देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देश पर जंगलों में टीन-टप्पर में बने अवैध मदरसे और मस्जिदों को वन विभाग की टीम ने ध्वस्त कर दिया। बुलडोजरों ने करीब 13 हेक्टेयर वन भूमि को कब्जा मुक्त कर दिया। इस अभियान के दौरान यहां काबिज मुस्लिम गुज्जरों ने विरोध भी किया, लेकिन वन सुरक्षा बल और पुलिस बल ने हालात को नियंत्रित कर लिया।
बताया जा रहा है कि जंगलों में एक साजिश के तहत मुस्लिम गुज्जरों की आड़ लेकर जमीयत द्वारा अवैध कब्जे कर वहां मस्जिद और मदरसे खोले जा रहे हैं। इसकी जानकारी खुफिया विभाग द्वारा सीएम कार्यालय तक पहुंची थी। सीएम धामी ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और नोडल अधिकारी ( अतिक्रमण) डॉ. पराग धकाते को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
वन विभाग ने भाखड़ा रेंज के भूड़ा खत्ता इलाके में मुस्लिम गुज्जरों द्वारा अवैध रूप से बनाए मदरसे और मस्जिद की टीन टप्पर की झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया, साथ ही आसपास के अन्य अतिक्रमण को भी साफ कर दिया। फॉरेस्ट रेंजर को मुस्लिम गुज्जरों ने विरोध स्वरूप अपशब्द भी कहे, जिसके बाद वन सुरक्षा बल और साथ में गए पुलिस बल ने मोर्चा संभाल लिया और विरोध करने वालो को खदेड़ दिया।
बताया जाता है इन मदरसों और मस्जिदों में बिलासपुर, रामपुर, मुरादाबाद के मौलवी आकर मजहबी प्रचार कर रहे थे, जबकि यहां सरकार ने प्राइमरी स्कूल खोले हुए हैं और मुस्लिम गुज्जर यहां अपने बच्चे नहीं भेज रहे हैं। यहां जमीयत के लोग आकर डेरा डाल रहे हैं और मुस्लिम गुज्जरों को कट्टरवाद की तरफ धकेल रहे हैं। जानकारी के अनुसार सरकार को भेजी खुफिया रिपोर्ट में वर्तमान में अस्थाई मदरसे-मस्जिद के पक्के निर्माण में तब्दील किए जाने का भी अंदेशा व्यक्त किया गया है। ऐसा ही जसपुर के पास जंगल में और कालाढूंगी वन निगम डिपो में भी हुआ, जहां पहले मजार बनाई गई फिर पक्की मस्जिद बना दी गई।
नोडल अधिकारी (अतिक्रमण) डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि 13 हेक्टेयर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाया गया है। अभी कारवाई आगे भी जारी है, उन्होंने बताया कि सीएम का सख्त आदेश है कि जंगल अतिक्रमण मुक्त किया जाए और यदि कोई इसमें बाधा डालता है तो एफआईआर दर्ज कर उस पर गैंगस्टर एक्ट लगाया जाए और संपत्ति कुर्क की जाएगी। जिन वन गुज्जरों को सरकार जमीन आबंटित है यदि उससे ज्यादा पर वे काबिज हैं तो उसे अतिक्रमण माना जाएगा और ऐसे में उनके पुराने आबंटन को रद्द करने पर भी सरकार विचार कर सकती है।
डॉ. धकाते ने यह भी कहा कि जिन जिन वन क्षेत्रों में ऐसा अतिक्रमण हो रहा है वहां तैनात वन कर्मी भी इसके जिम्मेदार माने जाएंगे और उनके खिलाफ भी विभागीय कारवाई की जाएगी।
गश्त की कमी
वर्ष 2019 से पहले जंगल में पुलिस और वन कर्मियों की संयुक्त गश्त होती थी। जंगल में माओवाद, आतंकवाद पनाह न ले इसलिए तराई के जंगलों में निगरानी एक अभियान का हिस्सा थी जो बंद हो जाने से जंगलों में एक षड्यंत्र के तहत अतिक्रमण हो रहा है। इसमें मजहबी अतिक्रमण होता देख खुफिया विभाग के भी कान खड़े हुए हैं।
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