इस्राएल-हमास संघर्ष पर बंटा विश्व
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

इस्राएल-हमास संघर्ष पर बंटा विश्व

हमास के आतंकी हमले और इस्राएली नागरिकों से बर्बरता पर अरब देशों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। भारत, पश्चिमी गुट और यूरोपीय संघ इस्राइल के साथ खड़े हैं, जबकि रूस, चीन, ईरान, कतर, सीरिया और यमन ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है

by जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी
Oct 17, 2023, 12:59 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बर्बरता के खिलाफ इस्राएल ने गाजा पट्टी को दुनिया के नक्शे से मिटा देने तक सैन्य अभियान जारी रखने का संकल्प लिया है। इस दोतरफा हमले में 3,000 से अधिक सैनिक और नागरिक मारे गए, जबकि हजारों घायल हुए हैं।

गाजा पट्टी में काबिज आतंकी संगठन हमास ने इस्राएल पर हमले कर फिर से जंग छेड़ दी है। इस सुनियोजित हमले में हमास ने लगभग 5,000 रॉकेट दागे, जिसमें कई इस्राएल के अभेद्य माने जाने वाले ‘आयरन डोम’ रक्षा कवच को भेदते हुए गिरे। हमास ने पैराग्लाइडिंग से लड़ाके भी इस्राएल में उतारे, जिन्होंने घरों में घुस कर बेरहमी से निर्दोष नागरिकों को कत्ल किया। यहां तक कि महिलाओं के शवों के साथ बलात्कार किया। इस बर्बरता के खिलाफ इस्राएल ने गाजा पट्टी को दुनिया के नक्शे से मिटा देने तक सैन्य अभियान जारी रखने का संकल्प लिया है। इस दोतरफा हमले में 3,000 से अधिक सैनिक और नागरिक मारे गए, जबकि हजारों घायल हुए हैं।

इस्राएल और फिलिस्तीन के बीच विवाद की जड़ में 2,000 वर्ष पूर्व शुरू हुआ मजहबी उन्माद है। यहूदी, ईसाई और इस्लाम, तीनों के लिए यह क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। ये तीनों मत-मजहब अब्राहम की संतति से उत्पन्न हुए हैं। ओल्ड टेस्टामेंट के अनुसार, अब्राहम के पौत्र याकूब (जैकब) ने 12 यायावर जातियों को मिलाकर इस्राएल नाम दिया। याकूब के पुत्र यहूदा के कारण इस्राएल के लोग यहूदी कहलाए, जिनका उपासना गृह माउंट टेम्पल यरुशलम में था, जिसकी केवल एक दीवार बची है।

इस क्षेत्र में 1,000 वर्ष से अधिक समय तक यहूदियों के रहने के बाद ईसा मसीह का जन्म हुआ, जिनके नाम पर ईसाई मत बना। मसीह का जन्म इसी क्षेत्र के बेथलहम में हुआ, उन्हें यरुशलम में सूली पर लटकाया गया और वहीं उनका पुनर्वतरण हुआ। इसलिए यह क्षेत्र ईसाइयों के लिए भी आस्था का केंद्र बिंदु बन गया। बाद में ईसाइयों द्वारा छेड़े गए क्रूसेड के कारण यहूदी वहां से विस्थापित होने के लिए मजबूर हो गए, लेकिन पीढ़ियों तक मातृभूमि को नहीं भूले। इसी बीच, 7वीं सदी में इस्लाम के उदय के साथ यह क्षेत्र मुसलमानों के लिए भी पवित्र हो गया, क्योंकि वहां अल-अक्सा मस्जिद है, जो मक्का और मदीना के बाद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

यदि इस संघर्ष में दोनों मोर्चों (गाजा में हमास व लेबनान में हिज्बुल्लाह) पर इस्राएल जाता, तो एक बात साफ हो जाएगी कि आतंकवाद अजेय नहीं है। उस पर काबू पाया जा सकता है, भले ही उसे समूल नष्ट न किया जा सके।

20वीं सदी में द्वितीय युद्ध के उपरांत हिटलर द्वारा यहूदियों के नरसंहार के बाद ब्रिटेन इस क्षेत्र पर काबिज हुआ और संयुक्त राष्ट्र संघ की सहमति से मजहब के आधार पर उसने इस क्षेत्र को बांटा तथा इस्राएल-फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश की मान्यता दी। लेकिन इस बंटवारे को अनुचित बताते हुए अरब देशों ने फिलिस्तीन के साथ मिलकर इस्राएल के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। उनसे लड़ते हुए इस्राएल अपना विस्तार करता रहा।

पिछली सदी के सातवें दशक में मिस्र-इस्राएल के बीच कैम्प डेविड समझौते से क्षेत्र में स्थायी शांति की कुछ उम्मीद बनी, जो अंतिम दशक में इस्राएल और फिलिस्तीन के बीच ओस्लो समझौतों के रूप में फलित हुई। लेकिन किसी भी पक्ष ने दोनों समझौतों का पूरी तरह पालन नहीं किया। परिणामत: फिलिस्तीनी अधिकरण का गठन हुआ, जिसे वेस्ट बैंक और गाजा की सत्ता मिली। लेकिन 2007 में आतंकी समूह हमास ने गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया। तब से न तो गाजा में और न ही फिलिस्तीनी प्राधिकरण में चुनाव हुए। 16 वर्ष में हमास ने इस्राएल पर 12 बार हमले की कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। वर्तमान हमला उसकी लंबी तैयारी और सुनियोजित साजिश का ही परिणाम है।

बहरहाल, हमास के हमले और इस्राएल की जवाबी कार्रवाई पर दुनियाभर के देशों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है, जिसमें भविष्य के समीकरणों के निहितार्थ छुपे हैं। हमास के हमले और इस्राएली नागरिकों से बर्बर बर्ताव पर पश्चिमी देशों ने कड़ी निंदा की है, जबकि यूरोपीय संघ ने तो गाजा पट्टी को दी जाने वाली मानवीय सहायता रोकने की घोषणा की है। हालांकि रूस और चीन ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का कहना है कि इस क्षेत्र में स्थायी शांति केवल तभी संभव है, जब फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी जाए। पश्चिमी गुट के विरोध की नीति के कारण चीन का भी रवैया रूस की ही भांति रहा। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा है कि इस्राएल पर हुए आतंकी हमले में भारत उसके साथ खड़ा है। लेकिन विपक्ष, खासतौर से कांग्रेस, सपा और असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध किया और सरकार की आलोचना की है।

कई नेता और विपक्षी दल फिलिस्तीनी प्राधिकरण और हमास को भ्रमवश एक मान लेते हैं। फिलिस्तीनी प्राधिकरण देश की एक वैधानिक सरकार है, जबकि हमास उसके विरोध में खड़ा एक आतंकी संगठन है। सैद्धांतिक रूप से भारत हमेशा से फिलिस्तीन के साथ खड़ा रहा है। कई अवसरों पर दोनों पक्षों को स्पष्ट भी किया है कि भारत-फिलिस्तीन और भारत-इस्राइल संबंध एक-दूसरे से जुड़े नहीं हैं। भारत जहां फिलिस्तीन का समर्थन उसकी स्वायत्तता तथा मानवाधिकार बहाल करने के लिए करता है, वहीं इस्राएल के साथ हमारे संबंध कृषि, विज्ञान, सुरक्षा आदि क्षेत्रों में सहयोग पर आधारित हैं। शायद अमेरिका भी हमारी भी तरह फिलिस्तीनी प्राधिकरण और हमास को दो अलग और विपरीत संगठन मानता है, इसीलिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी मिल रहे हैं।

इधर, अरब देशों की प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही हैं। हालांकि ईरान, कतर, सीरिया और यमन ने सीधे-सीधे इस्राएल को आक्रमणकारी कहा है, जबकि संयुक्त अरब अमीरात ने तो इस्राएल का पक्ष लेते हुए सीरिया को युद्ध में नहीं कूदने की चेतावनी दे दी है। मिस्र ने भी कह दिया है कि भले ही मानवीय आधार पर वह गाजा पट्टी में राहत सामग्री आने दे, पर इस काम के लिए अपने यहां से कोई गलियारा नहीं बनाने देगा, जिससे हमास आतंकी मिस्र आ सकें। वहीं, अरब लीग के विदेश मंत्रियों की आपात बैठक में इस्राएल से आग्रह किया गया कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार द्विराष्ट्र सिद्धांत को मान्यता दे और शीघ्र शांति बहाली सुनिश्चित करे।

हमास ने हमला तो कर दिया, लेकिन उसके पास गोला-बारूद का भंडार जल्दी ही समाप्त हो सकता है, क्योंकि इस्राएल की नाकाबंदी के बाद हमास को इसकी आपूर्ति नहीं हो पाएगी। हमास के पास संभावित 20,000 रॉकेट हैं, जिसमें से लगभग 5,000 उसने पहले ही दिन दाग दिए। वही अभी जिस गति से इस्राएल पर रॉकेट दाग रहा है, उसका भंडार अधिक से अधिक दस दिन में खत्म हो जाएगा।

इस संघर्ष का सबसे बड़ा प्रभाव सऊदी अरब पर पड़ा है। इस्राएल के साथ उसका समझौता कुछ समय के लिए टल सा गया है। इस्लामी देशों में अपनी साख बचाए रखने के लिए सऊदी अरब हमास की खुली निंदा नहीं की है, जिसके कारण अमेरिका उससे नाराज है। सऊदी अरब की इस द्विविधा का लाभ उठाने की फिराक में है तुर्किये। इसलिए वह हमास से इस्राएली बंधकों को छुड़ाने के लिए बातचीत कर रहा है। यदि वह इसमें सफल हो गया, तो मुस्लिम बिरादरी में अधिक ताकतवर और समन्वयकारी नेता के रूप में सामने आ सकता है।

प्रश्न है कि इस संग्राम का अंत क्या, कब और कैसा होगा? हमास ने हमला तो कर दिया, लेकिन उसके पास गोला-बारूद का भंडार जल्दी ही समाप्त हो सकता है, क्योंकि इस्राएल की नाकाबंदी के बाद हमास को इसकी आपूर्ति नहीं हो पाएगी। हमास के पास संभावित 20,000 रॉकेट हैं, जिसमें से लगभग 5,000 उसने पहले ही दिन दाग दिए। वही अभी जिस गति से इस्राएल पर रॉकेट दाग रहा है, उसका भंडार अधिक से अधिक दस दिन में खत्म हो जाएगा।

इधर, गाजा में बिजली, पानी, खाद्य सामग्री, ईंधन और दवाओं की बढ़ती किल्लत बढ़ गई है।लिहाजा, इस्राएल को मानवीय त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए विरोध के स्वर भी उभरने लगे हैं। इससे पहले कि ये इस्राएल व्यापक दबाव बनाएं, वह हमले तेज कर हमास को मिटा देना चाहता है। भले ही इस्राएल कहे कि यह लड़ाई तब तक चलेगी, जब तक अंतिम हमास आतंकी नहीं मारा जाता, लेकिन व्यावहारिक दृष्टि से यह संभव नहीं है। जनसंकुल गाजा क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद घर-घर घुस कर तलाशी अभियान चलाना इस्राएल के लिए दुरूह और लंबा काम होगा।

इतिहास गवाह है, आतंकवाद शुरू तो जल्दी होता है, पर इसका समूल नाश करने में बहुत समय लगता है, खासकर तब जब पांथिक और जातिगत नफरत शताब्दियों से पल रही हों। यदि इस संघर्ष में दोनों मोर्चों (गाजा में हमास और लेबनान में हिज्बुल्लाह) पर इस्राएल विजयी होता है, तो एक बात साफ हो जाएगी कि आतंकवाद अजेय नहीं है। उस पर काबू पाया जा सकता है, भले ही उसे समूल नष्ट न किया जा सके। इससे आतंकवादी संगठनों में डर और उनसे लड़ रहे देशों में उत्साह और साहस का संचार होगा। साथ ही, यह भी साबित हो गया कि कोई भी शक्तिशाली देश या उसका गुप्तचर संगठन अभेद्य नहीं होता।
(लेखक पूर्व राजदूत हैं)

Topics: Terrorist Organization HamasIsrael and PalestineIron DomeGaza StripHezbollahभारत-फिलिस्तीन संबंधभारत-इस्राइल संबंध#islamआतंकी संगठन हमासइस्लामआयरन डोमईसाईइस्राएल और फिलिस्तीनchristianityहिज्बुल्लाहगाजा पट्टीIndia-Palestine RelationsJudaismIndia-Israel Relationsयहूदी
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

इस्राएल सेना चैट जीपीटी जैसा एक टूल भी बना रही है जिससे फिलिस्तीन से मिले ढेरों डाटा को समझा जा सके

‘खुफिया विभाग से जुड़े सब सीखें अरबी, समझें कुरान!’ Israel सरकार के इस फैसले के अर्थ क्या?

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

DU के सिलेबस में बदलाव

DU के सिलेबस में बदलाव: अब पढ़ाया जाएगा सिखों की शहादत, हटाए गए इस्लाम-चीन-पाक चैप्टर

झांगुर बाबा जाति के आधार पर लड़कियों को बनाता था निशाना, इस्लामिक कन्वर्जन के लिए देता था मोटी रकम

Ghana preisdent Suggested to embrace Islam

घाना के राष्ट्रपति महामा को इस्लाम कबूलने का सुझाव, कहा-अल्लाह की दया होगी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Dhaka lal chand murder case

ढाका में हिंदू व्यापारी लाल चंद की बेरहम हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

प्रदर्शनकारियों को ले जाती हुई पुलिस

ब्रिटेन में ‘पैलेस्टाइन एक्शन’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, 42 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

Trump Tariff on EU And maxico

Trump Tariff: ईयू, मैक्सिको पर 30% टैरिफ: व्यापार युद्ध गहराया

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

रूसी महिला कर्नाटक की गुफा में कर रही भगवान रुद्र की आराधना, सनातन धर्म से प्रभावित

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies