आज ( 15 अक्टूबर, 2023) से शारदीय नवरात्र शुरू हो चुकी है। श्रीमददेवीभागवत महापुराण में आदिशक्ति माँ दुर्गा की अभ्यर्थना ‘पुरुषार्थ साधिका देवी’ के रूप में की गई है। देवी दुर्गा वस्तुत: नारी शक्ति की अपरिमितता की द्योतक हैं। ‘दुर्गा सप्तशती’ के 13 अध्यायों में इन्हीं महाशक्ति के द्वारा आसुरी शक्तियों के विनाश की कथा वर्णित है। देवी भागवत पुराण व अन्य पौराणिक विवरणों के अनुसार दक्ष यज्ञ में पति के अपमान से आहत होकर देवी सती द्वारा योगाग्नि से देह त्याग पर क्रुद्ध शिव ने उनकी निर्जीव देह को अपने कंधे पर लाद कर समूची धरती पर इधर-उधर भटकते हुए घोर विलाप किया।
इस दौरान पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में जहां-जहां माँ सती के शरीर के विभिन्न अंग, वस्त्र या आभूषण धरती पर इधर-उधर छिटककर बिखर गए थे। कालान्तर में वे स्थान शक्तिपीठों के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। भारत-विभाजन के बाद आज 42 शक्तिपीठ भारत में बचे हैं। वर्तमान में माँ दुर्गा का एक शक्तिपीठ पाकिस्तान में, चार बांग्लादेश में, एक श्रीलंका में, एक तिब्बत में तथा दो नेपाल में अवस्थित है। गौरतलब है कि इन शक्तिपीठों में माँ की आराधना प्रतिमा नहीं अपितु पिंडी स्वरूप में की जाती है। साथ ही इन सभी शक्तिपीठों में महादेव शिव विभिन्न भैरव स्वरूपों में विराजमान हैं। इन पीठों में कुछ तंत्र साधना के मुख्य केन्द्र हैं। मां शक्ति की आराधना के विशिष्ट साधनाकाल शारदीय नवरात्र के मौके पर हम 51 शक्तिपीठों के बारे में जानेंगे।
1. किरीट शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित किरीट शक्तिपीठ में माता सती का किरीट (मुकुट) गिरा था। यहां की माता शक्ति “भुवनेश्वरी” तथा शिव “संवर्त भैरव” के रूप में पूजे जाते हैं।
2. कात्यायनी शक्तिपीठ, वृन्दावन
यह शक्तिपीठ वृन्दावन (मथुरा) में स्थित है। कहा जाता है कि कात्यायनी शक्तिपीठ में माता सती के केश गिरे था। यहां मां शक्ति की उपासना “कात्यायनी” तथा शिव की “भैरव भूतेश” के रूप में की जाती है।
3. मां महिषमर्दिनी शक्तिपीठ, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है महिषमर्दिनी शक्तिपीठ। कहते हैं यहां माता के नेत्र गिरे थे। यहां मां सती “महिषमर्दिनी” तथा शिव “भैरव क्रोधीश” के रूप में विराजमान हैं।
4. श्री पर्वत शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ लद्दाख में श्री पर्वत पर स्थित है। यहां माता सती की “दक्षिणी कनपटी का निपात हुआ था। यहां मां शक्ति “श्री सुन्दरी” एवं शिव “भैरव सुन्दरानन्द” के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
5. विशालाक्षी शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में मीरघाट पर स्थित है। कहते हैं कि यहां माता सती के दाहिने कान की मणि गिरी थी। यहां की मां शक्ति “विशालाक्षी” तथा शिव “काल भैरव” के रूप में पूजे जाते हैं।
6. विश्वेश्वरी शक्तिपीठ
आंध्र प्रदेश के कब्बूर क्षेत्र में गोदावरी तट पर स्थित इस शक्तिपीठ पर माता का बायां कपोल (गाल) गिरा था। यहां की मां शक्ति “विश्वेश्वरी” तथा शिव “भैरव दण्डपाणि” हैं।
7. शुचींद्रम शक्तिपीठ, कन्याकुमारी
तमिलनाडु में तीन महासागरों के संगम-स्थल कन्याकुमारी से 13 किमी दूर स्थित शुचींद्रम शक्तिपीठ में माता सती के ऊर्ध्व दंत (ऊपरी दांत) गिरे थे। यहां मां शक्ति या सती “नारायणी” तथा शिव “भैरव संहार” हैं।
8. पंच सागर शक्तिपीठ
पंचासागर शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास स्थित है। देवी भागवत पुराण के अनुसार यहां माता के नीचे के निचले दांत गिरे थे। यहां देवी मां की शक्ति “वाराही” तथा शिव “भैरव महारुद्र” हैं।
9. ज्वालादेवी शक्तिपीठ
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में स्थित इस शक्तिपीठ में देवी सती का “जिह्वा” गिरी थी। यहां मां शक्ति “सिद्धिदा” के रूप में व शिव “भैरव उन्मत्त” के रूप में पूजे जाते हैं। इस मंदिर में हर समय ज्वाला धधकती रहती है।
10. हरसिद्धि शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ महाकाल की नगरी उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित भैरव पर्वत पर स्थित इस शक्तिपीठ पर सती की दाहिनी कोहनी का पतन हुआ था। यहां की मां शक्ति “हरसिद्धि” और शिव “सुखदानंद” के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
11.अट्टहास शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के लाबपुर (लामपुर) जिले में वर्धमान रेलवे स्टेशन से लगभग 95 किलोमीटर दूर कटवा-अहमदपुर में स्थित है अट्टाहास शक्तिपीठ। इस देवस्थल पर माता सती का निचला होठ गिरा था। यहां मां शक्ति “काली” व शिव “काल भैरव” के रूप में पूज्य हैं।
12.जनस्थान शक्तिपीठ
महाराष्ट्र के नासिक में पंचवटी में स्थित है जनस्थान शक्तिपीठ। यहां माता का ठुड्डी यानी ठोड़ी गिरी थी। यहां देवी सती “भ्रामरी” तथा शिव “भैरव विकृताक्ष” के रूप में पूजे जाते हैं।
13. महामाया शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ कश्मीर में बाबा अमरनाथ की गुफा के भीतर स्थित है। इसे हिम शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां माता सती का “कंठ” गिरा था। यहां की शक्ति “महामाया” तथा शिव “भैरव त्रिसंध्येश्वर” कहलाते हैं।
14. नन्दीपुर शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के बीरभूमि जिले में शान्तिनिकेतन के निकट नन्दीपुर शक्तिपीठ में देवी माता का “कण्ठहार” गिरा था। यहां की शक्ति “भवानी” व शिव “रुद्र भैरव” हैं।
15. श्री शैलम शक्तिपीठ
आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद से 250 कि.मी. दूर कुर्नूल के पास श्री शैलम नामक स्थान पर स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती की “ग्रीवा” का पतन हुआ था। यहां की शक्ति “महालक्ष्मी” और शिव “भैरव “सर्वानंद” के रूप में पूज्य हैं।
16. नलहाटी शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के बोलपुर नामक स्थान में स्थित है नलहरी शक्तिपीठ। यहां माता की कंठनलिका गिरी थी। यहां की शक्ति “कालिका” तथा शिव का स्वरूप “भैरव योगीश” है।
17. मिथिला शक्तिपीठ
भारत-नेपाल की सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट मिथिला में माता का बायां कंधा गिरा था। यहां की शक्ति “महादेवी” और शिव “भैरव महोदर” कहलाते हैं। हालांकि इस शक्तिपीठ के स्थान कई मत-मतान्तर हैं। एक वर्ग जनकपुर (नेपाल) से 51 किमी दूर पूर्व दिशा में “उच्चैठ” नामक स्थान के “वन दुर्गा” मंदिर को “मिथिला शक्तिपीठ”, दूसरा वर्ग बिहार के सहरसा स्टेशन के पास “उग्रतारा” मंदिर को और तीसरा समूह समस्तीपुर के निकट “जयमंगला” देवी मंदिर को मिथिला शक्तिपीठ की मान्यता देता है।
18. रत्नावली शक्तिपीठ
तमिलनाडु में चेन्नई के निकट स्थित है रत्नावली शक्तिपीठ। इस स्थान पर माता सती का “दायां स्कन्ध” गिरा था। यहां की शक्ति “कुमारी” तथा शिव “भैरव” हैं।
19. अम्बाजी शक्तिपीठ
यहां माता सती का “उदर” गिरा था। यह शक्तिपीठ गुजरात में गुनागढ़ के गिरनार पर्वत के शिखर पर स्थित है। मां अम्बा के मंदिर ही शक्तिपीठ है। मान्यता है कि गिरिनार पर्वत इस शक्तिपीठ की भूमि पर माता सती का ऊर्ध्व ओष्ठ गिरा था। यहां माता की शक्ति “अवन्ती” तथा शिव “लंबकर्ण भैरव” हैं।
20. जालंधर शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ पंजाब के जालंधर नगर में स्थित है। यह पीठ त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ के नाम से भी विख्यात है। यहां माता सती का “बायां स्तन” गिरा था। यहां की शक्ति “त्रिपुरमालिनी” और शिव “भीषण भैरव” के नाम से जाने जाते हैं।
21. रामगिरि शक्तिपीठ
रामगिरि शक्तिपीठ मध्य प्रदेश में मैहर के “शारदा मंदिर” में है। यहां देवी मां के “दाएं स्तन” का निपात हुआ था। यहां माता की शक्ति “चंद्रभागा” और शिव “वक्रतुण्ड भैरव” के रूप में पूजे जाते हैं।
22. हार्द शक्तिपीठ
झारखण्ड के गिरिडीह जनपद में स्थित है “हार्द शक्तिपीठ”।”वैद्यनाथ का सुप्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भी यहीं है। यह स्थान एक चिताभूमि में स्थित है। इसे जयदुर्गा शक्तिपीठ भी कहा जाता है। यहां माता सती का “हृदय” गिरा था। यहां माता सती की शक्ति “जयदुर्गा” तथा शिव “भैरव वैद्यनाथ” हैं।
23. वृक्तेश्वर शक्तिपीठ
माता का यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है। यहां माता का यकृत गिरा था। यहां की शक्ति “महिषासुरमर्दिनी” तथा शिव “भैरव वक्तनाथ” हैं। यहां का मुख्य मंदिर वृक्तेश्वर शिव मंदिर है।
24. नारायणी शक्तिपीठ
तमिलनाडु में स्थित इस शक्तिपीठ पर माता सती की पृष्ठ भाग यानी “पीठ” गिरी थी। यहां माता सती की शक्ति “नारायणी” तथा शिव “भैरव स्थाणु” के नाम से विख्यात हैं।
25. बहुला शक्तिपीठ
माता का यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में हावड़ा से 145 किलोमीटर दूर नवद्वीप धाम के निकट केतुग्राम में स्थित है। इस स्थान पर मां शक्ति के “वाम बाहु” का पतन हुआ था। यहां माता की शक्ति “बहुला” तथा शिव “भैरव भीरुक” हैं।
26. भैरव पर्वत शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ उज्जैन नगरी के निकट शिप्रा नदी तट स्थित भैरव पर्वत पर स्थित है। इस शक्तिपीठ पर माता सती की दाहिनी कोहनी का निपात हुआ था। यहां माँ सती की शक्ति “अवंतिका” और भैरव “काल भैरव” हैं।
27. मणिवेदिका शक्तिपीठ
राजस्थान में अजमेर से 11 किलोमीटर दूर सुप्रसिद्ध पुष्कर तीर्थ सरोवर के निकट पर्वत की चोटी पर स्थित सावित्री मंदिर के निकट गायत्री मंदिर में स्थित है मणिवेदिका शक्तिपीठ। यहां मां सती के “मणिबंध” का निपात हुआ था। यहां मां की शक्ति “गायत्री” और शिव “उग्र भैरव” है।
28. प्रयाग शक्तिपीठ
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित तीर्थराज प्रयाग के इस शक्तिपीठ में माता सती के दाहिने हाथ की “अँगुलियां” गिरी थीं। यहां माता की शक्ति “ललिता” एवं शिव “भव भैरव” के रूप में पूज्य हैं। कुछ लोग प्रयाग के ललिता देवी मंदिर तो कुछ अन्य अलोपी माता मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं।
29. विरजा शक्तिपीठ
उत्कल (उड़ीसा) में स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती की “नाभि” गिरी थी। यहां माता सती की शक्ति “विमला” तथा शिव “जगत भैरव” के नाम से विख्यात हैं। यह शक्तिपीठ जगन्नाथ जी के मंदिर प्रांगण में ही विमला देवी का मंदिर में स्थित है।
30. कांची शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ तमिलनाडु की विख्यात नगरी कांचीपुरम में स्थित है। इस शक्तिपीठ में माता सती का “कंकाल” गिरा था। यहां देवी सती की शक्ति “देवगर्भा” और शिव “रुद्रभैरव ” हैं।
31. काल माधव शक्तिपीठ
मध्यप्रदेश के अमरकंटक के कालमाधव स्थित शोन नदी के पास माता का बायां नितंब गिरा था। पौराणिक विवरण के अनुसार यहां की शक्ति “काली” तथा शिव “असितांग भैरव” हैं।
32. शोण शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ मध्य प्रदेश में अमरकण्टक के निकट नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। इस शक्तिपीठ पर माता सती के “दक्षिणी नितम्ब” का निपात हुआ था। यहां माता सती की शक्ति “शोणाक्षी” और शिव “भैरव भद्रसेन” कहलाते हैं।
33. कामाख्या शक्तिपीठ
असम राज्य के कामरूप जनपद में गुवाहाटी नगर के पश्चिमी भाग में नीलांचल पर्वत पर स्थित यह शक्तिपीठ तंत्र साधाना का प्रमुख केन्द्र है। “कामाख्या” शक्तिपीठ पर माता सती की “योनि” गिरी थी। यहां माता सती की शक्ति “कामाख्या” और शिव “भैरव उमानंद” कहलाते हैं।
34. जयंती शक्तिपीठ
देश के पूर्वी पर्वतीय राज्य मेघालय में स्थित है यह शक्तिपीठ। जयंतिया पहाड़ी पर स्थित इस शक्तिपीठ पर माता की “वाम जंघा” गिरी थी। यहां देवी सती की शक्ति “जयंती” व शिव “काल भैरव” हैं।
35. पटनेश्वरी शक्तिपीठ
बिहार की राजधानी पटना में स्थित है पटनेश्वरी देवी का शक्तिपीठ। यहां माता की दाहिना जंघा गिरी थी। यहां सती की शक्ति सर्वानन्दकरी तथा शिव “भैरव व्योमकेश” हैं।
36. त्रिस्तोता शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ सिक्किम के बोदा क्षेत्र में शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी के तट पर स्थित है। त्रिस्तोता शक्तिपीठ में माता सती के “वाम-चरण” का पतन हुआ था। यहां सती की शक्ति “भ्रामरी” तथा शिव “ईश्वर भैरव” हैं।
37. त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ
त्रिपुरा के राधा किशोरपुर क्षेत्र में पर्वत पर दक्षिण-पूर्व कोण पर स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती के “दक्षिण पद” का निपात हुआ था। यहां माता सती की शक्ति “त्रिपुरसुन्दरी” तथा शिव “त्रिपुरेश भैरव” के रूप में विख्यात हैं।
38. विभास शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में मिदनापुर में स्थित है। यह स्थल काली मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। यहां माता सती का “बायां टखना” गिरा था। यहां माता सती की शक्ति “कपालिनी” और शिव “कपाली भैरव” रूप में मान्य हैं।
39. श्री देवीकूप शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र नगर में “द्वैपायन सरोवर” के पास स्थित है। यहां माता सती का “दाहिना टखना” गिरा था। यहां माता सती “सावित्री” शक्ति तथा भगवान शिव “स्याणु महादेव” के रूप में पूजे जाते हैं।
40. युगाद्या शक्तिपीठ
“युगाद्या शक्तिपीठ” पश्चिमी बंगाल में वर्धमान रेलवे स्टेशन से 39 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में महाकुमार-मंगलकोट थानांतर्गत क्षीरग्राम में स्थित है। इस शक्ति पीठ में माता सती के “दाहिने चरण का अंगूठा” गिरा था। यहां की अधिष्ठात्री देवी “युगाद्या” हैं तथा शिव “क्षीर कण्टक भैरव” के रूप में पूज्य हैं।
41. विराट शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर के उत्तर में महाभारत कालीन विराट नगर के प्राचीन ध्वंसावशेष के निकट एक गुफा में है। यह गुफा “भीम की गुफा” के नाम से विख्यात है। यहां माता सती के “दायें पांव की अंगुलियां” गिरी थीं। यहां माता की शक्ति “दुर्गा” व शिव “भीम भैरव” के रूप में पूज्य हैं।
42. काली शक्तिपीठ
माता सती का यह सुविख्यात शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में कलकत्ता के कालीघाट में स्थित है। यहां माता की शेष अंगुलियां गिरी थीं। यहां माता सती “कलिका” स्वरूप व भगवान शिव “नकुलेश भैरव ” रूप में पूजे जाते हैं।
43. मानस शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ तिब्बत में मानसरोवर के तट पर स्थित है। यहां माता सती की “दाहिनी हथेली” गिरी थी। यहां माता सती का “दक्षियाणी” रूप में तथा भगवान शिव का “अमर भैरव” रूप में पूजन किया जाता है।
44. लंका शक्तिपीठ
श्रीलंका में स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती का “नूपुर” गिरा था। यहां की माता की शक्ति इन्द्राक्षी तथा शिव “भैरव राक्षसेश्वर” के रूप में स्थापित हैं।
45. गण्डकी शक्तिपीठ
नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गम स्थल पर स्थित गण्डकी शक्तिपीठ में सती के “दक्षिण गण्ड” का निपात हुआ था। यहां की शक्ति “गण्डकी” तथा शिव “भैरव चक्रपाणि” के रूप में विराजमान हैं।
46. गुह्येश्वरी शक्तिपीठ
नेपाल के पशुपतिनाथ में स्थित इस शक्तिपीठ में माँ सती के दोनों घुटने गिरे थे। यह शक्तिपीठ गुह्येश्वरी देवी नेपाल की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। गुह्येश्वरी मंदिर में एक छिद्र से निरंतर जल गिरता रहता है। यहां माता शक्ति “महामाया” और शिव “कपाल भैरव” रूप में पूजे जाते हैं। यह शक्तिपीठ भी तंत्र साधना का विशिष्ट केन्द्र है।
47. हिंगलाज शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में कराची से 144 किमी दूर उत्तर-पश्चिम में हिंगलाज क्षेत्र में है। हिंगोस नदी के तट पर स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती का कपाल यानी “ब्रह्मरन्ध्र” गिरा था। यहां माता सती “भैरवी” तथा भगवान शिव “भीमलोचन भैरव” रूप में पूजे जाते हैं।
48. सुगंधा शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ बांग्लादेश में बरीसाल से 21 किलोमीटर उत्तर में शिकारपुर ग्राम में “सुगंधा” नदी के तट पर स्थित है। “उग्रतारा देवी” मंदिर में अवस्थित इस शक्तिपीठ पर माता सती की “नासिका” गिरी थी। यहां माता की शक्ति “उग्रतारा” है तथा शिव “रुद्र भैरव” के रूप में पूज्य हैं।
49. करतोयाघाट शक्तिपीठ
बांग्लादेश में करतोया नदी के तट पर भवानीपुर में स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती की “बायीं हथेली” गिरी थी। यहां माता “अपर्णा” देवी के रूप में तथा भगवन शिव “वामन भैरव” रूप में स्थापित है।
50. चट्टल शक्तिपीठ
चट्टल शक्तिपीठ भी बांग्लादेश में है। चटगांव से 38 किमी दूर सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर स्थित भवानी मंदिर में स्थित इस शक्तिपीठ में माता सती की “दक्षिण भुजा” गिरी थी। यहां माता सती को “भवानी” तथा भगवान शिव को “चंद्रशेखर भैरव” रूप में पूजा जाता है।
51. यशोर शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ भी बांग्लादेश में खुलना जिले के जैसोर नामक नगर में स्थित है। यहां सती की “वाम भुजा” का निपात हुआ था। यहां माता “चंडी” तथा भगवान शिव “काल भैरव के रूप में पूजे जाते हैं।
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