इस्राएल की गाजा पर जबरदस्त जवाबी कार्रवाई से फिलिस्तीनी ही नहीं, दुनिया के अधिकांश मुस्लिम देश हैरान हैं और लामबंद होकर इस्राएल को लानतें भेज रहे हैं। इस कड़ी में ताजा नाम जुड़ा है ईरान के सर्वोच्च शिया मजहबी नेता खामेनेई का, जिन्होंने इस्राएल को खुली धमकी जैसी दी है। उन्होंने कहा कि ‘गाजा पर हमले फौरन बंद हों नहीं तो फिर मुसलमानों और टक्कर देनी वाली ताकतों को कोई रोक नहीं पाएगा’। ईरान इस दोतरफा युद्ध में उसे शह देने वाले पक्ष की तरह व्यवहार करके इस्राएल को आएदिन धमका रहा है।
इस्राएल ने पर्याप्त सूचना और सावधान करने के बाद गाजा पट्टी पर ताबड़तोड़ हमले बोले हैं जिनमें जान—माल का भारी नुकसान देखने में आ रहा है। यह सब देखकर हिज्बुल्लाह और ईरान ने इस्राएल को होशियार किया है कि हमले रोके जाएं नहीं तो युद्ध भीषण हो सकता है। ऐसे में ईरान के सबसे बड़े शिया नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई का यह कहना आग में केरोसीन का काम कर रहा है कि, अगर इस्राएल के द्वारा हमले नहीं रोके गए तो उसे प्रतिरोध करने वाली कार्रवाई को भुगतना पड़ेगा।
तेहरान से जारी ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई का यह बयान रक्षा विशेषज्ञों में नया कौतुहल पैदा कर गया है। खामनेई के शब्द हैं कि यदि इस्राएल गाजा पट्टी में जुल्म करता है तो मुसलमानों तथा प्रतिरोध करने वाली ताकतों को फिर कोई रोक नहीं पाएगा। यह परोक्ष चेतावनी इस्राएल द्वारा जवाबी कार्रवाई में इस्लामी आतंकवादी संगठन हमास की कमर तोड़ने वाले हमलों के बीच आई है।
ईरानी विदेश मंत्री होसैन के अनुसार, हमास, हिज्बुल्लाह तथा लड़ाकों के पास ‘दुश्मन के साथ लंबे युद्ध’ लायक ताकत है। हिज्बुल्लाह के डिप्टी कमांडर नईम कासिम ने भी पिछले सप्ताह यह कहा था कि ‘उनका गुट हमास-इस्राएल युद्ध से अलग रहने के अंतरराष्ट्रीय तथा इलाकाई आह्वानों को नजरअंदाज कर देगा। उसके अनुसार, हिज्बुल्लाह अपनी जिम्मेदारियां समझता है। गुट तैयार है, हर तरह से तैयार है।’
उधर ईरान के विदेश मंत्रालय द्वारा भी इस्राएल को फिर से चेतावनी जारी की गई है कि गाजा में संघर्ष को और न बढ़ाया जाए। मंत्रालय द्वारा कहा गया है कि अगर गाजा में संघर्ष चलता रहा तो इससे क्षेत्र में एक बड़ा युद्ध छिबड़े क्षेत्रीय युद्ध छिड़ सकता है। इस पर, इस्राएल ने सपाट टिप्पणी करते हुए कहा कि जब तक गाजा पट्टी में आतंकवादी संगठन हमास का एक भी आतंकवादी जिंदा है, यह हमला चलता रहेगा। यहां बता दें कि ईरान ने हमास की कार्रवाई का सदा समर्थन ही किया है।
इस्राएल की इस जवाबी कार्रवाई को लेकर हमास की ओर से साफ कहा गया ईरान उसकी मदद में रहा है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हमास के उस बयान से ईरान ने खुद को अलग कर लिया था।
ईरान की प्रमुख न्यूज एजेंसी ‘इरना’ ने खामेनेई को उद्धत किया है, “अगर जायोनिस्ट राज के जुल्म जारी रहे, तो मुसलमानों तथा प्रतिरोध की ताकतों को कोई नहीं रोक पाएगा।” यह एक तरह से खुली चेतावनी ही मानी जा रही है। वैसे भी ईरान मिडिल ईस्ट में अनेक उग्रपंथी संगठनों को प्रश्रय देता रहा है। इनमें से अधिकांश आतंकी संगठनों के निशाने पर इस्राएल ही रहा है। उदाहरण के लिए, पड़ोसी लेबनान में हिज्बुल्लाह है तो इराक और सीरिया में इस्लामी लड़ाके इस्राएल को देखकर आंखें तरेरते रहे हैं।
शिया नेता खामेनेई की इस ‘चेतावनी’ से ठीक एक दिन पहले ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन ने इस युद्ध के संदर्भ में कहा था कि हो सकता है कुछ घंटों के अंदर इस्राएल के विरुद्ध एक बड़ी कार्रवाई हो। उन्होंने कहा था, ‘हिज्बुल्लाह के सामने सभी विकल्प खुले हैं। उन्होंने तहकीकात के बाद हालात का अनुमान लगा लिया है। ईरानी विदेश मंत्री ने कहा का कि
इस्राएल को टक्कर देनी वाली ताकतें उसे इलाके में कैसी भी कार्रवाई करने की इजाजत नहीं देंगी।’ ईरान की तरफ से उन्होंने टकराव के राजनीतिक हल निकालने की तरफ संकेत किया था, लेकिन उसके लिए शर्त यह है कि इस्राएल फिलिस्तीनी नागरिकों पर अपने ‘युद्ध अपराध’ बंद करे।
ईरानी विदेश मंत्री के अनुसार, हमास, हिज्बुल्लाह तथा लड़ाकों के पास ‘दुश्मन के साथ लंबे युद्ध’ लायक ताकत है। हिज्बुल्लाह के डिप्टी कमांडर नईम कासिम ने भी पिछले सप्ताह यह कहा था कि ‘उनका गुट हमास-इस्राएल युद्ध से अलग रहने के अंतरराष्ट्रीय तथा इलाकाई आह्वानों को नजरअंदाज कर देगा। उसके अनुसार, हिज्बुल्लाह अपनी जिम्मेदारियां समझता है। गुट तैयार है, हर तरह से तैयार है।’
टिप्पणियाँ