इस्लामी देश बहरीन में एक भारतीय डॉक्टर को एक बड़े अस्पताल में उसकी नौकरी से सिर्फ इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि उसने इस्राएल का समर्थन किया था। परिवार वाले उस डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर इस्राएल के समर्थन की पोस्टडाली थी जिससे अस्पताल का प्रबंधन नाराज हो गया और डॉक्टर की सेवाएं खत्म कर दी गईं। पता चला है कि नौकरी जाने से भयभीत उस डॉक्टर ने अपने ‘कृत्य’ के लिए सोशल मीडिया पर ही माफी मांगी है।
यह घटना सच में हैरान करने वाली है कि भारतीय मूल के एक डॉक्टर सुनील राव को इस्राएल के प्रति अपना मत व्यक्त करना इस कदर एक मुद्दा बना लिया गया। लोग सवाल उठा रहे हैं कि डॉक्टरी के पेशे में मजहबी उन्माद या हर चीज को मजहब के तराजू पर तोलना कहां तक उचित था? उसने तो सिर्फ इस युद्ध को लेकर अपना मत व्यक्त किया था, जबकि दुनिया के कितने ही देशों में इस्लामवादी और सेकुलर लोग सड़कों पर उतरकर फिलिस्तीन और गाजा के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं और मीडिया उसे बढ़—चढ़कर दिखा रहा है। अल जजीरा चैनल तो ऐसे प्रदर्शनों की अनेक देशों से खास रिपोर्टिंग दिखा रहा है।
इस्लामी देशों को दोमुंहा व्यवहार समझ से बाहर है। मजहब के नाम पर ब्रदरहुड की दलीलें और मानवाधिकार की दलीलें तभी दी जाती हैं जब पीड़ित मुस्लिम हों। इस्राएल में जो आतंकवादी हमास ने बर्बरता दिखाई थी उसकी चर्चा अधिकांश सेकुलर मीडिया पैनलों में की ही नहीं जा रही है। बहरीन में नौकरी कर रहे भारतवंशी डॉक्टर सुनील राव को जब अस्पताल ने नौकरी से बाहर करने का नोटिस दिया तो उनके होश उड़ गए, उसमें कारण इस्राएल के प्रति समर्थन व्यक्त करना बताया गया था।
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अस्पताल के इस व्यवहार के बाद, व्यथित डॉ. राव ने अपनी गलती मानते हुए माफी मांगी और अपनी पोस्ट को ‘असंवेदनशील’ बताते हुए कहा कि ‘डॉक्टर के नाते उनके लिए सभी की जान के मायने हैं। वे इस मुल्क और यहां रहने वालों तथा उनके मजहब का सम्मान करते हैं।’ डॉ. राव बहरीन में पिछले दस वर्ष से काम कर रहे हैं।
अस्पताल ने सोशल मीडिया पर यह सूचना जारी की, जिसमें लिखा कि डॉक्टर राव ने सोशल मीडिया पर इस्राएल के प्रति समर्थन व्यक्त किया, यह उनकी अपनी राय थी, लेकिन फिलिस्तीन विरोधी उनकी इस पोस्ट की वजह से उन्हें काम से बाहर किया जाता है। हालात की गंभीरता जानकर डॉ. सुनील राव ने अपनी ‘भूल’ मान ली और मांगी मांगते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, उन्होंने ‘जो पोस्ट की वह असंवेदनशील है। एक डॉक्टर होने की वजह से उनके लिए तो सभी की जान के मायने हैं, इसलिए वे अपनी पोस्ट के लिए उन्हें माफ किया जाए’।
इस बीच, इस्राएल तथा हमास के बीच युद्ध और तेज हो रहा है। युद्ध में अमेरिका इस्राएल के पाले में है जबकि अधिकांश मुस्लिम देश फिलिस्तीन का साथ दे रहे हैं। ऐसे में रॉयल बहरीन अस्पताल के डॉ. सुनील राव का कसूर इतना रहा कि उन्होंने एक आम नागरिक के नाते इस्राएल का समर्थन कर दिया। इससे डॉक्टरी के उनके कर्तव्य पर आंच आने जैसा कुछ था ही नहीं, लेकिन अस्पताल ने बात का बतंगड़ बनाया ताकि कट्टर और सेकुलर तत्व अस्पताल पर उंगली न उठाएं। यही वजह है कि रॉयल बहरीन अस्पताल प्रशासन फौरन हरकत में आ गया और डॉ. राव की छुट्टी करके अपना ‘दामन साफ कर लिया’।
अस्पताल प्रशासन ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में आगे कहा कि ‘इंटरनल मेडिसिन के विशेषज्ञ के नाते कार्यरत डॉक्टर सुनील राव ने पोस्ट में जो भी लिखा है; वह समाज के प्रति अपमान जैसा है। पोस्ट में डॉ. राव के अपने विचार हैं, उनकी अपनी सोच है। यह अस्पताल प्रशासन की कोड आफ एथिक्स का उल्लंघन है। ऐसे में उस डॉक्टर के विरुद्ध कार्रवाई की गई है और उनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गई हैं। उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है।’
अस्पताल के इस व्यवहार के बाद, व्यथित डॉ. राव ने अपनी गलती मानते हुए माफी मांगी और अपनी पोस्ट को ‘असंवेदनशील’ बताते हुए कहा कि ‘डॉक्टर के नाते उनके लिए सभी की जान के मायने हैं। वे इस मुल्क और यहां रहने वालों तथा उनके मजहब का सम्मान करते हैं।’ बता दें कि डॉ. राव बहरीन में पिछले दस वर्ष से काम कर रहे हैं।
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