सच है सनातन धर्म और सनातनी संस्कृति महान है। अपने में हजारों सालों का गौरवपूर्ण इतिहास समेटे सनातन धर्म को जो भी देखता और समझता है वो उसका हुए बिना नहीं रहता है। ताजा मामला राजस्थान के जैसलमेर का है। जहाँ फ्रांस से 17 महिला पर्यटकों का ग्रुप घूमने के लिए आया, लेकिन जब उन्होंने यहाँ उन्होंने पितृपक्ष में लोगों को अपने पितरों का श्राद्ध करते देखा तो उन्होंने भी अपने पितरों का श्राद्ध किया।
इन महिलाओं का कहना है कि श्राद्ध करने के बाद उनके न केवल मन की शांति मिली, बल्कि एक सकारात्मक ऊर्जा भी उन्होंने अपने अंदर महसूस की। जानकारी के मुताबिक, फ्रांस से महिला पर्यटकों का ये दल भारत भ्रमण करते हुए जैसलमेर पहुंचा था। उनका गाइड जब उन्हें जैसलमेर घूमने के दौरान गड़ीसर लेक घुमाने के लिए लेकर गया तो वहाँ पर उन्होंने लोगों को अपने पितरों का श्राद्ध करते देखा। उसके बाद गाइड ने विस्तार से महिलाओं को श्राद्ध के बारे में बताया।
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श्राद्ध के महत्व को जानने के बाद इन महिलाओं को लगा कि उन्हें भी अपने पितरों की मुक्ति के लिए ऐसा करने चाहिए। इसके बाद वहां उपस्थित पंडित से इस बाबत बात की गई और फिर फ्रांसीसी महिलाओं के लिए श्राद्ध की व्यवस्था की गई। इसके बाद समूह ने पितृ पक्ष में जैसलमेर में अपने दादा-दादी और नाना-नानी के लिए श्राद्ध किया। उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना की। गड़ीसर लेक में उन्होंने श्राद्ध की सभी रस्मों को पूरा किया।
ग्रुप की सभी महिलाओं ने अपने-अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया। महिलाओं का कहना था कि इसके बाद वे काफी शांत महसूस कर रही हैं। पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी। इसे लेकर काफी पॉजिटिव फील कर रही हैं। श्राद्ध की प्रक्रिया कराने वाले पंडित ने कहा कि विदेशियों में श्राद्ध नहीं होते, लेकिन उन्होंने सनातन धर्म के अनुसार मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि विधान से तर्पण करवाया। इस मौके पर ग्रुप की लीडर सनड्रीन ने कहा कि सभी श्राद्ध कर भावुक थी। उनके मन में जो बोझ था, वह उतर गया। पितरों का तर्पण कर सभी का मन शांत हो गया।
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