रमण को स्वयं ही हटाने के निर्देश दिए।
एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि यदि संचालक ने दस्तावेज भी नहीं दिखाए और स्वयं अतिक्रमण नहीं हटाया तो प्रशासन अपने स्तर पर अतिक्रमण हटाएगा। उधर, डीएम वंदना सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर नैनीताल जिले के सभी मदरसो की जांच शुरू कर दी गई है।
सीएम धामी का बयान
हम लगातार ये कह रहे हैं कि जमीन जिहाद का खेल देवभूमि उत्तराखंड में नही चलेगा। सरकार की जमीन कब्जा कर अवैध मदरसे और मजारें बनाना सहन नहीं किया जाएगा। प्रशासन इनकी जांच कर हटाएगा। हम फिर कह रहे हैं कि अवैध कब्जा लोग खुद हटा लें नहीं तो बुल्डोजर हटाएगा। उन्होंने बताया कि देवभूमि का देव स्वरूप बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।
एक हफ्ते में पांच मदरसे बंद
जंगल और सरकार की जमीन पर बने पांच मदरसों को धामी सरकार ने या तो बंद करवा दिया है या फिर ध्वस्त करवा दिया है। किच्छा में एक मदरसे के लिए तो कश्मीर से फंडिंग की जा रही थी, वीर भट्टी के मदरसे की बिल्डिंग कैसे सरकारी भूमि पर बन गई ये बड़ा सवाल है?
कैंट एरिया में कैसे बन गईं अवैध मजारें ?
नैनीताल में कैंट एरिया में अचानक दो मजारें कैसे बन गईं, ये भी विषय जिला प्रशासन के संज्ञान में आया है। केंद्र सरकार, रक्षा, रेलवे, वन मंत्रालय की जमीनों पर अवैध रूप से मजारें कैसे बनती चली गईं ? क्या ये भी जमीन जिहाद, मजार जिहाद का हिस्सा नहीं ? देहरादून कैंट एरिया में यहां तक कि राज भवन परिसर में कैसे मजार बन गई ? कथित पीर की फ्रेंचाइजी और अवैध मजारों का खेल पिछले पंद्रह सालों में उत्तराखंड में खूब पनपा है, देहरादून शहर में ही 37 मजारें देखी गई जबकि 37 किमी परिधि का शहर नहीं है।
अल्मोड़ा, रानीखेत और अन्य शहरों तक मजार जिहाद पहुंच गया। हालांकि धामी सरकार अभी तक 501 अवैध मजारों को ध्वस्त कर चुकी है लेकिन अभी भी शहरी एरिया में कई अवैध मजारें सरकारी जमीन पर दिखाई दे रही हैं।
टिप्पणियाँ