आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन पहुंचने वाले हैं। यूक्रेन पर हमले के बाद पुतिन पहली बार देश से बाहर के दौरे पर होंगे। चीन में पुतिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे और माना जा रहा है कि उनके बीच इस्राएल-हमास युद्ध, अमेरिका से निपटने की नीति और अन्य वैश्विक मुद्दों पर बातचीत हो सकती है। यहां बता दें कि हमास पर इस्राएल के हमले के संदर्भ में चीन ने एक प्रकार से हमास का ही पक्ष लिया है। पुतिन के चीन जाने की वजह तो बीआरआई परियोजना के 10 साल पूरे होने पर आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेना है लेकिन इस यात्रा के दूरगामी परिणामों से इंकार नहीं किया जा सकता है।
पुतिन के चीन के दौरे को लेकर मास्को द्वारा कल जारी किए गए आधिकारिक बयान के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति दो दिन (17-18 अक्तूबर) चीन में रहने वाले हैं। चीन के राष्ट्रपति से चर्चा के अलावा वे चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) फोरम के उस सम्मेलन में प्रमुख अतिथि के नाते शामिल होने वाले हैं जो कल से शुरू होगा। जैसा पहले बताया, रूस के यूक्रेन पर हमला बोलने के बाद पुतिन की यह पहली विदेश यात्रा होगी और क्योंकि यह चीन की है इसलिए दुनिया के इस हिस्से में रणनीतिक विशेषज्ञों की जिज्ञासा का केन्द्र बनी हुई है।
उल्लेखनीय है कि चीन अपनी बीआरआई परियोजना के माध्यम से दुनिया भर में अपनी पहुंच बढ़ाने के सपने देख रहा है। इस परियोजना को अब 10 साल पूरे हुए हैं, इस संदर्भ में आयोजित कार्यक्रम में विश्व के 130 देशों के प्रमुख नेता भाग लेने वाले हैं।
इस सम्मेलन के माध्यम से चीन को अपेक्षा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी धमक बढ़ेगी और अमेरिका को वह अपनी ‘ताकत’ भी दिखा देगा। उसकी मंशा है कि फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के पाले में दिखकर वह विश्व की नजरों में इस्राएल को अपना दुश्मन साबित कर देगा।
चीन ने हाल ही में हमास के विरुद्ध इा्रएल की सैन्य कार्रवाई के संदर्भ में अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि इस्राएल की वर्तमान कार्रवाई आत्मरक्षा जैसी नहीं रह गई है। लगता है जैसे वह पूरे गाजा के लोगों पर अपना क्रोध निकाल रहा है।लेकिन चीन के विदेश मंत्री यह उल्लेख करना भूल गए कि उनके इस बयान के बाद अनेक देशों ने उनकी भर्त्सना की है कि गाजा में युद्ध की बात करने वाले वांग ने हमास का उल्लेख तक कैसे नहीं किया!
सूत्रों के अनुसार, पुतिन और जिनपिंग की वार्ता में अमेरिका का मुद्दा प्रमुखता से उभर सकता है। दोनों नेता मिलकर अमेरिका का संतुलित करने की कोई रणनीति बना सकते हैं। साथ ही, इस्राएल और हमास के बीच चल रहे जबरदस्त युद्ध को लेकर भी वे इस्राएल के विरुद्ध कोई वक्तव्य जारी कर सकते हैं। संभवत: इसके माध्यम से भी वे अमेरिका को घेरने के बारे में सोच रहे हों। माना यह भी जा रहा है कि मास्को और बीजिंग मिलकर इस्राएल पर युद्ध रोकने संबंधी कोई दबाव बनाएं।
दोनों नेता खुद को फिलिस्तीन तथा मध्य पूर्व के पाले में खड़ा दिखाते हुए कोई महत्वपूर्ण घोषणा भी कर सकते हैं। जिनपिंग के अलावा बीजिंग में पुतिन की कुछ अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों से भी मुलाकात के आसार हैं। बातचीत में बेशक यूक्रेन को लेकर भी बिन्दु उठेंगे।
चीन ने हाल ही में हमास के विरुद्ध इा्रएल की सैन्य कार्रवाई के संदर्भ में अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि इस्राएल की वर्तमान कार्रवाई आत्मरक्षा जैसी नहीं रह गई है। लगता है जैसे वह पूरे गाजा के लोगों पर अपना क्रोध निकाल रहा है। यह कार्रवाई बंद होनी चाहिए। वांग ने कहा है कि इस्राएल को वैश्विक मंच पर रखी गई नेताओं की बात गंभीरता से ध्यान में लेनी चाहिए।
लेकिन चीन के विदेश मंत्री यह उल्लेख करना भूल गए कि उनके इस बयान के बाद अनेक देशों ने उनकी भर्त्सना की है कि गाजा में युद्ध की बात करने वाले वांग ने हमास का उल्लेख तक कैसे नहीं किया!
ताजा जानकारी के अनुसार, हमास के आतंकी हमलों में अभी तक 1400 से ज्यादा इस्राएलियों की मौत हुई है, सैकड़ों बंधक बनाए गए हैं, जिनमें बुजुर्ग और छोटे बच्चे भी हैं। इस्राएल की जवाबी कार्रवाई में गाजा पट्टी का पूरा क्षेत्र खंडहर में बदल गया है। सैकड़ों इमारतें ध्वस्त हो चुकी हैं और हमास के कई ठिकाने अब राख के ढेर बन चुके हैं।
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