युवा (यूथ यूनाइटेड फॉर विजन एंड एक्शन) द्वारा आयोजित यूथ कॉन्क्लेव “विमर्श” के तीसरे दिन देशभर से आमंत्रित विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर युवाओं से संवाद किया। कला, सोशल मीडिया, पत्रकारिता, नीति कानून एवं राजव्यवस्था से लेकर सांस्कृतिक विषयों पर विचार मंथन हुआ, जिसमें शोधकर्ता, लेखक और शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययनरत युवा शामिल हुए।
मध्यभारत के सबसे बड़े बौद्धिक महाकुंभ विमर्श के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अशोक अग्रवाल, मुख्य वक्ता के रूप में सुरेश सोनी, अतिथि के रूप में प्रो अंजू सेठ, प्रो दयाशंकर तिवारी, प्रो. हरिंदर सिंह शामिल हुए, कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्विद्यालय के कुलपति प्रो योगेश सिंह ने की। विमर्श के तीसरे दिन कुल 15 सत्र आयोजित हुए।
मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए सुरेश सोनी ने कहा कि देश ऐसे पड़ाव पर आ गया है जब आगे की ओर कूच करना है। एक संकल्प रखा गया है कि स्वाधीनता के 100 वर्ष में भारत कैसा होगा। इस पूरी दुनिया में विशेषण हमारे देश को मिले हैं चाहे वो सोने की चिड़िया हो या विश्व गुरु का। इतिहास काल से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान भारत का रहा है। कई वर्षों की गुलामी और लूट के बाद भी आज हम उस स्थिति मे पहुंच गए हैं कि ऐसी भविष्यवाणी की जा रही है कि आने वाले समय में ये विश्व की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था होगी। आने वाले समय में जैसा भारत चाहते हैं वैसी ही मानसिकता हर भारतीय को बनानी होगी। आज के समय में जनसंख्या नहीं, बल्कि युवा कैसा हो प्रश्न ये है। विज्ञान और तकनीकी ठीक है, लेकिन तकनीक पर्यावरण का रक्षण करने वाली हो न कि नाश करने वाली।
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