देहरादून। उत्तराखंड के उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले के जंगलों में मुस्लिम गुज्जरों ने सैकड़ों हेक्टेयर जंगल की सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है। कब्जाई गई जमीन पर मस्जिद, मदरसे बना दिए गए हैं, जिनकी अनुमति जिला प्रशासन से नहीं ली गई है। इन मस्जिद, मदरसों में जमीयत से जुड़े मौलवी आकर उर्दू अरबी की तालीम दे रहे हैं। खास बात ये है कि पुलिस की खुफिया रिपोर्ट के बावजूद वन विभाग इस मामले में सोया हुआ है, जबकि सीएम पुष्कर सिंह धामी बार-बार विभाग के उच्च अधिकारियों को निर्देशित कर चुके हैं कि जंगलों से अवैध कब्जे हटाए जाएं।
उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के तराई सेंट्रल, तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी फॉरेस्ट डिवीजन के घने जंगलों में मुस्लिम गुज्जरों ने अवैध रूप से कब्जे कर हजारों हेक्टेयर सरकारी वन भूमि पर खेती करनी शुरू कर दी है, खास बात ये है कि वन विभाग के अधिकारियों ने इस जानकारी को बरसों तक शासन या सरकार से छिपाए रखा है। जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कुछ समय पहले पुलिस के खुफिया विभाग ने एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें वन भूमि पर अवैध कब्जे किए जाने की जानकारी के साथ-साथ अवैध रूप से बनी मस्जिद, मजार, मदरसे और अन्य मजहबी संस्थाओं का भी जिक्र किया गया था। सीएम धामी ने इस सूचना को वन विभाग के उच्च अधिकारियों के सामने रखा तो उसके बाद वन महकमे में कुछ दिन तो सरसराहट हुई फिर अतिक्रमण हटाओ अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
जानकारी के मुताबिक घने जंगलों से मुस्लिम गुज्जरों को ऐसे ही नहीं कुछ साल पहले बाहर किया गया था इसके पीछे कुछ वजहें थीं। तर्क ये दिया जाता रहा है कि टाइगर रिजर्व, वाइल्ड लाइफ रिजर्व से मुस्लिम गुज्जरों को इसलिए बाहर किया गया कि जंगल का स्वाभाविक स्वरूप बना रहे और वन्य जीवों को जीवन जीने में कोई बाधा न हो। कहा ये जाता था कि वन मुस्लिम गुज्जर मांस नहीं खाते और जंगल के रखवाले होते हैं, किंतु समय के बदलाव के साथ-साथ वन मुस्लिम गुज्जरों का सामाजिक, आर्थिक जीवन भी बदल रहा है और यहां भी मुस्लिम कट्टरपंथ प्रवेश करने लगा और ईद पर कुर्बानी होने लगी और धीरे-धीरे ये लोग रिजर्व फॉरेस्ट के जंगल में अपने झाले खत्ते के आसपास खेती के लिए वन कर्मियों से मिलीभगत कर सरकारी वन भूमि को कब्जाने लगे। यहां मस्जिदें बन गईं और लाउडस्पीकर लगाकर पांच वक्त की नमाज पढ़ी जाने लगी, बच्चों के लिए जमीयत के उलेमाओं ने यहां आकर मदरसे खोल दिए हैं, जहां हिंदी नहीं, बल्कि उर्दू अरबी पढ़ाई जा रही है। इन मदरसों, मस्जिदों को बनाए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार जिला अधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक है। जोकि नही ली गई है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनाए गए फैसलों के बाद वन विभाग ने और खास तौर पर राजा जी नेशनल पार्क, कॉर्बेट पार्क, वेस्टर्न सर्कल के रिजर्व फॉरेस्ट से इन्हे जंगल से बाहर निकाल कर भूमि आबंटित कर एक तरफ बसा दिया। बताया जाता है कि इस भूमि आबंटन की प्रक्रिया के दौरान भी बंदर बांट हुई और बड़ी संख्या में यूपी से आए मुस्लिम गुज्जर भी यहां आकर बस गए। ऐसा बताया गया कि जब 1983 में सर्वे हुआ था तब राजा जी पार्क में कुल 512 मुस्लिम गुज्जर और जब 1998 में सर्वे हुआ तो 1393 परिवार थे। जब कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार में इन्हें जंगल से बाहर निकाल कर प्रत्येक परिवार को .87 हेक्टेयर भूमि का आबंटन किया गया तो इनके संख्या 2500 से अधिक थी। बताया जाता है आबंटन से पूर्व मुस्लिम गुज्जरों में जमीयत उलेमा संगठन की घुसपैठ हो चुकी थी। एक मुस्लिम गुज्जर की तीन-तीन बीवियां, विधवाओं के मुस्लिम निकाह, रिश्ते नातेदारी दिखा कर जमीनों पर अधिकार जताकर आबंटन करा लिए और सरकारी वन भूमि को एक जमीन जिहाद षडयंत्र के तहत हथिया लिया।
बताया जाता है कि अब बहुत बड़ी संख्या में मुस्लिम गुज्जरों ने अपनी जमीन के एक बड़े हिस्से को यूपी, हरियाणा के मुस्लिम गुज्जरों को 100-100 रुपए के स्टांप पेपर पर बेच डाला है और खुद अपने जानवर लेकर पहाड़ों की तरफ पहले की तरह आने जाने लगे हैं क्योंकि इन्हे “माईग्रेट”होने और जंगलों में जानवर ले जाने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। इन्होंने पहाड़ों में भी अब अपने स्थाई डेरे बना लिए हैं। इन डेरो में जमीयत के लोगों का आना जाना है वहां मस्जिद, मदरसे खुल गए हैं और इस्लामिक तालीम और गतिविधियां चल रही हैं, जिनके विरोध में जौनसार बावर के चकराता त्यूनी आदि क्षेत्रों में मुस्लिम गुज्जर विरोधी आंदोलन उठ खड़े हुए हैं और स्थानीय लोगों ने इनके मदरसे तोड़ डाले हैं।
जानकारी के मुताबिक मुस्लिम गुज्जरों के नाम स्थानीय मतदाता सूची में कांग्रेस नेताओं ने दर्ज करवा दिए हैं, जिनकी संख्या हजारों में है और अब वो जौनसार बावर के जनजाति क्षेत्र का लाभ उठाकर नौकरियों में आरक्षण की मांग करने लगे हैं। तराई के जंगल में ऐसे कई मामले चिन्हित हुए हैं कि एक-एक मुस्लिम गुज्जर परिवार 50-50 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहा है। ये जंगल की जमीन कैसे वनाधिकारियों ने कब्जा होने दी ये एक गंभीर जांच का विषय है।
सीएम धामी के निर्देश के बाद वन विभाग के अधिकारियों की कार गुजारियां भी सामने आ रही है कि कैसे उनकी मिलीभगत से हजारों हेक्टेयर जमीन पर मुस्लिम गुज्जर जमीन जिहाद षड्यंत्र के तहत जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। सीएम धामी ने अपने कॉर्बेट पार्क दौरे में क्षेत्र वन अधिकारियों की बैठक में स्पष्ट कहा है कि रिजर्व फॉरेस्ट से अवैध कब्जे तुरंत हटाए जाएं और वन अधिकारी नहीं हटाएंगे तो वे लापरवाह अधिकारियों को हटा देंगे।
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