नई दिल्ली। जी-20 देशों के पीठासीन अधिकारियों के शिखर सम्मेलन (पी-20) में शुक्रवार को इस बात पर चिंता जताई गई कि दुनिया की संसदों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम है। इस संदर्भ में इन देशों ने भारतीय संसद की ओर से महिला आरक्षण विधेयक को पास किए जाने का स्वागत किया।
नई दिल्ली के यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिवसीय पी-20 का उद्घाटन किया। बैठक के बाद एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया गया। इसमें कहा गया कि हमें इस बात पर चिंता है कि वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय संसदों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम है। अपनी संसदों के नेताओं के रूप में हम इस प्रक्रिया के माध्यम से पहचाने गए किसी भी अंतर को समाप्त करने के लिए कदम उठाकर अपनी संसदों की लैंगिक-संवेदनशीलता के स्तर का आकलन और सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संदर्भ में हम सितंबर 2023 में भारत की संसद द्वारा महिला आरक्षण विधेयक को पास किए जाने का स्वागत करते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र और आईपीयू को उनके प्रयासों के लिए भी धन्यवाद देते हैं और इसकी पुष्टि करते हैं कि 2030 के एजेंडे को प्राप्त करने के लिए लैंगिक समानता और युवा भागीदारी आवश्यक है।
संयुक्त वक्तव्य में आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की गई। इससे पहले प्रधानमंत्री ने भी सुबह अपने भाषण में आतंकवाद के खतरों से आगाह करते हुए इसके खिलाफ सामूहिक प्रयास किए जाने का आह्वान किया था। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि हम शांति के लिए सभी धर्मों की प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हुए विदेशी लोगों को पसंद न करने की प्रवृत्ति, नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य रूपों के आधार पर या धर्म अथवा आस्था के नाम पर आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।
दुनियाभर में होने वाले युद्धों और संघर्षों के कारण उत्पन्न अपरिमित मानवीय पीड़ा और इनके प्रतिकूल प्रभाव के बारे में गहरी चिंता है। इसमें प्रमुख रूप से यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख किया गया। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप सभी देशों को किसी भी राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के विरुद्ध क्षेत्रीय अधिग्रहण की कोशिश के लिए धमकी देने या बल उपयोग से बचना चाहिए। परमाणु हथियारों के उपयोग या उपयोग की धमकी देना अस्वीकार्य है।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि पी-20 के दौरान हुई रचनात्मक चर्चाओं और पिछले पी-20 सम्मेलनों में प्राप्त अनुभव को ध्यान में रखते हुए हम जी-20 संबंधी कार्य विधि में प्रभावी और सार्थक संसदीय योगदान देने के लिए अपने संयुक्त कार्य को जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। हम संघर्षों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हुए अंतरराष्ट्रीय शांति, समृद्धि और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक के रूप में प्रासंगिक मंचों पर संसदीय कूटनीति और बातचीत करना जारी रखेंगे।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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